दुनिया में सबसे सहनशील धर्मपंथ -हिंदुत्व

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विजय सोनी

भारत में तथाकथित धर्मनिरपेक्षतावादी लोगों ने जहाँ हिन्दुओं को और हिंदुत्व को हिन्दू आतंकवाद तक का नाम दे दिया है वहीँ ये जानना भी आवश्यक है की “व्हाट इस इंडिया ” मुझे बड़ी प्रसन्नता हुई की  भारतीय दर्शन से दुनिया कितनी प्रभावित है ,इस किताब ने दुनिया भर के महान फिलासफर से लेकर वैज्ञानिकों सहित जानी मानी विश्व प्रसिध्ध हस्तियों की भारतीय संस्कृति कला और जीवन जीने की पध्धति को श्रेष्ठ और अनुकर्णीय   माना है ,उन सभी के विचारों को एक ही किताब में संकलित कर सलिल जी, जो शिलोंग मेघालय के निवासी हैं,  ने एक ऐसा महान कार्य किया है जिसके माध्यम से आज के तथाकथित प्रगतिशील और आधुनिक माने जाने वाले लोगों की आँखें खुलेंगी ,हिन्दू को या हिंदुत्व को उग्र कहने वालों को समझ लेना चाहिए की वास्तव में ये निर्विवाद सत्य है की इस देश के वेद-पुराण ने मनुष्य  को दया ,अहिंसा,मानवता प्रेम,शील,शान्ति,करुणा,समता एवं बंधुत्व का मार्ग बता कर सम्पूर्ण विश्व को आलोकित किया है,यही तो वो देश है जिसमे सारे जीव जन्तुं ,पशु पक्षी ,नदी पहाड़ों ,तक को देवतुल्य स्थान दिया और निभाया भी है ,समाज में आज भी इन मूल्यों का कोई तोड़ नहीं है ,समता,बंधुता,नैतिकता की स्वास्थ्य परंपरा हमारे रग रग में निहित है ,युवा पीढ़ी अपनी राह से भटक कर पश्चिम से भौतिकता की और आकर्षित हो रही है ,जीवन मूल्यों और आवश्यकताओं की परिभाषा बदल रही है ,ऐसे में ये किताब एक नसीहत समझें या चेतावनी किन्तु सत्य तो सत्य ही है इसी लिए क्योन फ्रेद्रिका जी ने कहा है की “आप भारतीय भाग्यशाली हैं जिनको ज्ञान विरासत में मिला ,मुझे आपसे ईष्र्या है ,ग्रीस मेरा देश है किन्तु मेरा आदर्श भारत है “निश्चित ही उक्त महान फिलासफर ने समझाने में कोई कसार नहीं रखी समझाना हमारा काम है,जर्मनी के फिलासफर आर्थर जी का ये कोटेसन की “सारी दुनिया की शिक्षा मानवता के लिए उपनिषद् से ज्यादा मददगार नहीं है ” इतना विश्वास उपनिषद् के प्रती दिखाया  और माना गया है ,इसे आप क्या कहेंगें की जिस देश के उपनिषद् दुनिया भर में ग्राह्य है वहां के कर्णधारों ने शिक्षा के अन्य मापदंड तय कर लिए हैं ,या हम ये कह सकते हैं की हम भटक रहें हैं ,वेलन्ताइन डे धीरे धीरे हमारी जीवनशैली बन रहा है ,अंग्रेजी स्टाइल की वो संस्कृति जिससे खुद अंग्रेज ऊब रहें हैं हम उसे नवीनता मान कर अंधानुसरण कर रहें हैं ,एक ग्रीक लेखक महोदय ने लिखा है की दुनिया की कोई भाषा संस्कृत से ज्यादा सरल स्पष्ट नहीं हैं ,ये ग्रीक लेखक कह सकतें हैं हमारे यहाँ यदि कहा जाएगा तो उसे धर्म निरपेक्षता की दुहाई देकर चुप कर दिया जावेगा .
