तब हर पल होली कहलाता है।

0
233

जब घुप्प अमावस के द्वारे

कुछ किरणें दस्तक देती हैं,

सब संग मिल लोहा लेती हैं,

कुछ शब्द, सूरज बन जाते हैं,

तब नई सुबह हो जाती है,

नन्ही कलियां मुसकाती हैं,

हर पल नूतन हो जाता है,

हर पल उत्कर्ष मनाता है,

तब मेरे मन की कुंज गलिन में

इक भौंरा रसिया गाता है,

पल-छिन फाग सुनाता है,

बिन फाग गुलाल उङाता है,

दिल बाग-बाग हो जाता है,

जो अपने हैं, सो अपने हैं,

वैरी भी अपना हो जाता है,

मन मयूर खिल जाता है,

तब हर पल होली कहलाता है।
!! होली मंगलमय!!
अबकी होरी, मोरे संग होइयो हमजोरी।

डरियों इतनो रंग कि मनवा अनेक, एक होई जाय।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here