यह एक क्रांति की शुरूआत है।

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यह एक क्रांति की शुरूआत है। उत्तरप्रदेश की जनता जनार्दन को सादर नमन। यह चुनाव नतीजे नहीं है। यह सिर्फ जनादेश भी नहीं है। किसी भी लोकतांत्रिक देश में चुनाव के बाद सरकारें आती हैं, सरकारें जाती हैं। पर उत्तरप्रदेश की जनता ने सिर्फ सरकार का परिवर्तन नहीं किया है। यह शुरूआत है एक नई क्रांति की। 6 दिसम्बर 1992 को अयोध्या में सिर्फ एक खण्डहर को नहीं ढहाया गया था। आज से 25 साल पहले देश का स्वाभिमान जाग्रत हुआ और विदेशी लुटेरे के कलंक को नेस्तनाबूत कर दिया गया। स्वाधीनता के पश्चात् देश के अपने कर्णधारों ने खड़ा किया जातिवाद का  महल भाई भतीजावाद, परिवारवाद का किला, भ्रष्टाचार की मीनारें और उससे भी आगे बढ़कर देश को तोड़ने के लिए तुष्टिकरण के गुम्बद। देश की जनता ने होली से ठीक एक दिन पहले महलों के समान दिखाई देने वाले इन सड़े-गले खण्डहरों को एक साथ गिरा दिया। रेखांकित करें ‘देश की जनता ने’ शब्द को। बेशक यह क्रांति उत्तरप्रदेश की जमीन पर प्रदेश की जनता ने की। लेकिन इस क्रांति की प्रेरणा उसे केरल के लाल आतंक से उपजे आक्रोश से मिली,  उसके मन में कर्नाटक के गौ सेवक प्रमोद पुजारी की हत्या की कसक भी थी। प्रदेश की जनता यह देखकर भी दुखी थी कि किस प्रकार जेएनयू की दीवारों के अंदर पनप रहे राष्ट्रद्रोह के स्वर रामजस कॉलेज तक आ गए हैं। ऐसे एक नहीं कई उदाहरण थे जिसने  क्रांति की जमीन तैयार की। अवसर था और युगानुकूल राष्ट्रधर्म भी, प्रदेश की जनता ने एक साथ सबका हिसाब चुकता कर दिया।

नि:संदेह महाविजय के महानायक देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हैं। बेशक जीत का सेहरा, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के सिर पर बंधना चाहिए।  इसमें भी कोई दो राय नहीं कि लगभग निष्प्राण हो चुके प्रदेश भाजपा संगठन में पार्टी अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य एवं उनकी पूरी टीम और एक-एक कार्यकर्ता ने परिश्रम की पराकाष्ठा की। परिणाम सामने हैं।  पर यह सिर्फ परिश्रम मात्र का फलित ही नहीं है। मेहनत से परिणाम आते हैं, पर ऐसे नहीं आते। परिणाम बता रहे हैं कि अंदर ही अंदर एक आग थीं जिसने वितंडावाद के वनों को भस्म कर दिया। उत्तरप्रदेश देश का सिर्फ एक प्रदेश नहीं है। यह देश की आत्मा है। उत्तरप्रदेश में भाजपा की पराजय कई गंभीर सवाल ही नहीं खड़े करती बल्कि निर्णायक युद्ध के बीच में रणक्षेत्र की दशा एवं दिशा ही बदल सकती थी। पहले बिहार एवं दिल्ली की हार ने ही केन्द्र के मनोबल को तोड़ने में कम प्रयास नहीं किए थे। ऐसे में यह प्रदेश सिर्फ भाजपा के लिए ही नहीं देश के लिए जीवन-मरण का प्रश्न था। अत: उत्तराखण्ड हो या मणिपुर, गोवा हो या पंजाब नतीजे अब मोदी लहर नहीं, मोदी के तूफान का रुप ले चुके हंै। यह सही है, भाजपा गठबंधन को पंजाब में पराजय मिली है, यह भी सही है कि गोवा में भाजपा अभी संकट में है, लेकिन पूर्वानुमान क्या कह रहे थे? पंजाब में भाजपा अकाली गठबंधन को आधा दर्जन सीटें भी नहीं थी पर  भाजपा का प्रदर्शन तुलनात्मक रुप से बेहतर है। यहां पराजय का कारण सर्वविदित है। अकाली दल के परिवारवाद के किले को भी यहां ढहना ही था। गोवा में भाजपा का संकट स्वयं का आमंत्रित किया हुआ है। यह संकट सिखाता है कि लोकतंत्र कितना परिपक्व हुआ है गंभीर हुआ है। भाजपा यदि अपने मूलभूत विषयों से भटकी तो जनता उसे भी नहीं  बख्शने वाली। पर जहां वह पश्चिम में कान उमेठ रही है, सुदूर पूर्वांचल में आरती उतारने को बेताब भी है।

