अगर आप समाधान ढूंढेगे तो हर समस्या का समाधान है : ए.आर.रहमान

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अनिल अनूप
सुरों के बादशाह ए.आर रहमान ने दुनियाभर में भारतीय संगीत को पहचान दी है। ए.आर रहमान बेशक दुनिया का सबसे प्रतिष्ठित ऑस्कर अवॉर्ड जीत चुके हैं और भारतीय संगीत को अंतराष्ट्रीय स्तर पर विशेष पहचान दिला चुके हैं, लेकिन इस पहचान को बनाने के लिए उन्हें जिंदगी के कई थपेड़े भी झेलने पड़े। जब वह 9 के थे तब उनके सर से पिता का साया उठ गया। जिसकी वजह से वह अपनी स्कूली शिक्षा पूरी कर पाए थे और तो और धर्म परिवर्तन करने की वजह से अक्सर कट्टरपंथी आये दिन उन्हें निशाना भी बनाते रहें। आज ए.आर रहमान का 50वां जन्मदिन है, उनके जन्मदिन पर जानिेए कि क्यों इस्लाम कबूला रहमान ने।
जन्म के समय उनका नाम ए एस दिलीप कुमार था। कहा जाता है कि 1989 में रहमान की छोटी बहन काफी बीमार पड़ गई थी। सभी डॉक्टरों ने कह दिया कि उसके बचने की कोई उम्मीद नहीं है। रहमान ने अपनी छोटी बहन के लिए मस्जिदों में दुआयें मांगी जल्द हीं उनकी दुआ रंग लाई और उनकी बहन चमत्कारिक रूप से स्वस्थ हो गई। इस चमत्कार को देख रहमान ने इस्लाम कबूल कर लिया और इसके बाद उनका नाम ए.एस दिलीप कुमार से अल्लाह रखा रहमान यानि ए आर रहमान हो गया।
वही दूसरी तरफ रहमान की बायोग्राफी ‘द स्पिरिट ऑफ म्यूजिक’ में यह बताया गया है कि कैसे एक ज्योतिषी के कहने पर उन्होंने नाम बदला। रहमान की जिंदगी पर किताब लिख रहीं मशहूर लेखिका नसरीन मुन्नी कबीर ने जब उनसे पूछा कि वे दिलीप से रहमान कैसे बने।
तो उन्होंने बताया, “सच यह है कि मुझे मेरे नाम पसंद नहीं था। नाम मेरी इमेज को सूट नहीं करता था। सूफी पथ से जुड़ने से पहले, मां एक ज्योतिषी के पास छोटी बहन की कुंडली दिखाने ले गईं। यह वही दौर था जब मैं अपना नाम बदलकर नई पहचान बनाने के लिए उत्सुक था। तब उस ज्योतिषी ने मुझे देखा और सलाह दी कि ‘अब्दुल रहमान’ और ‘अब्दुल रहीम’ दोनों में से कोई भी नाम तुम्हारे लिए अच्छा होगा। मुझे तुरंत ‘रहमान’ नाम पसंद आया। दिलचस्प बात यह है कि एक हिंदू ज्योतिषी ने मुझे मुस्लिम नाम दिया। बाद में मां ने रहमान ने आगे अल्ला रख्खा लगाने को कहा और मेरा नाम ए आर रहमान पड़ गया।”
ए.आर. रहमान एक भारतीय फ़िल्म संगीतकार है l वे ६ जनवरी, १९६६ को चेन्नई, भारत में पैदा हुए थे lउनके पिता, आर.के. शेखर, एक तमिल संगीतकार थे और उनकी माता का नाम करीमा बेगम है l उनकी तीन बहने थी lरहमान रिकॉर्डिंग के दौरान अपने पिता की सहायता करते थे l नौ साल की उम्र में रहमान के पिता का निधन हो गया था l आज वे शादी शुदा है और उनकी बीवी का नाम साइरा है l
रहमान अपना संगीत में प्रारंभिक प्रशिक्षण मास्टर धनराज के तहत शुरू किया lउन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में पश्चिमी शास्त्रीय संगीत का अध्ययन किया और संगीत में एक डिग्री प्राप्त की l तईस
साल की उम्र में उन्होंने इस्लाम धर्म बदला और अपना नाम दिलीप कुमार से ए.आर. रहमान रखा l
रहमान ने उनका फिल्मी कैरियर १९९२ में शुरू कियाl उन्होंने उपने घर के पीछे स्टूडियो शुरू किया जिसका नाम था पंचाथान रिकार्ड इन l समय के साथ यह भारत में सबसे उन्नत रिकॉर्डिंग स्टूडियो बन जाएगा lउन्होंने उपनी शुरूवात भारतीय वृत्तचित्र विज्ञापन और भारतीय टेलीविजन चैनलों से किया lउन्होंने तमिल फिल्म रोजा के साथ अपना फ़िल्मी कैरियर शुरू किया l रहमान को इसी फिल्म की वजह से
रजत कमल पुरस्कार से सम्मानित किया lरंगीला, रहमान की पहली हिन्दी भाषा की फिल्म थी जिसमे उन्होंने संगीत दिया lइसके बाद उन्होंने दिल से और ताल जैसे बेहतरीन फिल्मो का संगीत दिया l
