डॉ. मधुसूदन
(एक) आलेख सारांश:ॐ==> चंद्रयान शब्द कैसे बना ?ॐ===>संस्कृत शब्द के सरल पारदर्शक अर्थ। ॐ===> इसी संदर्भ से, (आधार ) अन्य रचे गए अन्य शब्द।
(दो)प्रश्न: चंद्रयान शब्द कैसे बनता है? प्रकाश डालें।
उत्तर चंद्रयान शब्द चंद्र और यान ऐसे दो अंशों को जोडकर बना है।इसी विधाको कुछ गहराई से समझा जा सकता है।पहले यान शब्द का मूल देखते हैं। यान शब्द या- याति धातुमूल (जड) से निकला है।मूल धातु है, या – याति (संदर्भ: Dhatukosha-pg 105 -A higher Sanskrit Grammar. bu M R Kale) इस धातु का अर्थ उसी पुस्तक में अंग्रेज़ी में बताया है===> to go, to invade, To pass away.अर्थात हिन्दी में ==> जाना. या आक्रमण करना, या बगल से निकलना। {अधिक जानकारी के लिए संस्कृत के जानकार (और उत्सुक) पाठक, निम्न परिषिष्ट देखें।} अन्य पाठक परिशिष्ठ की उपेक्षा कर आगे पढें। (तीन)परिशिष्ट ——————————————————————-संस्कृत शब्दों की जड या मूल होते हैं। जिन्हें धातु कहते हैं।इन धातुओं पर उपसर्ग और प्रत्यय लगाकर अनेक शब्द रचे जा सकते हैं। जो अपना अर्थ भी पारदर्शक रीति से साथ लेकर चलते हैं। वैसे समास और संधि की प्रक्रियाएँ भी उन रचित शब्दों की संख्या और बढा देती हैं। और धातुओं को भी पाँच विधाओं से बढाया जा सकता है।अर्थात हमारे २०१२ मूल धातु हैं, उनपर ५ प्रकार की व्याकरणशुद्ध प्रक्रियाओं से (धातुओं की) उनकी संख्या और भी बढ सकती है। फिर २२ उपसर्ग और सैंकडों प्रत्ययों से रचित शब्द संख्या बढाई जा सकती है। इसी के चलते किसी भी अर्थ का शब्द संस्कृत में रचा जा सकता है। और वह शब्द अपना अर्थ लेकर भी चलता है।ऐसी सुविधा लेखक को अन्य किसी भाषा में दिखाई नहीं देती। इसी कारण लेखक को हमारी संस्कृतनिष्ठ प्रादेशिक भाषाएँ भी समृद्ध प्रतीत होती है। साथ साथ भारत की एकता के लिए भी यह बिन्दू महत्व रखता है। ऐसी स्थिति में प्रतिस्पर्धा करे ऐसी विश्व की कोई भाषा दीखती नहीं।——————————————————————–(चार )शब्दरचना के अन्य उदाहरण:फिर यान से जोडकर और भी शब्द बनाए जा सकते हैं।उदाहरणार्थ ((१) वायुयान (२) आकाशयान (३) अवकाशयान (४) मंगलयान, (५) लोकयान (६) रेलयान (७) स्वचलयान (८) जलयान यदि उसी प्रकार से काल्पनिक शब्द बुधयान, गुरुयान, शुक्रयान इत्यादि भी सोचे जा सकते हैं। इनमें से कुछ सब्द संस्कृत भारती अपने शब्द कोशों में देती भी है। (१) वायुयान और (२) आकाशयान, विमान जैसे शब्द ऐरोप्लेन के लिए प्रयोजे जाते हैं।(४) मंगलयान मंगल पर जाने का अर्थ लेकर चलता है। (५) लोकयान= बस गाडी के लिए संस्कृत भारती प्रयोग में लाती है। और रेलयान=रेलगाडी के लिए। उसी प्रकार स्टीमर के लिए जलयान का प्रयोग किया जाता है।(६) उदाहरण के लिए , स्वचलयान शब्द देखिए। यह स्व+चल+यान जोडकर बना है।उसका अर्थ होगा स्वयं हो कर जो वाहन (गाडी) चलता है ।वास्तव में यह ऑटोमोबाइल शब्द का ही अर्थ व्यक्त कर रहा है।और Automobile का स्वयं (बिना खिंचे वा धक्का खाए) चलनेवाली गाडी को स्वचलयान कहा जा सकता है।