देश की जनता नित नए तमाशों की गवाह बनती रहती है। यू पी ए के काल में घोटालो और अल्पसंख्यक तुष्टिकरण से जनता का ध्यान हटाने के लिए सत्तारुढ़ दल नित नए स्वांग मीडिया की मदद से रचते थे और अब वो ही लोग एन डी ए की सरकार को बदनाम करने और अस्थिर करने के लिए यही स्वांग रचते रहते हें। उड़ी में सैन्य शिविर पर हमले के बाद सरकार पर हमले का दबाब बनाने और उसके बाद जब सरकार ने जबाबी कार्यवाही की तो उसे झूठा साबित करने के लिए सेकूलर मोर्चे ने भरपूर स्वांग किये तो कभी पूर्व सैनिक की आत्महत्या? को सनसनीखेज बनाने के बहाने । हालांकि कागजो पर आज भी पाकिस्तान हमारा व्यापारिक दृष्टि से सबसे प्रिय देश का दर्जा लिए हुए है और हमारे सभी व्यापारिक और कूटनीतिक संबंध यथावत हें। यहाँ तक की सिंधु जल संधि की समीक्षा भी लटक गयी है। हालाँकि सरकार का दावा है कि पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर उसने अलग थलग कर दिया है। क्या यह सच है? पर यह जरूर सच है कि खून की दलाली जैसे घटिया जुमले को उगल राहुल गांधी ने अपने और कांग्रेस पार्टी के राजनीतिक भविष्य पर प्रश्न चिन्ह जरूर खड़े कर दिए हें।
देश में एक तमाशा स्वदेशी के नाम पर चीनी सामान के विरुद्ध चल रहा है। चीन से कई लाख करोड़ के माल के आयातक हम और हमारी सरकार इस आयत को कम करने की कतई इच्छुक नहीं दिख रही हां जनता ने जरूर कई हज़ार करोड़ के चीनी माल के बहिष्कार का रास्ता खोल दिया। शायद सरकार जन भावनाओं को समझ कोई पहल करे।
डेंगू, चिकनगुनिय और अब स्वाइन फ्लू के नज़्म पर हेल्थ माफिया की दलाल बनी दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार तो स्वयं में एक तमाशा बन गयी है और इस दिशा में एक नयी कड़ी तमिलनाडू से जुडी है। रहस्यमयी तरीके से वहाँ की मुख्यमंत्री जयललिता गायब हें और उनको बीमार बताया जा रहा है। अन्य मंत्री उनकी तस्वीर रख प्रदेश की सरकार चला रहे हें और सभी संवैधानिक संस्थाएं आश्चर्यजनक रूप से चुप बैठी हें?
पश्चमी बंगाल और केरल में हिंदुओं को तमाशा बना दिया गया है और नित नए साम्प्रदायिक दंगो के आग में जनता को झोंका जा रहा है तो कर्नाटक कावेरी की आग में झुलसा जा रहा है। रूढ़िवादी मुस्लिमो ने तीन तलाक के नाम पर मुस्लिम औरतों को तमाशा बना रखा है और ऐसे ही तमाशे समान नागरिक संहिता के नाम पर खड़े किए जा रहे हें। सट्टे की कमाई के बीच बीसीसीआई और उच्चतम न्यायाल की जंग में क्रिकेट तमाशा बन गया है, जीएसटी के चक्कर में राज्य सरकारें तमाशा बन गयी हें और बैंकिंग फ्रॉड के चक्कर में ग्राहक। उधर सुदूर एक बड़ा तमाशा अमेरिकी चुनावों का चल रहा है और दो दलो की लड़ाई दो आतंकी संगठनो की खुनी लड़ाई में बदल गयी और मानवता तमाशा बनकर रह गयी है।
इन तमाशों में सबसे बड़ा तमाशा उत्तर प्रदेश की सपा सरकार और मुलायम सिंह कुनबा बन गया है। जलालत और मलामत के बाद भी जिस बेशर्मी से दो गुटो में बंटा परिवार डटा खड़ा है वह भी कम बड़ी बात नहीं।
अति जनसंख्या और बेरोजगारों की फ़ौज वाले इस देश में भूखी जनता से नज़र फेरकर 69 बर्षों से दोनों हाथो से जनता को लूटने वाले धर्मनिरपेक्ष भ्रष्ट और राष्ट्रवादी भ्रष्ट न तो दलित- मुस्लिम को विकास की मुख्यधारा में ला पाये और न ही हिन्दू संस्कृति, हिंदी, गौ, ग्राम ,गंगा की ही रक्षा कर पाये हें। पश्चिम की कठपुतली बने ये लोग कुछ खास करेंगे भी नहीं, इसलिए ये हर रोज खड़े करते रहेंगे बस तमाशे, तमाशे और तमाशे।