ये सच है भारतीय इतिहास आक्रमणकारियों -आक्रान्ताओं का शिकार रहा है ,सात पीढ़ियों के मुस्लिम शाशन के बाद २०० वर्षों तक हमने अंग्रेजों की गुलामी भी सही ,देश आज़ाद हुवा किन्तु जिम्मेदार  लोग कहें या नीति निर्धारक कहें या शासन करने वाले लोग कहें किसी ने भी इन मूल्यों के प्रति अपनी सही और प्रगट आस्था नहीं जताई, केवल वोट के लिए एक नया सिधांत बना दिया गया “धर्मनिरपेक्षता” इस शब्द को विकृत रूप में प्रयोग किया जाने लगा केवल वोट प्राप्त करने तथा एक वर्ग विशेष को प्रभावित करने के प्रयास में हमने तुष्टिकरण मात्र किया जब की दुनिया मानती है की अँधेरे में यदि कोई रह दिखा सकेगा तो केवल भारतमाता की कोख से उपजी “श्रीमद भागवत” गीता का ज्ञान जिसने अन्याय को सहन करना भी अन्याय माना है ,विलिअम बटलर जी ने भी इसे श्रेष्ठ फिलासफी माना है ,भारतमाता की गोद में बहने वाली नदियाँ गंगा -गोमती  भी केवल जल प्रवाह करने वाली नदिया ही नहीं अपनी परम विशेषताओं के कारण इन्हें देव तुल्य दर्जा प्राप्त है ,इस किताब के लेखक  सलिल जी साधुवाद के पात्र हैं ,मेरी अपनी राय है की “व्हाट इस इंडिया” को देश की संसद -विधान सभाओं सहित सभी स्कूल कालेजों में अनिवार्य रूप से पढ़ाया जाना चाहिए ताकि आने वाली नस्ल को हम देश की वास्तविक और स्थापित मान्यताओं के साथ जोड़ सकें.
आधुनिक विज्ञान भारतीय वेद पुराण और उपनिषदों से ऊपर नहीं है ,बहुजन हिताय -बहुजन सुखाय के आधारबिन्दु हमारे प्राचीन साहित्य हैं ,श्री बर्नार्ड शाह जी का स्पष्ट मत है की “दुनिया में सबसे ज्यादा सहनशील यदि कोई धर्मपंथ है तो केवल हिंदुत्व है ” हिन्दुइजम सत्य के मार्ग को बताने वाला और सही राह पर चलनेवाला धर्म हिन्दू है जो ईश्वर की बताई राह की और मानवता को अग्रसर करता है ,श्री बी एस नाल्पौल जी के मतानुसार “हिन्दू पंथ  सामान्य मनुष्य के लिए अनुकरणीय है ” जड़ता -दासता से मुक्ति केवल हम दिला सकते हैं ,जहाँ महान विचारकों ने इस प्रकार आस्था प्रगट की है वहीँ यथार्थ में आज की दशा और दिशा जिस पर हम चल रहें हैं वो निश्चित ही भटकाव कहा या देखा जा सकता है इसलिए भी मेरा ये स्पष्ट मत है की व्हाट इज इंडिया के लेखक सलिल जी ने इस किताब को लिख कर विश्व की हमारे प्रति सोच वो भी वास्तविक सोच को उजागर किया है इस किताब को एक अमूल्य धरोहर का दर्ज़ा दिया जा सकता है .
देश की स्कूल कालेज यदि थोडा सा भी प्रयास अपनी संस्कृति अपने वेद की बात करेंगें तो तथाकथित धर्मनिरपेक्षता वादी चोलेधारी लोग इसे भगवाकरण का नाम देने लग जातें हैं ,यदि योग की बात की जावेगी तो इसे एक हिन्दू एजंडा मान कर विरोध शुरू कर दिया जाएगा ,इसे विडम्बना ही नहीं देश का दुर्भाग्य ही कहा जावेगा की हमारे ज्ञान का लोहा दुनिया मानती है किन्तु हम इससे भाग रहें है ,सनातन धर्म की शास्वत और सर्वमान्य परम्पराओं से दुनिया लाभान्वित हो रही है ,इसके गुण गान कर रही है और हम “धर्मनिरपेक्षता” के ढोल अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए बजा रहें हैं ,ये सब अब ज्यादा समय तक नहीं चलेगा क्योन की ये साबित हो चुका है की “अति का अंत” सुनिश्चित है ,दुनिया ने माना अब सबको मानना होगा की शिक्षा हो या चिकित्सा ,ज्ञान हो या विज्ञान ,अर्थ हो या व्यापार ,संस्कार हों या परम्पराएँ भारतीय वेद पुराणों के मानक सिधांत सर्वोपरी थे हैं और सदा रहेंगें ,इस विषय में लिखने -जानने -कहने और सुनाने सुनने के लिए बहुत कुछ है ,किन्तु फ़िलहाल माननीय सलिल जी को कोटिशः बधाई .

