pravakta.com
पनघट और मरघट सदैव जग में चलती रहती - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
पनघट पर प्यास है बुझती,मरघट पर लाशे है जलती।देखो यह जीवन की धारा,सदैव जग में चलती रहती।। पनघट पर सब पानी है पीते,मरघट पर सब प्राण है देते।चलती रहती ये सदैव प्रक्रिया,हंसते रहते हम ही रोते रहते।। पनघट पर कोलाहल है होता,मरघट पर मौन व्रत है होता।एक तरफ मेला लगा…