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धर्म और मजहब में बहुत अधिक अंतर होता - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
---विनय कुमार विनायकवह भी कोई धर्म-मजहब है क्या?जिस धर्म-मजहब में हर सत्कर्मसिर्फगुनाह ही गुनाह लगता हो,हर मानवता विरोधीदुष्कर्म के लिएमजहब मेंकेवलवाह-वाह हो! भलावोधर्म-मजहबहोता कहींजिसमें राखी की कीमत नहीं,भाई मानकर बहन राखीपहनाएया नहीं, कोई अंतर होता नहीं! कोई विदेशीमजहबी, गैरमजहबीधर्मावलंबियोंसेनैतिक,पवित्र, चारित्रिक रिश्ता निभाता कभी नहीं!मजहब में पाप-पुण्य,जायज-नाजायज, नेकी-बदीकेवलजाति-बिरादरी,मजहबीकौमसापेक्षसही! विदेशीमजहबवालेगैरमजहबी स्वदेशी भाईयोंकोछल-कपट…