इन खास वास्तु उपायों/वास्तु टिप्स से आपका जीवन हमेशा रहेगा खुशहाल ; Vastu tips for happy life

यदि व्यक्ति वास्तु के हिसाब से बने घर में रहता है, तो उसका जीवन सुख एवं समृद्घि से पूर्ण होता है। इस बार हम आपको वास्तु से संबंधित छोटे-छोटे उपाय बताते हैं।ज्योतिष का एक हिस्सा जो भवन निर्माण से संबंध रखता है, वास्तुशास्त्र के नाम से जाना जाता है। दूसरे शब्दों में ब्रह्माण्ड में हमेशा उपस्थित रहने वाली हुई कॉस्मिक ऊर्जा तथा पाँच महाभूत तत्वों का समायोजन वास्तुकला में जिस विद्या द्वारा होता है, वह वास्तुशास्त्र कहलाती है।

अधिकतर वास्तुकला के शौकीन दिशाओं का अंदाज सूर्योदय और सूर्यास्त के आधार पर, मैगनेटिक कम्पास के बिना करते हैं, जबकि इस यंत्र के बिना वास्तु कार्य नहीं करना चाहिए। दिशाओं के सूक्ष्म अंशों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। अतः जरूरी रिनोवेशन या निर्माण कार्य, अच्छे जानकार वास्तुशास्त्री की देखरेख में ही करवाना ठीक होता है।

 

—-वास्तु शास्त्र के अंतर्गत प्रत्येक दिशा व कोण का एक स्वामी होता है। उसी के अनुसार उस दिशा अथवा कोण का उपयोग किया जाता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) देवताओं का स्थान माना गया है इसलिए इस स्थान का उपयोग बहुत ही सोच-समझकर करना चाहिए। ईशान कोण में निर्माण करवाते समय नीचे लिखी बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए-

—– ईशान कोण में यदि कोई कबाड़ा रखा हो तो उसे वहां से हटा दें। क्योंकि यह देवताओं का स्थान है। अगर यहां कबाड़ा रखते हैं तो अनिष्ट होने का भय रहता है।

—- प्रत्येक लिविंग रूम में ईशान कोण में भारी या अधिक सामान हो तो उसे कम करते हुए कमरे के नैऋत्य में सामान बढ़ा सकते हैं। ईशान कोण को खाली अथवा हल्का रखें।

—यदि पूजा स्थल गलत दिशा में हो तो उसे ईशान दिशा में किया जा सकता है। उत्तर या पूर्व में पूजा स्थल हो तो उसे स्थानांतरित करने की आवश्यकता नहीं है।

—यदि ईशान में शौचालय हो तथा घर में और भी शौचालय हो तो ईशान वाले शौचालय को बंद करवा दें।

—औद्योगिक इकाइयों जैसे- फैक्ट्री, कारखाना आदि का ईशान कोण भी साफ-सुथरा होना चाहिए।

—-पलंग पर किसी प्रकार का दर्पण नहीं होना चाहिए। और व्यक्ति सोता है तो वह किसी दर्पण में नहीं दिखे। अन्यथा व्यक्ति से शरीर में अनावश्यक दर्द की शिकायत उत्पन्न हो जाती है। शीशे को हमेशा ढक कर रखें।

—–अगर आप बेडरूम में टीवी या कंप्यूटर भी रखना चाहते हैं तो सावधान हो जाएं। बेडरूम में टीवी या कंप्यूटर रखने से पहले कुछ बातों का जरूर ध्यान रखें वरना आपको परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

—–वास्तु के अनुसार बेडरूम में वैसे तो कोई भी अतिरिक्त इलेक्ट्रानिक उपकरण नहीं रखना चाहिए। इन यंत्रों में खासकर टीवी, फ्रिज या कंप्यूटर आदि नहीं रखना चाहिए क्योंकि इनसे निकलने वाली हानिकारक तरंगे शरीर पर दुष्प्रभाव डालती हैं। वास्तु के अनुसार अधिकतर लोगों की शारीरिक परेशानियों का कारण भी यही होता है।

——- जहां तक हो सके शयन कक्ष में टी.वी., कंप्यूटर जसे इलैक्ट्रानिक गजेट्स नहीं रखने चाहिए। अगर मजबूरी में रखना हो तो कमरे के आग्नेय कोण (दक्षिण-पूर्व) में ही रखें। काम न होने की स्थिति में उनकी स्क्रीन को कपड़े से ढक कर रखें। इसी तरह ड्रेसिंग टेबल के शीशे को भी ढक कर रखें।

