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जीवात्माओं के शरीरों की आकृति व सामर्थ्य में भेद का कारण? - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
मनमोहन कुमार आर्य जीवात्मा जन्म व मरण धर्मा है। ईश्वर की व्यवस्था से इसे अपने पूर्व जन्मों के कर्मानुसार जाति, आयु व भोग प्राप्त होते हैं। इन तीनों कार्यों को प्राप्त करने में यह परतन्त्र है। जीव जन्म लेने के बाद कर्म करने में तो स्वतन्त्र है परन्तु उनके फल…