The True Beauty : द ट्रुथ इज ब्यूटी

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rainbow-bala1The True Beauty: ब्यूटी शब्द यानि सुन्दरता यानि आकर्षण से भरा हुवा शब्द.यह वो जादूई (तिलिस्म) शब्द है जिसे सुनते ही इंसान के दिमाग में एक अजीब सी हरकत पयदा (जन्म जन्म लेती है) हो जाती है.उसके दिमाग में सवालो की एक लम्बी सी कतार होती है.दरसल यह शब्द ही ऐसा है जिसके सुनते ही मन में अजीब तरह के हजारो सवाल आना स्वाभाविक है.यहाँ मै शुक्रगुजार हू उस महान कवि का (जॉन कीट्स) जिनकी कविता को मायने 1989 में पढ़! था जब मई इंटरमीडाइट में दाखिल हुवा . मेरे दिमाग में उनकी कुछ लाइनओ ने इस तरह से प्रभाव (छाप) किया की और मेरे जेहन मे सुन्दरता की अद्भुत और आकर्षित रूप रेखा थी वह पूरी तरह से बदल गयी जीवन मे वास्तविक सुन्दरता (ब्यूटी) किया होती है तब समझ पाया और शुक्र गुजार हु हमारे पाठ्क्रम मे उस कविता को शामिल करने वाले महानुभावु (लोगो का) जिन्हों ने उसको पाठ्क्रम मे शामिल करने का अति उत्तम (उचित) आयु को समझा. समानता सभी विधार्थी लोग जब इंटर करते होतो है तब उनकी आयु लगभग 15-17 के बीच होती है और यह उम्र उमंगो वाली होती है, नये सपने मन मे होते है, दुनिया को वह सभी अपनी नज़र से देखते है, यह युवा अवस्था की सीढ़ होती है, शरीर उमंग, तरंग और कम्पन से भरा होता है.उसके दिमाग मे खूबसूरती का मतलब… बेस्ट चेहरा (सबसे अच्छा और सबसे प्यार चेहरा होता है) .और वह उसकी तलाश में रहता है.यह ही वो वक़्त होता है जब उस महान कवि(शायर) की पंक्तियाँ उसके दिमाग पर अपना प्रभाव (छाप) सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह से डाल सकती है या जाती है

चले उस महान कवि (शायर) की प्रथम पंक्तियाँ को ज़रा मरन (अवलोकन,अध्ययन) करे जिसमे उसने शारीरिक यानि जिस्मानी खूबसूरती को बताया (वर्णन किया) है The True Beauty यानि वो सुन्दर चेहरा जिसमे आँखो (नज़र, नयन) बिलकुल हिरण की तरह आँखें होती है, चुंबकीय (दिलकश अंदाज) शक्ति के साथ बड़ी आँख, बड़ी और धार आँखें, होंठ की समानता उन्हों ने कोरल, मूंगे की तरह किया है जो पतली और आकर्षित होते है, गालो को गुलाब की पंखुडी की तरह बताया है.जिसमे हसने पर एक ख़ूबसूरत गढा (गोला,छेद) बनता, यह कुछ ख़ूबसूरत समानता (समरूपता) बताई है जो एक सुन्दर और और अकर्ष्टि व्यक्तितिव मे पाए जाती है और हर इसान (मानव) इसकी अपनी जीवन साथी मे कामना करता है, उसको उसा परमप्रिय एसा ही मिले और वह उसकी तलाश मे रहता है. लेकिन किया यही है वास्तविक सुन्दरता है किया यही जीवन की असली सुन्दरता है, किया यही जीवन के अंत तक रहने वाली सुन्दरता है…… शायद नहीं. क्योंकी यह सुन्दरता तो मिट जाने वाली है, इसका अंत एक दिन होना ही है, इसका आकर्षण एक दिन समाप्त हो जायेगा , मान लो अगर आपको उपरोक्त सभी बातो से भरी हवी, अति सुंदर खोज मिल भी जाती है तो किया वह जीवन तक साथ निभाएगी…. नहीं…..…….नहीं……..…नहीं…………….…

अल्लाह न करे किसी हादसे मे उसके शरीर (मुख) से यह सारी आभा , आकर्षण, सुन्दरता चली जाती है तो तब आपकी खोज- असली सुन्दरता (The True Beauty) का तो अंत हो गया न. तब आपका अगला कदम किया होगा…… ……….?

अब आता है समय उस महान कवि (शायर) की सोच का दूसरा पहलू ., जो उस युवा , आयु, मे अगर हमारे जेहन, दिमाग मे घर कर गयी तो तब हम असली सुन्दरता का मतलब समाज सकेगे……….