रहमान ने फिल्म के आलावा कई अलग काम भी किये l वंदे मातरम् सबसे अधिक बिकने वाली भारतीय गैर फ़िल्मी एल्बम है l १९९९ में, रहमान ने माइकल जैक्सन से साथ जर्मनी में प्रदर्शन किया l २०००’s में उन्होंने स्वदेश और रंग दे बसंती जैसे प्रसिद फिम्लो का संगीत दिया l २००३ के अंत तक, उनके एक्सो पचास मिलियन रेकॉर्ड्स बीके थे lरहमान ने चोवीस नवंबर,२००९ में उन्होंने भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और बराक ओबामा के लिए वाईट हाउस में प्रदर्शन किया l बीस मई २०११ को रहमान ने अंग्रेजी संगीतकार मिक जैगर और प्रसिद्ध हॉलीवुड कलाकारों के साथ एक नये ग्रुप की घोषणा की l
ए.आर. रहमान ने अपने कैरियर में कई पुरस्कार जीते है l उनमे से कुछ है: दो अकादमी, दो ग्रेमी, चार राष्ट्रीय फिल्म, और चौदह फिल्मफेर
पुरस्कार l
२००९ में टाइम पत्रिका में सो सबसे प्रभावशाली लोगों में से एक ए.आर. रहमान का नाम है l उन्होंने उपनी अनोखी शैली से १९९० के दशक में फिल्म संगीत बदला l फिल्म निर्माता फिल्म संगीत को ज्यादा गंभीरता से लेने लगे l उन्होंने ने भारतीय फिल्म संगीत में सभी नियमो को बदल दिया है l
छे से सात साल के सभी लोग उनके संगीत को पसंद करते है l रहमान का संगीतबुद्धिमान हैन सिर्फ शोर lउनोने संगीत के ज़ुरिये हिंदी और तमिल के फासले को जोडा l
सबसे अद्भुत बात यह है कि आज भी वे बदले नहीं है l एक प्रसिद संगीत निर्देशक होने के बाद भी वह शांत, विनम्र, और मेहनती हैl
ऑस्कर जीतने वाले पहले भारतीय फिल्म संगीतकार ए आर रहमान की जीवनी जल्द ही उनके प्रशंसको को पढ़ने को मिलेगी. दावा किया जा रहा है कि रहमान की ये पहली अधिकृत बायोग्राफी होगी.
इस किताब का नाम है ए आर रहमान द म्युज़िकल स्टोर्म यानी रहमान को संगीत का तूफ़ान बताया गया है. इसे लिखा है चेन्नई की कामिनी मथाई ने. पेंगुइन इंडिया इसे प्रकाशित कर रहा है.
किताब में रहमान के पिता आर के शेखर की मौत से लेकर रहमान के बचपन, उनके शौक, साधना, संघर्ष और कामयाबी की कहानी बयान की गयी है.
नौ साल की उम्र में रहमान के सिर से पिता का साया उठ गया था. किस तरह रहमान ने परिवार की ज़िम्मेदारी संभाली, गुरबत के दिन बिताए और इस्लाम धर्म उन्होंने कब और क्यों अपनाया, इन सब बातों की चर्चा इस किताब में की गयी है.
रहमान अब सूफीवाद से प्रभावित हैं. इसकी वजहें भी किताब में बतायी गयी हैं. मणिरत्नम ने कैसे उनमें प्रतिभा की तलाश की और किस तरह वो कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ते चले गए, उनकी बायोग्राफी में हर ब्यौरा दर्ज करने की कोशिश की गयी है.
रहमान जब कुंवारे थे, तब वे अपने लिए तीन अक्षरों का इस्तेमाल करते थे-एलएफए। इसका मतलब था-लव फेलियर्स एसोसिएशन। रहमान हमेशा रात में ही रिकॉर्डिग करते हैं, लेकिन लता मंगेशकर के लिए सुबह रिकॉर्डिग करते हैं। लता मंगशेकर का मानना है कि सुबह उनकी आवाज में ताजगी होती है इसलिए रहमान उनके साथ रिकॉर्डिग सुबह करते हैं।
मणिरत्नम ने रहमान को अपनी फिल्म रोजा में पहला ब्रेक दिया था। यही वजह है कि वे मणिरत्नम की बहुत इज्जत करते हैं। उनको जानने वाले लोग बताते हैं कि मणिरत्नम ही ऐसे अकेले शख्स हैं, जो रहमान से कभी भी अपनी मर्जी से मिल सकते हैं।
रहमान के भले ही दुनियाभर में करोड़ों फैंस थे, लेकिन उनकी बेटी खतिजा को स्कूल में पिता का ऑटोग्राफ देना पसंद नहीं है। यहां तक कि वह रहमान को अपने स्कूल ना आने तक के लिए कह चुकी है।
ऑस्कर विजेता संगीतकार एआर रहमान मानते हैं कि इंसान को कभी भी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए.
रहमान कहते हैं, “हर इंसान की ज़िंदगी में कभी-न-कभी रुकावट आती है जब लगता है कि दुनिया ख़त्म हो गई है. लेकिन मैं कहूंगा कि ऐसे वक्त में हिम्मत नहीं हारनी चाहिए क्योंकि अगर आप समाधान ढूंढेगे तो हर समस्या का समाधान है.
मद्रास के मोज़ार्ट के नाम से मशहूर रहमान न सिर्फ़ भारत बल्कि हॉलीवुड में भी आज एक जाना-पहचाना नाम हैं.
रहमान मानते हैं कि धुन बनाने के लिए विचार और प्रेरणा कुछ भी हो सकती है. वो कहते हैं, गानों की धुन बनाने के लिए आइडिया अलग-अलग चीज़ों से मिल सकता है. कभी स्क्रिप्ट, कभी गाने के बोल तो कभी आप जिस टीम के साथ काम कर रहे हैं, वो भी प्रेरणा के स्रोत बन जाते हैं.

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