21 COMMENTS

  1. अब यह किताब हिंदी में भी प्रकाशित हो रही है ,हिंदी अनुवाद श्री विश्वमोहन जी तिवारी एयर वाइसचीफ द्वारा ,किया गया है

  2. Seems to be a really good book..It will surely help us and our future generation to understand and learn more about our great peaceful religion Hinduism and our Culture…Feel proud to be a Hindu!!..Thanks and Congrats to Salil .Gewali.

  3. लेकिन एक सीमा तक ही यह सहनशीलता मान्य है.
    जिस तरह वीरों की उदारता और क्षमा स्तुत्य है वैसे ही हिन्दुओं की सहनशीलता को विश्व में मान्यता और गौरव के लिए वैसे ही सजग और समर्पित होना चाहिए जैसे की जापान,जर्मनी,फ़्रांस,ब्रिटेन और चीन के लोगों में राष्ट्रीय चेतना और नागरिक करत्व्य्शीलता दृष्टव्य है. यहाँ भारत में राजनीति,व्यपार,शिक्षा और मीडिया में जिनकी तूती बोल रही है वे महिलायें ही सबसे ज्यादा असुरक्षित क्यों हैं?देश भर में डकेती,लूटपाट,ह्त्या,बलात्कार अब आम बात होती जा रही है ये तमाम शोषक -शाशक और ऐय्यास वर्ग में जो तत्व शामिल हैं उनमें क्या सहिष्णुता के अलमबरदार आपको नज़र नहीं आये?

  4. विजयजी बहुत ही सुन्दर लेख है! हमारा इतिहास ही दुनियाको सुन्दर भविष्य की और ले जा शकता है, ये आप के इस लेख से भी प्रतीत होता है.
    भारत का प्राचीन इतिहास ये मेरा इतिहास है, आपका इतिहास है और जो भव्य है इसीलिए हमें इस प्राचीन संस्कृति पे गर्व है, लेकिन ये इतिहास इस बेगडी सरकार का नहीं इस लिए वह इसे विकृत कर रही है, क्यूंकि आने वाली पीढ़ी इसे समज न पाए और स्वाभिमान शून्य जीवन व्यतीत करे.
    अब ये सारा देश परकियोके हात में है और इस देश को बचाने के लिए बड़ा यद्यं करना होगा- वन्दे मातरम.

  5. दुनिया में सबसे सहनशील धर्मपंथ ,सबसे अनुकर्णीय धर्मपंथ हिंदुत्व है ,इसमें कोई दो राय नहीं है ,हमें गर्व है की हम हिन्दू हैं ,किन्तु देश की कांग्रसी सरकार ने हिन्दुओं को उग्र कह कर ,ना केवल हिन्दुओं का बल्कि साड़ी मानव और मानवता का अपमान किया है ,इस लेख के लेखक विजय सोनी जी और किताब व्हाट इज इंडिया के लेखक सलिल जी को बधाई .

  6. बहुत बढ़िया लेख बहुत बढ़िया किताब विजय सोनी जी और सलिल गेओली जी को बधाई

  7. हाँ अब समय आ गया है ,की हिंदुत्व विचारधारा को समझाने मानने वाले सभी दलों और व्यक्तियों को एक ही स्वर में कहना और करना होगा ,हिन्दू अत्यंत ही विनम्र सहज और अनुकरणीय धर्म है दुनिया मानती है ये इस लेख को पढ़ कर समझ आता है किन्तु कुछ लोग जो अपने आप को धर्मनिरपेक्षता का पालक कहतें है ,उनको भी सत्य को मनवाना है की हिन्दू को कभी भी वो उग्र न कहें .

  8. हिंदुत्व को लेकर जिन लोगों ने भ्रम पैदा किया उन सभी को इस लेख और व्हाट इज इंडिया किताब ज़रूर पढ़नी चाहिए लेखक को धन्यवाद ,इस किताब का लिंक भी देखा बहुत प्रभावित किया,एकदम सही कथन वेड पुराणो के बारे में दुनिया भर के लोगों ने किया ,हमें भी जागृत अवस्था में आना ही होगा

  9. अच्छा लेख है ,बधाई ,इस पुस्तक का लिंक भी सलिल गवली (लेखक ) जी की प्रतिक्रया के साथ मिला बहुत बहुत धन्यवाद ,किताब देश के लिए बहुमूल्य धरोहर है ,बधाई किताब के लेखक और विवेचक विजय सोनी जी को

  10. यदि पुस्तक का प्राप्ति स्थान व मूल्य मोटे अक्षरों में फोन न. सहित दें तो और अधिक उपयोगी सिद्ध होगा. उपयोगी लेख हेतु आभार.

  11. शायद हम भूल गए हमारे देश की सुरक्षा में प्रमुख रहे सिक्खों के साथ क्या हुआ . तभी तो इस परिवार को इतना महत्व दे रहे हैं.