——-अगर बेडरूम में इलेक्ट्रानिक उपकरण रखना ज्यादा ही जरूरी है तो उन्हे आग्नेय कोण में रखें यानी पूर्व और दक्षिण दिशा के बीच के कोण में रखें। वास्तु के अनुसार कमरे में ये जगह इलेक्ट्रानिक उपकरणों के लिए सर्वश्रेष्ठ बताई गई है। इस जगह पर इलेक्ट्रानिक उपकरणों को रखने से स्वास्थ्य संबंधित परेशानियों से तो बचा ही जा सकता है साथ ही घर में बरकत और धन संबंधित परेशानियों से भी मुक्ति मिल जाती है।

——-अगर आप वास्तु के अनुसार कमरे के इस कोण में इलेक्ट्रानिक उपकरण नहीं रख सकते तो उसे कैबिनेट के अंदर या ढंककर रखें। जब टीवी न चल रहा हो तो कैबिनेट का शटर बंद रखें। इससे नींद अच्छी आती है और पति-पत्नी के वैवाहिक जीवन में सुख और शांति बनी रहती है।

——-ऐसे पंखों को तुरंत ठीक करवाएं जिससे जो घर्र-घर्र की आवाज पैदा करते हों। पंखें से आने वाली आवाज आपके निजी जीवन में कलह पैदा कर सकती है।

—-पूजा घर में पुराना बेकार सामान रखने से आर्थिक और शारीरिक नुकसान होता है।

——- घर के मुख्य दरवाजे पर कुमकुम से स्वास्तिक बनाएं और बासमती चावल की ढेरी पर एक सुपारी में कलावा बांध कर रख दें। धीरे-धीरे धन की समस्या समाप्त हो जाएगी।

—–टॉयलेट बनवाते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वास्तु के अनुसार यह सही दिशा में हो। लेकिन बना बनाया घर खरीदते हैं अथवा घर बनवाते समय किसी कारण से गलत दिशा में टॉयलेट बन जाये तो सीट ऐसे बैठाएं कि बैठते समय मुंह उत्तर दिशा की ओर हो। इससे टॉयलेट का वास्तुदोष समाप्त हो जाता है।

——रुपये-पैसे और सोने-चांदी के जेवरों की तिजोरी को भी इस कक्ष में रखने से बचना चाहिए। अगर रखना पड़ जाए तो तिजोरी कमरे की दक्षिण दिशा में इस तरह रखें कि से खोलते समय उसका मुंह उत्तर दिशा की ओर हो। यह दिशा कुबेर की होती है और ऐसा करने से तिजोरी के धन में वृद्धि होती रहती है।

——महत्वपूर्ण कागजातों को पूर्व दिशा में अलमारी में रखें। कागजात हमेशा अलमारी में ही रखें।

—-चप्पलें या जूते इधर-उधर बिखरे या उल्टे पड़े हुए न हों। इससे घर में कलह होती है।

—–रसोई घर आग्नेयकोण में होना चाहिए। कोशिश करें कि खाना बनाते समय मुंह पूर्व दिशा में हो।

——यदि हो सके तो महत्वपूर्ण कामों पर घर से जाने के पहले दही जरूर खाएं।

——शयन कक्ष में बीम या टांड के नीचे नहीं सोना चाहिए क्योंकि इससे दिमाग में भारीपन व तनाव उत्पन्न होता है।सोते समय पैर द्वार की तरफ न हों क्योंकि इस स्थिति में पैर मृतक के रखे जाते हैं।

——तबियत अच्छी है फिर भी किसी कारण से रात को नींद नही आती है तो इसका कारण वास्तुदोष हो सकता है। इस स्थति में सोने की दिशा बदलें। वस्तु विज्ञान के अनुसार अनिद्रा की शिकायत होने पर व्यक्ति को दक्षिण दिशा की ओर सिर रखकर सोना चाहिए। इससे चिंताओं से भी मुक्ति मिलती है और मन प्रसन्न रहता है।

—–शयन कक्ष में पूर्व या दक्षिण दिशा की ओर पैर करके सोना चाहिए। पूर्व दिशा की ओर सिर करके सोने से विद्या प्राप्त होती है तथा दक्षिण दिशा की ओर सिर करके सोने से धन व आयु की प्राप्ति होती है। उत्तर या पश्चिम दिशा की ओर सिर करके सोने से आयु कम होती है तथा शरीर रोगी हो जाता है।

