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चुनावी खुशबू ‘आप’ को समझा गई चुप्पी हानिकारक है ? - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
पारसमणि अग्रवाल चुनावी दस्तक होते ही राजनैतिक दलों में हलचल मच जाती है। गोटें बिछने का दौर शुरू हो जाता है और सियाशी रोटियां सिकने लगती है। राजनैतिक पण्डितों की दुकानें खुल जाती हैं। छुटभैया नेता भी बरसाती मेंढ़क की तरह बाहर निकल आते है। हर सियाशी दलों के नेताओं…