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भारतीय संस्कृति के अतित पर भारी पड़ रहा है वर्तमान का बलात्कार ! - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
मुरली मनोहर श्रीवास्तव बलात्कार, जिसे सुनते ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं। सुनकर हैवानियत मानों किसी अबला के दर्द का ऐहसास कराने लगता है। बलात्कार एक मानसिकता है, वर्ना जिस अज्ञान बालिका को इसका “ब” भी नहीं मालूम हैवान उसको भी अपना कोपभाजन बनाने से बाज नहीं आते। लानत है…