ये है दिल्ली मेरी जान

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लिमटी खरे

जनता के आक्रोश को समझे कांग्रेस

गांधीवादी अन्ना हजारे की भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम को देशव्यापी समर्थन मिला। अन्ना ने अनशन स्थल पर नेताओं के आने पर पाबंदी लगाई। उनका कहना था कि जिस भी राजनेता को उनकी मुहिम का समर्थन करना है वे अपने दलों के सांसद विधायकों के माध्यम से संसद या विधानसभा में सहयोग दें। अन्ना ने श्रेय के भूखे जनसेवकों को उचित मार्ग दिखाया। कांग्रेस नीत केंद्र सरकार सकते में है, अन्ना की मुहिम को जिस तरह का समर्थन मिला, उसकी कांग्रेस के रणनीतिकारों को कतई उम्मीद नहीं थी। दरअसल देशवासी भ्रष्टाचार, घपले, घोटालों से आजिज आ चुके हैं। अन्ना ने एक पत्थर तबियत से उछाला और लोगों का आक्रोश फट पड़ा। उतर गई जनता सड़कों पर। अब कांग्रेस की स्थिति सांप छछूंदर सी हो गई है। उधर राम किशन यादव उर्फ बाबा रामदेव के मन में राजनैतिक महात्वाकांक्षाएं जमकर हिलोरे मार रही हैं, सो वे भी पहुंच गए अन्ना के पास। वैसे कांग्रेस को इस संकेत को समझ लेना चाहिए कि जनता के मन मस्तिष्क में किस कदर रोष और असंतोष की स्थिति निर्मित हो चुकी है, जनता का गुस्सा अगर फटा तो भारत को भी मिश्र, लीबिया, टयूनीशिया की फेहरिस्त में शामिल होने से कोई नहीं रोक सकेगा।

 

युवाओं के कांधों पर है हृदय प्रदेश का भार

वैसे तो युवा मतलब 18 से 35 पर राजनैतिक मंच पर युवा का तात्पर्य अघोषित तौर पर 45 से 65 साल होता है। इस लिहाज से राजनैतिक नजरिए से अगर देखा जाए तो देश के हृदय प्रदेश की बागडोर युवा अफसरान और कारिंदों के हाथों में है। एम पी के भाजपा के एक संसद सदस्य ने नाम उजागर न करने की शर्त पर कहा कि शिवराज सिंह चौहान को पता नहीं क्या हो गया है। नई भर्तियां बंद कर दी गईं हैं और सेवानिवृत्ति की आयु को बढ़ा दिया गया है। प्रदेश में युवाओं की भागीदारी दस फीसदी से भी कम है। आधे से अधिक कर्मचारी पचास के पेटे में हैं। शिवराज सिंह चौहान को भला सरकारी कर्मचारियों की फिकर क्यों होने लगी जब उनके मंत्रीमण्डल की औसत आयु ही साठ साल से अधिक है। पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान कबीना मंत्री बाबू लाल गौर की आयु 81 साल है पर वे आज भी युवा ही समझे जा रहे हैं। अब जब उमरदराज लोग ही सत्ता पर काबिज होकर मलाई खाना चाह रहे हों तो भला असली युवाओं की दाल कहां गलने वाली।

 

भ्रष्ट सोनिया के खिलाफ कांग्रेसी मंत्री का धरना

आकण्ठ भ्रष्टाचार में डूबी सोनिया गांधी, वसुंधरा राजे और अशोक गहलोत के खिलाफ कांग्रेस की ही एक मंत्री का धरने पर बैठना राजधानी दिल्ली में चर्चा का विषय बना हुआ है। दरअसल राजस्थान सरकार की चर्चित मंत्री गोलमा देवी अपने सांसद पति डॉ.किरोड़ी लाल मीणा के साथ जयपुर में धरने पर बैठी हैं। गोलमा का आरोप है कि सरकार के मंत्री और अफसर भ्रष्टाचार में पूरी तरह डूब चुके हैं, जिससे आजिज आकर उन्होंने एक साल पहले ही अपना त्यागपत्र मुख्यमंत्री को भेज दिया था। गोलमा के पति सांसद मीणा का कहना है कि वे मजलूम आदिवासियों का पक्ष रखने उदयपुर गए तो वहां से उन्हें जिला बदर ही कर दिया गया। किसी सांसद को जिला बदर करने का यह देख का संभवत: पहला और अनोखा ही मामला होगा। वैसे तो किरोड़ी का कहना है कि यह धरना अन्ना हजारे के अभियान का समर्थन है किन्तु राजनैतिक जानकार इसे बारगेनिंग से अधिक कुछ नहीं मान रहे हैं।

 