  12. बहुत बहुत बधाई लेखक ने बहुत सही व्याख्या हिन्दू धर्म के बारे में की है ,धर्म की जय हो -अधर्म का नाश हो -प्राणियों में सद्भाव हो -विश्व का कल्याण हो -गो माता की जय हो

  13. I am extremely happy to go through ur thought-provokingly enlightening article on our book (which is equally yours too). As u have boldly pointed out that this book should be incorporated in the academic curriculum, i felt too delighted — as i wish it too intensely. And if it happens, a big change will take place. The people who are lost in illusive worlds will gradually turn towards our ageless scriptures to know and realize the TRUE meaning of life and the real meaning KARMA and its effect and thus our propose and the goal…..
    Well, let’s put all those so-called secularists/pseudo-elites in embarrassment who are branding Sanatan wisdom of India as communal. This book will be the greatest testimony.

    The preview of the book :https://www.scribd.com/doc/36498555/What-is-India#fullscreen:on

  14. जय श्री राम आदरणीय विजय सोनी जी और व्हाट इज इंडिया के लेखक श्री सलिल जी को साधुवाद बहुत सही लिखा गया हिन्दू को लेकर भ्रम पैदा करने वालों को ये एक करारा ज़वाब है .

  15. विजय सोनी जी आपको व आदरणीय सलिली जी को कोटिश: बधाई व धन्यवाद…

  16. लेखक जी आपने अच्छे उदहारण दिए हैं लेकिन आप ये बता दें कि कौन सा धर्म असहनशीलता और अहिंसा की बात करता है.

  17. आदरणीय विजय सोनी जी आपको व आदरणीय सलिली जी को कोटिश: बधाई व धन्यवाद…
    बहुत सुन्दर प्रस्तुती…भारतीय संस्कृति व हिन्दू धर्म का सुन्दर चित्रण आपके लेख में दिखा…
    आभार…
    सादर…

  18. भारत की यह अनोखी सहनशीलता मात्र बौद्धिक अथवा नैतिक सहन्शीलता नहीं है वरन इसका अधार हमारी आध्यात्मिक अनुभूति है, ‘एकत्वं अनुपश्यत:’ की अनुभूति है, विश्व सम्मानित हमारा संदेश ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ इस दर्शन का व्यावहारिक रूप है।

    किन्तु तब इस सहनशील देश की संस्कृति पर क्यों चौतरफ़ा आक्रमन हो रहे हैं?

    क्या हमें इतना सहनशील होना चाहिये कि हम असहनशीलता के अन्यायों को सहते रहें ?

    • मेरी मान्यता है की सहनशीलता हिन्दू धर्मं की सबसे बड़ी कमजोरी है| सर्व धर्मं समानत्व के विचार ने भी हिन्दू धर्मं का सर्वाधिका नुकसान किया है| स्वधर्म ही श्रेष्ठ है| इस्लाम और ईसाई धर्मावलम्बी अपने धर्मं को श्रेष्ठतम मानते हैं| हिन्दू हैं की सभी धर्मों को बराबर का मानते हैं| ऐसी लाचार मान्यता की वजह से भारत सैंकड़ों वर्षों तक इस्लाम और ईसाई धर्मावलम्बियों का गुलाम रहा|

  19. ४-५ वर्ष पहले, हमारी युनिवर्सिटि में गुंडेचा बधुओं का ध्रुपद परंपरा का शास्त्रीय गान संगीत का कार्यक्रम हुआ था। विशेष बात यह थी, कि समस्त श्रोता ओं को किसी परास्वप्न लोक में विहार करवा ने में संगीतकार सफल हुए थे। प्रगाढ शांति का अनुभव जलसे के बाद भी भंग नहीं हो रहा था। समय बीत जानेपर, कुछ बातचित जब होने लगी, तो मुझे एक मित्र प्रोफेसर ने पूछा, कि क्या, भारत ने कोई क्षेत्र बिना स्पर्श किए छोडा है ? आपने संसार को अंक दिए। संस्कृत जैसी सर्वोत्तम भाषा दी। देवनागरी जैसी पूर्णातिपूर्ण लिपि दी। योग दिया। ध्यान (योग) दिया। …….इत्यादि। ऐसा कौनसा क्षेत्र है, जिसको भारतने अस्पर्शित छोडा है?
    मेरा आत्म गौरव जगे बिना ना रहा।
    एक दुसरे प्रोफेसर ने कहा, कि जब ध्रुपद का आलाप चल रहा था, तो उन्हें इस विश्व निर्माण की प्राथमिक उत्क्रांत होनेवाली अवस्था का आभास हुआ।
    सोचा प्रवक्ता के पाठकों को अवगत करने के लिए सही अवसर है।

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