The True Beauty…..यानि…Spiritual ….. आध्यात्मिक, मानसिक, आत्मा की सुन्दरता.., Character ….यानि चरित्र की सुन्दरता, स्वाभाव की सुन्दरता, प्रेरक और व्यवहार की सुन्दरता किसी दिए हुवे काम को सुंदर ढंग से करने की सुन्दरता, आत्मसममान से भरे हुए आत्मा की सुन्दरता. वास्तव मे सुंदर शब्द देखने मे तो एक छोटा सा शब्द है लेकिन अगेर हम इसमे झांक कर देकेह तो इसमे पूरा संसार समाया हुवा है.मै यह नहीं कहता की शारीरिक सुन्दरता का अपना महत्त्व नहीं है…… है लेकिन उसके ऊपर भी एक सुन्दरता है… …जिसे हम व्यक्तित्व (शख़्सियत) की सुन्दरता कहते है…… जिसे कोई जीवन का हादसा आपसे नहीं छीन सकता है, जो न मिटने वाला अल्लाह का दिया हुवा नायब तोहफा है.न आग इसको जला सकती है और न पानी इसको बहा सकता है न कोई राजा इसे आपसे छीन सकता है जीवन मे यह आपके साथ आया है और आपके साथ ही वापस जायेगा ! शारीरिक सुन्दरता तो आपके जाने से पहले ही आपका साथ छोड़ देगी यह समानता 10-15 वर्षो तक ही आपकी साथी होती है लेकिन आत्मा, Vayavahar और चरित्र की सुन्दरता अमर है , जो युगों तक रहने वाली है…. . अगर विश्वास नहीं होता तो आये हम इसे भी सिद्ध कर देते है…. यहाँ पर हम कुछ उदहारण देते है…. .सुख्रात, राजा राम मोहन राव , महात्मा गाँधी, जवाहर लाल नेहरु , अबू कलाम आजाद , डॉ . आंबेडकर , स.चन्द्र बोस , लाल बहादुर शास्त्री, नेल्सन मंडेला , राजीव गाँधी, धीरू भाई अम्बानी, जे .आर टाटा, मदर टेर्रेसा , इंदिरा गाँधी, …….यह सभी लोगो ने, और कई नाम जिनकी शायद गिनती ही न ख़त्म होगी… . जो शारीरिक तौर पर सामान्य (General) थे… .पर उनका चरित्र और आचरण बेमिसाल है , सुख्रात जो सामान्य तौर पैर मोटी नाक और चौडी मुख वाले दार्शनिक थे लेकिन उनका बलिदान आज संसार मे अमर है उन्होंने विष का पियाला इस मानुवजात के लिए पिया और अपनी प्राण निछावर कर दिया. जो अमर हो गया और इस मानव जाति के रहने तक अमर रहेगा………………

तो भाइयो और दोस्तों… .यह है वास्तविक सुन्दरता… , शरीर तो नश्वर (नाशवान, मिटने वाला)है पर आत्मा तो अमर है. हमे अपनी साथी के अंदर शरीर से ज़यादा अधत्मिक खूबसूरती को महत्व देना चाहेये… वह खूबसूरती की तारीफ परिवार ही नहीं… . दूसरे लोग भी करे, वह खूबसूरती हमारे रहने या न रहेनी पर भी… . हमारी गाथा करे हमे मोनालिसा के साथ साथ मदर तेर्रेसा की छवि को भी अपनी दिमाग मे रखना चाहिए मोना लिसा की गाथा तो बस उसकी मुस्कराहट के लिए ही प्रसिद्ध है अगर आप किसी से भी पूछे की मोनालिसा कौन थी जवाब सिर्फ और सिर्फ एक ही होगा….वह एक खूबसूरत औरत थी जिसकी मुस्कराहट (एक कारण) आज भी एक रहस्य ही है लेकिन अगर आप किसी से यह बोले की मदर तेर्रेसा कौन थी तो वह एक नहीं हजारो कारणों के लिए इस धरती पर अमर है .

तो सभी युवा जानो आज शपथ लेते है… … की हम चरित्र की खूबसूरती, आत्मा की खूबसूरती, व्यक्तित्व की खूबसूरती को…और शारीरिक सुन्दरता को भी… लेकिन प्राथमिकता व्यक्तित्व को होगी, न की शरीर की खूबसूरती को … …

Jai Bharat……..

4 COMMENTS

  1. इसरार जी आपने ’’सत्य ही सुन्दरता’’ पर बहुत ही अच्छा लेख लिखा है। इन विषयों को मिडिल एवं हाई स्कूलों में नैतिक शिक्षा के रूप में अनिवार्य रूप से पढाया जाना चाहिए फिर देखिऐ हमारे समाज में चोरी, बलात्कार, हत्या आदि जघन्य अपराधों में कैसे कमी नहीं आती है।

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