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भारतीय चिंतन में नारी दृष्टि - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
-हृदयनारायण दीक्षित मां सृष्टि की आदि अनादि अनन्य अनुभूति है। प्रत्येक जीव मां का विकास है। मां प्रथमा है। दिव्यतम् और श्रेष्ठतम् अनुभूति है मां। इसलिए सभ्यता विकास के प्रारंभिक चरण में ही मनुष्य को जहां-जहां अनन्य प्रीति मिली, वहां-वहां उसने मां की अनुभूति पाई। जल जीवन का प्राण है।…