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जोखिमभरा बचपन सभ्य समाज की त्रासदी - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
-ललित गर्ग- इक्कीसवीं सदी का सफर करते हुए तमाम तरह के विकास के वायदें तब खोखले साबित हो रहे हैं जब हम अपने बचपन को उपेक्षित होते एवं कई तरह के खतरों से जूझते देखते हैं। निश्चित रूप से यह चिंताजनक है और हमारी विकास-नीतियों पर सवाल भी उठाती है।…