विकीलीक्स के निशाने पर भावी प्रधानमंत्री

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-प्रमोद भार्गव- wikiliks

देश के प्रमुख राष्ट्रीय दलों के भावी प्रधानमंत्रियों को खोजी समाचार वेबसाइट विकीलीक्स ने करारा झटका दिया है। भाजपा द्वारा विकीलीक्स के संस्थापक-संपादक जूलियन असांजे का चित्र छपा पोस्टर देशभर में लगा है। इस पोस्टर में असांजे के हवाले से कहा गया है कि अमेरिका नरेंद्र मोदी से डरता है,क्योंकि अमेरिका जानता है कि मोदी भष्ट्र नहीें हैं। यह पोस्टर जब सोशल साइटों के जरीए दुनिया में चर्चा में आया तो अंजासे को सफाई देनी पड़ी। यह सफाई भाजपा और उसके प्रधानमंत्री पद के दावेदार मोदी पर इसलिए भारी पड़ने वाली है,क्योंकि इस प्रचार से जुड़ा सवाल नैतिक आचरण केे बोध से संबद्ध है। दूसरी तरफ अंजासे ने कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी के व्यक्तित्व को प्रसिद्ध लेखक और पत्रकार सईद नकवी के हवाले से कठघरे में खड़ा किया है। नकवी गांधी परिवार के निकटतम पत्रकार हैं। इस खुलासे में कहा गया है कि राहुल के व्यक्तित्व में व्यावहारिक और मनोवैज्ञानिक स्तर पर कई खामियां हैं, इसलिए वे योग्य प्रधानमंत्री नहीं हो सकते हैं। जाहिर है, विकीलिक्स ने इन दो महत्वपूर्ण खुलासों के साथ भारत के आमचुनाव में खुला हस्तक्षेप करने की शुरूआत कर दी है। जैसे-जैसे चुनावी सरगर्मियां बढ़ेंगी, वैसे-वैसे हो सकता है, विकीलीक्स के और सनसनीखेज खुलासे सामने आएं।
यह जरूरी नहीं है कि देश की राजनीति में ईमानदारी, नैतिकता और विश्वसनीयता लगातार बनी रहें, लेकिन चारीत्रिक दृढ़ता से जुड़े ये मुद्दे जब-जब नकारात्म अथवा छल-छद्म के रूप में सामने आते हैं तो देश का जनमानस आंदोलित तो होता ही है। यदि ऐसा नहीं होता तो भारतीय जनता पार्टी विकीलीक्स केे संपादक जूलियन अंजासे के उस बयान को प्रचार-पोस्टर का हिस्सा नहीं बनाती,जो अब विवाद के केंद्र में है और भाजपा को कहना पड़ रहा है कि मोदी की स्वच्छ छवि के लिए किसी विकीलीक्स के प्रमाण-पत्र की जरूरत नहीं है। विकीलीक्स ने पोस्टर पर लिखी इबारत के परिप्रेक्ष्य में अपनी बात रखते हुए कहा है कि हमने गुजरात कांग्रेस के नेता मनोहर सिंह जडेजा के 2006 में दिए बयान का जिक्र किया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि मोदी इसलिए लोकप्रिय है, क्योंकि लोगों को लगता है कि उन्हें भ्रश्ट नहीं किया जा सकता है। जबकि मोदी के प्रचार का जो पोस्टर सामने आया, उसमें इस वाक्य को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया। पोस्टर में यह वाक्य इस रूप में है,अमेरिका नरेंद्र मोदी से डरता है, क्योंकि अमेरिका जानता है मोदी भ्रष्ट नहीं हैं। यही नहीं, विकीलीक्स ने इस बाबत जो खुलासा किया है, उसमें अमेरिका द्वारा मोदी की दर्ज आलोचना का पूरा ब्यौरा है। यह ब्यौरा अमेरिकी दूतावास द्वारा वर्ष 2006 में जिस गोपनीय केबल द्वारा भेजा गया था, उस केवल का संपूर्ण अंश अंजासे ने विकीलीक्स पर उपलब्ध करा दिया है। लिहाजा हकीकत से संशय का पर्दा उठ गया है। इस केबल में मोदी को संकीर्ण और संदेही व्यक्ति बताया गया है। इसी में आगे यह भी कहा गया है कि मोदी समग्रता और सर्वसम्मति की बजाय, डर और डरा-धमकाकर शासन चलाते हैं। मोदी सत्ता को अपने स्वंय के कठोर नेतृत्व में जकड़े रहते हैं।
विकीलीक्स की इस सफाई से मोदी की छवि प्रभावित होेने वाली नहीं है। क्योंकि मोदी की दृढ़ता और मुट्ठीबंद नेतृत्न ने ही जनता में उनकी स्वीकार्यता बढ़ाई है। इस लिहाज से यदि अमेरिका ने यह कहा है कि मोदी इसलिए लोकप्रिय हैं,क्योंकि उन्हें भ्रश्ट नहीं किया जा सकता, तो यह भी मोदी की ईमानदार छवि की उल्लेखनीय कसौटी है। क्योंकि भारत में और भारत के सत्ताधारी राजनेताओं व नौकरशाहों के संदर्भ में यह धारणा आम है कि इन लोगों को यदि भ्रश्टाचार के अवसर मिलें तो यह भ्रष्टाचार करने से चूकेंगे नहीं? इस परिप्रेक्ष्य में मोदी की बात करें तो मोदी पिछले 12-13 साल से गुजरात सरकार के प्रमुख है। इस दौरान उन्होनें गुजरात के संरचनात्मक विकास के साथ ओद्यौगिक व प्रोद्यौगिक विकास भी किया, लेकिन उन पर न तो भ्रश्टाचार के आरोप लगे, न नाजायाज संपत्ति बनाने के और न ही भाई-भतीजावाद को आर्थिक सरंक्षण देने के? इस लंबे कार्यकाल में ऐसा नहीं हो सकता कि उन्हें ओद्यौगिक घरानों द्वारा ललचाने की कोशिश न की गई हो? अथवा अनैतिक लाभ के लिए नाते-रिश्तेदारों ने उन पर दबाव न बनाया हो? जाहिर है, उन्हें भ्रष्ट नहीं किया सका तो उनके चरित्र की यह बड़ी खूबी है। इस निर्लिप्तता का सम्मान करने की जरूरत है। हम जानते हैं कि मुलायम सिंह, मयावती, जयललिता, येदियुरप्पा जैसे लोगों के हाथ प्रदेश की बागडोर आती है तो अनुपातहीन संपत्ति का सिलसिला शुरू हो ही जाता है। हालांकि इस दृष्टि से ममता बनर्जी और नीतिश कुमार अपवाद हैं। जबकि सोनिया गांधी के दामाद रॉबार्ट वाड्रा भी भूमि विवाद में उलझे हैं।
पोस्टर विवाद में यह सवाल महत्वपूर्ण है कि क्या वाकई भाजपा ने अंजाजे को आधार बनाकर यह झूठा प्रचार चंदा इकट्ठा करने के लिए किया? विकीलीक्स ने यह आरोप लगाते हुए,इसके लिए महाराष्ट्र्र भाजपा संचार प्रकोष्ठ की सह संयोजक प्रीति गांधी को जिम्मेदार ठहराया है। इसके प्रमाण के लिए विकीलीक्स ने प्रीति के ट्विटर खाते को आधार बनाया है। इसके आलावा विकीलीक्स ने प्रसन्न कार्तिक और तन्वी मदान के ट्विटर खातों का भी इस पोस्टर प्रचार में भागीदारी का उल्लेख किया है। ये दानों भाजपा के नेशनल डिजीटल सेंटर के प्रभारी हैं। यहीं से उस ऑपरेशन को सोशल साइट पर अंजाम दिया जा रहा है,जिसके तहत भाजपा ने 272 लोकसभा सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। इन ट्विटर खातों के खुलासे से तय होता है कि भाजपा ने मोदी के पक्ष में चुनावी हवा बनाने के लिए पोस्टर में दर्ज इबारत में हेराफेरी कि है। अब यदि भाजपा कह रही है कि उसे मोदी की ईमानदारी छवि के लिए किसी विकीलीक्स के प्रमाण की जरूरत नहीं है, तब गौरतलब है कि उसे अमेरिकी बयान और अंजासे के चित्र को पोस्टर प्रचार में इस्तेमाल करने की क्यों जरूरत पड़ी?एक राष्ट्रीय और जिम्मेबार राजनीतिक दल की यह स्थिति हास्यास्पद है। प्रचार के फौरी और फर्जी उपायों के इन हथकंडों से भाजपा को बचने की जरूरत है। अन्यथा ऐसी चूकें उसकी नैतिकता पर सवाल उठाएंगी?
विकीलीक्स का दूसरा खुलासा राहुल गांधी के व्यक्तित्व से संबंधित है। इस खुलासे से कांग्रेस के उस अभियान को झटका लगा है, जिसके तहत 500 करोड़ रुपये खर्च करके राहुल की मूल चरित्र के विपरीत छद्म छवि गढ़ने के उपाय किए जा रहे हैं। यह खुलासा सईद नकवी के हवाले से किया गया है। विकीलीक्स का दावा है कि नकवी ने ये बातें अमेरिकी राजदूत माइकल अवन से मुलाकत के दौरान कहीं। नकवी ने कहा था कि राहुल को प्रधानमंत्री बनने का अवसर मिल भी जाता है तो वे काबिल प्रधानमंत्री साबित नहीं होंगे। उनसे कहीं ज्यादा काबलियत प्रियंका गांधी रखती हैं, लेकिन सोनिया गांधी पुत्र राहुल को ही राजनीति में आगे बढ़ाना चाहती हैं। दरअसल, इस बातचीत में कोई भी अनहोनी बात नहीं है। राहुल पिछले 10 साल से सत्तारूढ़ पार्टी के सांसद हैं, लेकिन वे इस दौरान अपने व्यक्तित्व अथवा कार्यशैली के जरिए कोई भी ऐसी अनूठी उपलब्धि पेश नहीं कर पाए, जो प्रेरणादायी मिसाल साबित हुई हो ? अब तो उनकी कथनी और करनी में भी इतने विरोधाभास सामने आने लगे हैं कि युवा उनसे दूरी बढाने लगे हैं। लिहाजा नकवी राहुल के व्यक्तित्व को साधारण या अनाकर्षक बता रहे हैं तो उसमें गलत कुछ भी नहीं है ? नकवी राहुल के व्यक्तित्व को इसलिए और ठीक से जानते होंगे, क्योंकि वे लंबे समय से सोनिया गांधी परिवार के नजदीकी हैं और हो सकता है, उन्होंने राहुल को निजी स्तर पर भी परखा हो ? आश्चर्य यह है कि इतना सब कुछ जानने के बावजूद सोनिया पुत्रमोह से विमुख नहीं हो पा रही हैं ? जाहिर है कि सनातन चली आ रही पितृसत्तात्मक परिपाटी का असर सोनिया के व्यक्तित्व पर भी भारी है। बहरहाल विकीलीक्स आम चुनाव के मैदान में कूद ही गया है तो तय है उसके खुलासे चुनावी हवा को गर्म करते रहेंगे।

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