नतीजे बता रहे हैं कि देश जाग रहा है। अब वह षडयंत्रों में उलझता नहीं है। वह अब भटकता भी नहीं है न ही वह कोरा भावुक है। वह सबको देख रहा है, परख रहा है और जिसकी जैसी औकात है उसे उस हद में रख रहा है। मायावती ने 100 मुस्लिमों को एक साथ टिकट देकर मुस्लिमों को अपनी जेब में मानने का भ्रम पाला। परिणाम सामने है। अभिनंदन का पात्र है, देश का मुस्लिम वर्ग, अभिनंदन का पात्र है, देश का अनुसूचित जाति वर्ग का मतदाता जिसने दायरों को तोड़ने का साहस दिखाया। समाजवादी पार्टी ने प्रदेश की जनता को मूर्ख समझने का अहम् पाला। अंदर एक बाहर झगड़ा दिखाकर नौ सौ चूहे खाकर हज जाने का प्रयास किया, जनता ने घर बिठाल दिया। कांग्रेस, भाजपा-अकाली को अपनी भूलों का प्रसाद मिलने पर पंजाब में भले ही गाल बजाए, सच यह है कि  आज कांग्रेस देश में तेजी से इतिहास बनने की ओर अग्रसर है। राहुल बाबा संभवत: कांग्रेस के किले के अंतिम बहादुर शाह जफर बनने की तैयारी में है, ऐसा दिखाई दे रहा है। चलते-चलते आखिर में चर्चा आम आदमी पार्टी की जिसका आम आदमी से कोई लेना-देना नहीं है। पंजाब और गोवा में सरकार बनाने का दंभ पाल रहे तमाम केजरीवालों को अपनी जमीन इस चुनाव ने बता दी है।

और एक अंतिम बात, देश की जनता का धैर्य अप्रतिम है। वह तमाम घात प्रतिघात के बावजूद भाजपा के साथ है, यह प्रमाणित है। अब बारी मोदी और उनकी टीम की है, कि देश के समक्ष उपस्थित चुनौतियों को अपने लिए अवसर बनाए। कारण यह क्रांति की शुरूआत है, अंत नहीं, अभिनंदन इस अपेक्षा के साथ सशक्त भारत समर्थ भारत का स्वप्न शीघ्र ही साकार होगा।

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अतुल तारे
सहज-सरल स्वभाव व्यक्तित्व रखने वाले अतुल तारे 24 वर्षो से पत्रकारिता में सक्रिय हैं। आपके राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय और समसामायिक विषयों पर अभी भी 1000 से अधिक आलेखों का प्रकाशन हो चुका है। राष्ट्रवादी सोच और विचार से अनुप्रमाणित श्री तारे की पत्रकारिता का प्रारंभ दैनिक स्वदेश, ग्वालियर से सन् 1988 में हुई। वर्तमान मे आप स्वदेश ग्वालियर समूह के समूह संपादक हैं। आपके द्वारा लिखित पुस्तक "विमर्श" प्रकाशित हो चुकी है। हिन्दी के अतिरिक्त अंग्रेजी व मराठी भाषा पर समान अधिकार, जर्नालिस्ट यूनियन ऑफ मध्यप्रदेश के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष, महाराजा मानसिंह तोमर संगीत महाविद्यालय के पूर्व कार्यकारी परिषद् सदस्य रहे श्री तारे को गत वर्ष मध्यप्रदेश शासन ने प्रदेशस्तरीय पत्रकारिता सम्मान से सम्मानित किया है। इसी तरह श्री तारे के पत्रकारिता क्षेत्र में योगदान को देखते हुए उत्तरप्रदेश के राज्यपाल ने भी सम्मानित किया है।

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