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मेरे ही कफन का साया छिपाया है - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
ओठों ने करके दफन अपने तेरे प्यार को भुलाया है सताया है रूलाया है मुझे तेरा यादों ने बुलाया है। चाहा था दिल में, हम गम की कब्र खोदेगें दिल का क्या कसूर, जो इसमें गम ही नहीं समाया है। दिखती है मेरे लबों पर, तुमको जमाने भर की हंसी हॅसी में मेरे…