सावधान, 9200 रूपए के कर्ज में डूबा है हर भारतीय

14 और 15 अगस्त की दर्मयानी रात भारतवासियों के लिए बेहद महत्वूपर्ण मानी जाती है, इस दिन हमें आजादी मिली थी। इसे बाद आजादी में महत्वूपर्ण भूमिका निभाने वाली कांग्रेस पर लोगों ने भरोसा जताया जो कालांतर में टूट गया है। देश को हर दृष्टि से समृध्द करने की जवाबदारी संभालने वाली सवा सौ साल पुरानी कांग्रेस ने अपने आप को ही समृध्द करना बेहतर समझा है। साल दर साल विकास के आयाम छूने के लोक लुभावने वायदे, और विज्ञापनों में तस्वीरें देखकर जनसेवक खुश हो सकते हैं किन्तु जमीनी हकीकत इससे इतर ही है। एक समय था जब चलचित्रों के आरंभ हाने के पूर्व न्यूज रील में भाखड़ा नंगल बांध को देखकर हर भारतीय रोमांचित हो उठता था। आज इसके मायने बदल चुके हैं। आपको यह जानकार आश्चर्य होगा कि विश्व के कर्जदार देशों में भारत का 28वां नंबर है। भारत पर इस समय 295 अरब 80 करोड़ डालर का कर्ज है। इस लिहाज से भारत के हर नागरिक (आप पर) 9200 रूपए का कर्ज है।

 

खतरे में है चिंकारा

काले हिरण यानी चिंकारा पर संकट के बादल छाने लगे हैं। सलमान खान, नवाब पटौदी, तब्बू आदि इसी चिंकारा के शिकार के चलते कानूनी शिकंजे में फंसे। हरियाणा के करनाल के पास लगभग डेढ़ सैकड़ा काले हिरणों पर कुत्तों, जंगली जानवरों के साथ ही साथ शिकारियों की गिध्द दृष्टि के चलते इनके अस्तित्व पर प्रश्न चिन्ह लग गया है। वहीं दूसरी और देश के हृदय प्रदेश में सिवनी जिले में चिंकाराओं की तादाद पांच हजार से अधिक है। आलम यह है कि जिला मुख्यालय सिवनी से महज दो तीन किलोमीटर दूर चिंकाराओं की फौज धमाचौकड़ी करती दिख जाती है। किसानों की फसलों पर इनका कहर जब टूटता है तब किसान अपने करम पर हाथ रखकर रोने पर मजबूर हो जाता है। यहां शौकीन लोग इसका सरेराह शिकार करते रहते हैं। कहते हैं कि हिरण का रेशेदार लजीज मांस दावतों में खूब मजे लेकर खाया जाता है। अगर इसकी एक सेंचुरी बना दी जाए तो चिंकारा के अस्तित्व को बचाया जा सकता है।

 

दिन में स्लीपर चार्ज का क्या काम!

ममता बनर्जी के नेतृत्व वाले रेल महकमे पर एक महत्वपूर्ण सवाल दागा गया है। दिन में रेल में सफर करने वाले यात्रियों से स्लीपर का किराया क्यों वसूला जाता है? जी हां केरल के उपभोक्ताओं के हितों को साधने वाले एक संगठन ने यह सवाल राष्ट्रीय उपभोक्ता शिकायत निवारण आयोग के समक्ष दायर याचिका में कहा गया है कि तिरूचिरापल्ली और चेन्नई के बीच चलने वाली रेल गाड़ी सुबह आठ बीस पर निकलकर शाम पौने छ: बजे गंतव्य तक पहुंच जाती है। तिरूचिरापल्ली के कंज्यूमर प्रोटेक्शन काउंसिल द्वारा कहा गया है कि इस रेल में सामान्य के अलावा वातानुकूलित और शयनयान श्रेणी के डब्बे होते हैं। देश भर में अनेकों रेल एसी होंगी जो दिन में ही आरंभ होकर गंतव्य तक पहुंच जाती होंगी। दिन में सफर करने वाले यात्रियों से स्लीपर का चार्ज लेना समझ से परे ही है। ममता को पश्चिम बंगाल से फुरसत मिले तब वे रेल यात्रियों के बारे में कुछ सोचें।

 

गायब बच्चों की तादाद साठ हजार!