संस्कृत के शब्द सिंधु में अन्य धातु भी हैं, जिनके उपयोग से इसी अर्थ के शब्द रचे जा सकते हैं।बिजली से चलनेवाली गाडी को विद्युत-यान कहा जा सकता है। भाँप से चलनेवाली गाडी बाष्प-यान कही जा सकती है। संस्कृत के बाष्प शब्द के मूल से प्राकृत हिन्दी का भाँप बना हुआ है।संस्कृत की अतुल्य शब्द रचना से यह शब्द सरलता से निकाला जा सकता है।(पाँच) या-याति (धातु) से विस्तरित शब्द परिवार:इसी धातु पर आधारित हिन्दी के प्रचलित कुछ शब्द दिखाए जा सकते हैं।(१) यात्रा=एक स्थान से दूसरे स्थान को जाने की क्रिया, प्रस्थान, प्रयाण, तीर्थाटन, इत्यादि (२)यात्री (३) यातव्य =आक्रमण करने योग्य। (४) यातायात ==>यात+आयात =आना-जाना (५) यातिक=पथिक, यात्री (६) यात्राकार (७) यातोपयात (८) निर्यात (९) आयात (१०) और इस आलेख का यान ।जिज्ञासु अनुरोधकर्ता मित्रों का धन्यवाद करता हूँ। अस्तु .
मधुसूदन जी ने संस्कृत और हिन्दी के विषय में कई लेख लिखे किन्तु लेख चंदरयान शब्द का अनुसंधान तो एक निराला और श्रेष्ट्ठ लेख हैं। इस लेख में उदाहरणो द्वारा यह बताया गया हैं के संस्कृत द्वारा शब्द रचना कैसे की जाती हैं। इन उदाहरणो से यह सिद्ध होता हैं के संस्कृत और हिन्दी द्वारा लाखो ,करोड़ो नहीं बल्कि अनगनित शब्दों की रचना की जा सकती हैं। जबकि अन्य कई भाषाओ में यह सुबिधा नहीं हैं के नए शब्दों की रचना कर सके। आरम्भ में अंग्रेजी भाषा में केवल ५०० शब्द थे। अंग्रेजो ने नए शब्दों की रचना करने की बजाय विश्व के कई देशो की भाषाओ से शब्द अपनाए आरंभ में तो अंग्रेजी ने ग्रीक जर्मन फ़्रांसिसी भाषा से शब्द अपनाए किन्तु बाद में तो अन्य भाषाओ से भी शब्द अपनाए। भारत में कई लोग कहते हैं के अंग्रेजी ने इस वर्ष इतने हजार शब्द अपनाए और हिंदी ने कितने नए शब्द अपनाए। ऐसा प्रश्न तो यह बताता हैं के भारत में कई ऐसे लोग है जिन्हे संस्कृत और हिंदी शब्द रचना का कोई ज्ञान नही हैं। मधुसूदन जी का यह लेख इतना प्रेरणादायक है के यदि यह लेख गैर हिन्दी भाषाओ को बताया जाए तो बह लोग भी हिंदी सीखना चाहेगे और कुछ लोगो को संस्कृत और हिंदी सिखने की प्रेरणा मिलेगी। हिंदी में भी शब्दों का भण्डार हैं किन्तु फिर भी बहुत से मीडिया के लोग और जनता के लोग हिंदी में उर्दू, फ़ारसी अंग्रेजी भाषा के शब्दों का प्रयोग करते हैं। ऑक्सफ़ोर्ड शब्दकोष में लगभग १. ५ लाख शब्द हैं और लगभग २०,००० शब्द हर बर्ष दूसरी भाषाओ से लेकर जोड़े जाते हैं। किसी भाषा में कितने शब्द हैं यह बताना कठिन शब्द हैं क्योंकि कुछ शब्द प्रचलन से बाहर हो जाते हैं। स्वंत्रता के समय डॉक्टर रघुबीर ने लगभग एक लाख नए हिंदी शब्दों की रचना करके नेहरू को दी थी किन्तु नेहरू ने उन शब्दों का प्रचलन नहीं करवाया। इस से यह बात तो सिद्ध हॉट हैं के हिंदी में भी शब्दों की कोई कमी नहीं इसलिए हिंदी में उर्दू फ़ारसी और अंग्रेजी शब्दों का प्रयोग बंद होना चाहिए