दो सदियों से सत्ता का केंद्र रहा है व्हाईट हाउस

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लिमटी खरे

कहा जाता है कि लगभग दो सदियों से दुनिया का चौधरी बना बैठा है अमेरिका। अमेरिका की खोज क्रिस्टोफर कोलंबस के द्वारा 12 अक्टूबर 1492 में की थी। अमेरिका इसके बाद ही यूरोप में खुर्खियों में आया। कहा जाता है कि कोलंबस के बहुत पहले वाईकिंग कहे जाने वाले नॉर्स लोगों ने अमेरिका में अपनी बस्तियों की स्थापना की थी। आईसलेंड की कथाओं के अनुसार 908 में एरिक द रेड के नेतृत्व में नॉस लोगों ने दक्षिणी ग्रीनलेण्ड में अपने कबीलों की स्थापना की थी। इसके बाद साल 1300 में इन बस्तियों को उजाड़ दिया गया था। न्यूफाऊॅडलेण्ड के लांसे ऑक्सस मेडोज में पाए गए पुरातात्विक अवशेष जिन्हें नॉर्स बस्तियों के रूप में जाना जाता है वह एक धरोहर ही है। दुनिया का सबसे शक्तिशाली व्यक्ति अर्थात अमेरिका का राष्ट्रपति का निवास व्हाईट हाऊस के रूप में जाना जाता है। इसकी नींव 1792 में रखी गई थी। इसे जार्ज वाशिंग्टन ने बनवाया था, पर वे इसमें रह नहीं पाए। यह स्थान तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन और मोनिका लेवेंस्किी के प्रेम प्रसंगों के कारण चर्चाओं में आया था।

दुनिया के चौधरी अमेरिका के प्रथम पुरूष के सरकारी आवास व्हाईट हाउस में अश्वेत राष्ट्रपति बराक ओबामा भी रह चुके हैं। व्हाईट हाउस पिछले 200 सालों से विश्व की सत्ता और असीमित शक्ति का केंद्र बना हुआ है। इन दो शताब्दियों में इस सरकारी आवास ने न जाने कितने उतार चढाव देखे हैं।

आठ साल में अस्तित्व में आए इस व्हाईट हाउस का नामकरण अलग अलग रूप से किया जाता रहा है, कभी इसे प्रेजिटेंड पेलेस, तो कभी प्रेजिडेंशियल मेंशन तो कभी प्रेजिटेंड हाउस के नाम से पुकारा जाता रहा है। सन 1811 में इसे पहली बार व्हाईट हाउस के नाम से जाना गया। इसके निर्माण में लगभग 600 कामगारों का उपयोग किया गया था। बताते हैं कि इनमें से दो तिहाई से अधिक कामगार गुलाम हुआ करते थे, जिन्हें साठ डालर प्रति साल ंके हिसाब से मेहनताना मिलता था।

इस इमारत की नींव 13 अक्टूबर 1792 में रखी गई थी। विडम्बना ही कही जाएगी कि जार्ज वाशिंग्टन की देखरेख में 1800 तक चले इसके निर्माण के उपरांत वे इसमें रहने का सुख नही पा सके थे। इस भवन में रहने वाले प्रथम राष्ट्रपति थे जॉन एडम्स।

अमेरिका गणराज्य के पहले राष्ट्रपति जार्ज वाशिंगटन ने पोटोमैक नदी के किनारे पेंसिलवेनिया एवेन्यू में एक जगह का चयन कर दिसंबर 1790 में एक कानून पारित करवाकर इसके निर्माण की बुनियाद रखी थी। इस विशाल भवन का आर्किटेक्ट भी कोई और नहीं वरन आयरिश नक्शेकार जेम्स हॉबन थे। कुल नौ प्रस्तावों के चयन के उपरांत हॉबन को बेहतरीन डिजाईन के लिए स्वर्ण पदक से सम्मानित भी किया गया था।

विश्व भर में सबसे ताकतवर मानी जाने वाली शक्सियत के इस सरकारी आवास के स्वरूप में भी समय समय पर परिवर्तन किया जाता रहा है। 1805 में तत्कालीन राष्ट्रपति थॉमस जेफरसन ने इसमें कुछ अतिरिक्त कक्षों का निर्माण करवाया था। 1814 में ब्रिटिश सेना ने इसके कुछ हिस्सों को आग के हवाले भी कर दिया था। इसके बाद 1817 में तत्कालीन महामहिम जम्स मुनरो ने इसकी मरम्मत का काम करवाया था। इतना ही नहीं 1929 में भी आग के चलते इसके पश्चिमी भाग को काफी नुकसान उठाना पड़ा था।