अभी 2011 की पहली तिमाही ही बीती है और देश भर से साठ हजार बच्चे गायब हो गए हैं। इस लिहाज से हर रोज छ: बच्चे गायब हो रहे हैं। देश की सबसे बड़ी पंचायत को अपने दामन में समेटने वाली देश की राजनैतिक राजधानी दिल्ली में ही 463 बच्चे गायब हो चुके हैं। देश के नौनिहालों के प्रति गैर संजीदा केंद्र और सूबाई सरकारों के मनमाने रवैए के चलते गायब होने वाले बच्चों को वैश्यावृति, नशीली दवाओं का कारोबार, असुरक्षित औद्योगिक इकाईयों आदि में झोंकने की आशंका जताई जा रही है। उधर उत्तर प्रदेश में बच्चों के गायब होने की सूचना दर्ज होने के चोबीस घंटे बाद इस सूचना को अपहरण के मुकदमे में तब्दील समझे जाने की अधिसूचना जारी कर दी गई है। देश के नीति निर्धारिकों को आखिर बच्चों की फिकर क्यों होने लगी क्योंकि उनके बच्चे तो संगीनों के साए में महफूज ही हैं।

 

 

फूल खिले हैं गुलशन गुलशन

हृदय प्रदेश की संस्कारधानी के जिलाधिकारी ने एक अनूठी मिसाल कायम की है, जिसकी चर्चा दिल्ली तक में हो रही है। जाबलि ऋषि की कर्म भूमि जबलपुर के जिला कलेक्टर गुलशन बामरा ने एक ऐसी मिसाल पेश की है जिसे देखकर लोग कहने लगे हैं कि इसे देश भर में नजीर के तौर पर पेश किया जाना चाहिए। भारतीय प्रशसिनक सेवा के अधिकारी गुलशन बामरा ने यूनिक आई डी के प्रपत्र समय पर नहीं पहुंचने के कारण अपने मातहतों को सबक सिखाने के लिए उनके मार्च माह के वेतन रोकने की चेतावनी दी थी। जब निर्धारित समय में काम पूरा नहीं हुआ तो इसकी नैतिक जिम्मेवारी उन्होंने अपने सर लेते हुए अपना ही मार्च माह का वेतन रूकवा दिया। कर्मचारी हतप्रभ हैं कि उनकी गल्ति का खामियाजा टीम का कप्तान भोग रहा है। बामरा ने अपने मातहत जिला कोषालय अधिकारी रोहित सिंह कौशल को निर्देश दिए हैं कि अन्य अधिकारी और कर्मचारियों के द्वारा प्रपत्र समय पर नहीं भरने के कारण उनके वेतन पर आपत्ति लगा दी जाए।

 

गरीब गुरबों की सेहत से खिलवाड़!

कांग्रेसनीत संप्रग सरकार द्वारा गरीब गुरबों के स्वास्थ्य के साथ सरेआम खिलवाड़ किया जा रहा है। संप्रग की महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत गरीबों को निशुल्क वितरित की जाने वाली दवाओं की गुणवत्ता की जांच किए बिना ही उन्हें बांट दिया जा रहा है। डॉ.एम.एम.जोशी की अध्यक्षता वाली संसदीय लोक लेखा समिति के प्रतिवेदन में यह सनसनीखेज खुलासा हुआ है। माना जा रहा है कि देश के हर उप, प्राथमिक, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में लगभग तीन लाख रूपए मूल्य से अधिक की एक्सपायरी डेट की दवाएं वितरित कर अरबों रूपयों का घोटाला किया गया है। दरअसल दवा निर्माता कंपनियों और स्वास्थ्य महकमे के अधिकारियों के गठजोड़ के चलते केंद्र सरकार को अरबों रूपयों का चूना लगाया जा रहा है। दवा लाबी के आगे घुटने टेकने वाले स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नवी आजाद भी इस मामले में मौन ही साधे हुए हैं।

 

कश्मीर समझौते पर बाधा बने थे कयानी

सालों से सुलगते कश्मीर पर भारत और पाकिस्तान के बीच 2008 में ही समझौता हो जाता क्योंकि दोनों देशों के बीच इस मसले पर लगभग सहमति बन गई थी। यह मामला परवान इसलिए नहीं चढ़ सका क्योंकि पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल अश्फाक कयानी इसके लिए तैयार नहीं थे। चर्चित और विवादित वेब साईट विकीलीक्स ने यह खुलासा करते हुए कहा है कि 28 नवंबर 2008 को लंदन में अमेरिकी दूतावास से चले एक संदेश में कहा गया था कि ब्रिटेन के विदेश मंत्रालय का मानना था कि कश्मीर मामले पर मनमोहन सिंह और आसिफ अली जरदारी समझौता दस्तावेज पर राजी हो गए हैं, किन्तु जनरल कयानी इसमें बाधा बने हुए हैं। विकीलीक्स का दावा है कि अगर कयानी इसमें अपना सकारात्मक रूख अख्तियार करते तो 2008 में ही सुलगते कश्मीर पर बर्फ की बौछार हो चुकी होती।

 

दिग्गी ने किया विद्यार्थियों का भविष्य बर्बाद!