——यदि बच्चे रात में डरकर नींद से जग जाते हैं तो बच्चों के सिरहाने की तरफ पलंग के दोनों पैरों के पास तांबे का एक-एक स्प्रिंग रखें। इसके साथ ही हल्की रोशनी वाले पीले रंग के बल्ब लगाएं। सिरहाने के नीचे काजल की डिब्बी रखने से भी बच्चे को अच्छी नींद आएगी और वह डर कर जगेगा नहीं।

—–रसोई में कुकिंग रेंज पूर्व में ऐसे रखें कि खाना बनाने वाले के सामने पूर्व दिशा पड़े। फूज्ड प्रोसेसर, माइक्रोवन, फ्रिज इत्यादि की व्यवस्था दक्षिण-पूर्व में होनी चाहिए। पानी संबंधी कार्य जैसे वाटर फिल्टर, डिशवाशर, बर्तन धोने का सिंक आदि उत्तर-पूर्व वाले भाग में होने चाहिए। पूर्व की दीवार में वॉल कैबिनेट न हों तो बेहतर है यदि जरूरी हो तो यहाँ भारी सामान न रखें। खाने-पीने का सामान उत्तर-पश्चिम दिशा में या रसोईघर के उत्तर-पश्चिम भाग में स्टोर करें जिस दरवाजे से अधिक आना जाना हो या मुख्य द्वार यदि रसोईघर के ठीक सामने हो साथ ही पति पत्नी के ग्रह-नक्षत्र कलह का इशारा देते हैं तो बेहतर होगा कि दरवाजों की जगह बदलवाएँ वरना उक्त परिस्थितियाँ आग में घी का काम करती हैं।

——घर में पालतू जानवर हैं तो इन्हें वायव्य कोण (उत्तर-पश्चिम) में रखना चाहिए।

—–भोजन के बाद जूठी थाली लेकर अधिक देर तक न बैठें। न ही जूठे बर्तन देर तक सिंक में रखें।जहाँ तक संभव हो…कभी भी झूंठी थाली हाथ नहीं थोयें …आर्थिक स्थिति ठीक रहेगी..

—–पूर्वजों के फोटो पूजाघर में न रखें, दक्षिण की दीवार पर लगाएँ।

—–विशेष ध्यान रखें तीन दरवाजे एक सीध में न हों, दरवाजे बंद करते या खोलते समय आवाज न हो।

—–राहुकाल का खतरनाक समय डेढ़ घंटे का होता है अगर आपने अपनी तिजोरी इस डेढ़ घंटे में खोल ली यानी तिजोरी में से पैसे निकाले या रखें तो समझ लें धीरे-धीरे आपका पैसा खत्म होने लगेगा और खर्च बढऩे लगेंगे। हो सकता है इस समय में लक्ष्मी आपकी तिजोरी से निकल जाए इसलिए सावधान रहें ..सजग रहें…

—–भवन के बीचों-बीच का हिस्सा ब्रह्म स्थान कहा जाता है। इसे खाली रखा जाना चाहिए। जैसे फर्नीचर या कोई भारी सामान यहाँ पर सेहत व मानसिक शांति को प्रभावित करते हैं। ब्रह्मस्थान वाले क्षेत्र में छत में भारी झाड़ फानूस भी नहीं लटकाएँ जाएँ। इस हिस्से में पानी की निकासी के लिए नालियों की व्यवस्था का निषेध है, यह आर्थिक नुकसान का संकेतक है।

——दक्षिण-पश्चिम वाला हिस्सा ऊँचा, भारी, ज्यादा घिरा हुआ होना चाहिए। साथ ही फर्श की सतह का ढलान इस तरह से नीचा होना चाहिए कि पानी का बहाव दक्षिण से उत्तर या पश्चिम से पूर्व की ओर होना चाहिए। बाउंड्री वॉल भी बिलकुल इसी तरह उत्तर और पूर्व में नीची एवं तुलनात्मक रूप से कम मोटी होनी चाहिए।

——पंचरत्न सोते समय अपने सिरहाने रखें, प्रात:काल उठकर सर्वप्रथम उसका दर्शन करने से कुछ समय के बाद पति व पत्नी में विवाद समाप्त हो जाता है।

—–गोमती चक्र को लाल सिंदूर की डिब्बी में घर में रखें तो दाम्पत्य जीवन में सुख-शांति रहती है।

 

 

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