व्हाईट हाउस को समय समय पर महामहिमों की इच्छा के अनुरूप जनता के लिए भी खोला जाता रहा है। सबसे पहले थामस जेफरसन ने 1805 में पदभार ग्रहण करते समय यहां रियाया को आमंत्रित किया गया था। यह क्रम 1885 तक बदस्तूर जारी रहा। इसके बाद ग्रोवर क्लीवलैड ने इस प्रथा पर विराम लगा दिया। इसके बाद विवादित महामहिम बिल क्लिंटन ने नए साल के मौके पर जनता के लिए कुछ समय हेतु इसे खोलने की परंपरा का आगाज किया।

व्हाईट हाउस सबसे अधिक चर्चाओं में बिल क्लिंटन के कार्यकाल में ही आया। मोनिका लेविंस्की और क्लिंटन के अवैध संबंधें के चलते दुनिया भर की नजरें व्हाईट हाउस पर आ टिकीं थीं। इन दोनों के प्रेम प्रसंगों पर न जाने कितने लेखकोें ने मनगढंत कहानियां गढ़कर खासी कमाई भी कर ली थी।

18 एकड़ क्षेत्र में बने अमेरिका के प्रथम नागरिक का सरकारी आवास कुल 168 फिट लंबा और 137 फिट चौड़ा है। यह दक्षिण दिशा में 70 फिट तथा उत्तर दिशा में साठ फिट उंचा है। इसकी बाहरी दीवारों को सफेद रंग से रंगने के लिए 300 गेलन पेंट का उपयोग किया जाता है।

इस भवन में कुल 132 कमरे हैं, जिनमें 16 बेडरूम, एक मुख्य रसोई, एक आहार रसोई, 35 गुसलखानों का शुमार है। भूतल मंे एक प्रमुख गलियारे के अलावा अनेकानेक विश्राम कक्ष, मीटिंग हाल, गुसल आदि मिलाकर इसका कुल कारपेट एरिया 55 हजार वर्ग फुट है।

विश्व के सबसे शक्तिशाली महानायक के इस सरकारी आवास में अनेकानेक बार सेंध भी लग चुकी है। 1974 में अमेरिकन आर्मी का एक चोरी गया हेलीकाप्टर इस परिसर में उतरा गया था, इसके अलावा 20 मई 1994 में उल्का विमान भी इस भवन की सैर कर चुका है। 1995 की आतंकवादी घटना और 11 सितम्बर (9/11) की घटना के बाद इस इमारत की चौकसी बढ़ा दी गई।वर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर अनेक आरोप लग रहे हैं। उनके खिलाफ अमेरिका में देश भर में प्रदर्शन भी चल रहे हैं। डोनाल्ड ट्रंप को मस्त मौला भी माना जाता है। उनके कार्यकाल में अनेक निर्णयों पर ऊॅगलियां भी उठी हैं। उनके अनेक निर्णय विवादस्पद भ माने जाते रहे हैं। दुनिया भर में अमेरिका की बादशाहत कामय मानी जाती है। अमेरिका से नाराजगी मोल लेने को कोई भी देश तैयार नहीं दिखता पर कुछ सालों में अनेक देशों ने अमेरिका को आंखें दिखाकर इसका जलजला कम करने का प्रयास किया है। माना जाता है कि कोई भी परंपरा दो ढाई सौ साल के बाद दम तोड़ने लगी है। इसके लिए गलत नीतियां ही प्रमुख रूप से जवाबदेह मानी जाती हैं। अगर इसी तरह और भी देशों के द्वारा अमेरिका की मुखाफलत करना आरंभ रखा गया तो दुनिया के चौधरी की चमक कम होने में देर नहीं लगेगी।

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लिमटी खरे
हमने मध्य प्रदेश के सिवनी जैसे छोटे जिले से निकलकर न जाने कितने शहरो की खाक छानने के बाद दिल्ली जैसे समंदर में गोते लगाने आरंभ किए हैं। हमने पत्रकारिता 1983 से आरंभ की, न जाने कितने पड़ाव देखने के उपरांत आज दिल्ली को अपना बसेरा बनाए हुए हैं। देश भर के न जाने कितने अखबारों, पत्रिकाओं, राजनेताओं की नौकरी करने के बाद अब फ्री लांसर पत्रकार के तौर पर जीवन यापन कर रहे हैं। हमारा अब तक का जीवन यायावर की भांति ही बीता है। पत्रकारिता को हमने पेशा बनाया है, किन्तु वर्तमान समय में पत्रकारिता के हालात पर रोना ही आता है। आज पत्रकारिता सेठ साहूकारों की लौंडी बनकर रह गई है। हमें इसे मुक्त कराना ही होगा, वरना आजाद हिन्दुस्तान में प्रजातंत्र का यह चौथा स्तंभ धराशायी होने में वक्त नहीं लगेगा. . . .

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