कांग्रेस के सबसे ताकतवर महासचिव राजा दिग्विजय सिंह ने देश के हृदय प्रदेश के विद्यार्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है। यह बात आसानी से गले उतरने वाली नहीं है पर सच्चाई है इस बात में। दरअसल मध्य प्रदेश में एक किंवदंती है कि आबकारी विभाग की आय से शिक्षा विभाग चलता है। दिग्गी राजा के शासनकाल में मध्य प्रदेश के आबकारी ठेकेदारों ने लगभग सत्तर करोड़ रूपयों का राजस्व जमा कराने के बजाए पी लिया गया। इसके बाद भाजपा के शासन काल में ठेकेदारों ने अपने कर्मों पर पर्दा डालने के लिए नेताओं अधिकारियों से मिलकर बकाया के प्रकरणों को राईट ऑफ अर्थात निष्पादित करने की जुगत लगा दी गई। अनेक ठेकेदार इसमें कामयाब भी हो गए, हों क्यों न आखिर ‘लक्ष्मी मैया’ में बेहद ताकत होती है, क्या कांग्रेसी क्या भाजपाई, सभी मैया के सेवक जो ठहरे।

 

जनसेवक बनने की चाह में एक और नवधनाढ्य

सोने का चम्मच लेकर पैदा हुए सुकुमारों का राजनीति में आना शगल बन गया है। जनसेवकों में शायद ही कोई एसा होगा जिसका वारिस लाखों या करोड़ों की संपत्ति का मालिक न हो। भारत सरकार के आयकर विभाग को यह दिखाई नहीं देता कि आखिर एसी कौन सी जादू की छड़ी इन नवधनाडयों के पास है कि युवा होते ही ये करोड़ों की संपत्ति के मालिक बन बैठते हैं। केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी के साहेबजादे अभिजीत ने बीरभूम जिले से अपने नामंकन के साथ जो हलफनामा दायर किया है उसके मुताबिक उनके पास 58 लाख 22 हजार 890 रूपयों की चल संपत्ति है। इसमें 31 लाख 54 हजार 25 रूपए के गहने, एक महिन्द्रा जीप, एक मारूति कार, एक मोटर सायकल आदि शामिल है। अब आप ही बताईए इन नव धनाढ्य सुकुमारों के राजनीति में आने के बाद इनकी संपत्ति में उत्तरोत्तर बढ़ोत्तरी तो दर्ज होगी ही न।

 

पुच्छल तारा

चैत्र के माह में नवरात्व की धूम मची हुई है। सभी माता रानी के जयकारे लगा रहे हैं। क्रिकेट विश्व कप जीतने का खुमार अभी उतरा नहीं था कि ट्वंटी ट्वंटी ने अपनी आमद दे दी। इसी बीच इक्कीसवीं सदी के गांधी और लोकनायक जय प्रकाश नारायण की अघोषित उपाधि पाने वाले अन्ना हजारे ने जनता के मन में भ्रष्टाचार के महाकुंभ की सफाई के लिए कांग्रेसनीत केंद्र सरकार को ललकार दिया। इसी सब को जोड़ते हुए छत्तीसगढ़ के बिलासपुर से सोनाली शर्मा ने एक प्यारा सा ई मेल भेजा है। सोनाली लिखती हैं कि दो दोस्तों के बीच बातचीत चल रही थी। पहले ने कहा यार तू तो हर समय शेर बना फिरता है, फिर घर जाकर भीगी बिल्ली क्यों और कैसे बन जाता है। पहला खींसे निपोरते हुए बोला -”यार, वो क्या है न कि . . ., घर पर माता शेर पर सवार रहती है।”

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लिमटी खरे
हमने मध्य प्रदेश के सिवनी जैसे छोटे जिले से निकलकर न जाने कितने शहरो की खाक छानने के बाद दिल्ली जैसे समंदर में गोते लगाने आरंभ किए हैं। हमने पत्रकारिता 1983 से आरंभ की, न जाने कितने पड़ाव देखने के उपरांत आज दिल्ली को अपना बसेरा बनाए हुए हैं। देश भर के न जाने कितने अखबारों, पत्रिकाओं, राजनेताओं की नौकरी करने के बाद अब फ्री लांसर पत्रकार के तौर पर जीवन यापन कर रहे हैं। हमारा अब तक का जीवन यायावर की भांति ही बीता है। पत्रकारिता को हमने पेशा बनाया है, किन्तु वर्तमान समय में पत्रकारिता के हालात पर रोना ही आता है। आज पत्रकारिता सेठ साहूकारों की लौंडी बनकर रह गई है। हमें इसे मुक्त कराना ही होगा, वरना आजाद हिन्दुस्तान में प्रजातंत्र का यह चौथा स्तंभ धराशायी होने में वक्त नहीं लगेगा. . . .

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