ये है दिल्ली मेरी जान

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लिमटी खरे

अपने घर की हालत तो सुधरिए राजमाता

देश की सबसे ताकतवर महिला श्रीमती सोनिया गांधी को सवा सौ साल पुरानी कांग्रेस द्वारा राजमाता के रूप में देखा जाता है। श्रीमती सोनिया गांधी महिला हैं, पर महिला आरक्षण विधेयक वे पिछले छः से अधिक सालों में पारित नहीं करवा सकीं हैं। राजमाता की रियासत अर्थात लोकसभा के हाल बेहाल हैं। राजमाता के संसदीय क्षेत्र में प्राईमरी स्तर पर शिक्षकों की जबर्दस्त कमी है, पर राजमाता हैं कि अपनी रियाया की ओर देखने की जहमत ही नहीं उठा रही है। आंकड़ों पर अगर गौर फरमाया जाए तो रायबरेली जिले में विद्यालयों में तीन लाख चालीस हजार 274 विद्यार्थी पंजीकृत हैं, जिनमें से प्राईमरी स्तर पर दो लाख 59 हजार 130 का आंकड़ा है। अगर देखा जाए तो सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र में प्राथमिक स्तर पर दो हजार दो सौ 39 और माध्यमिक स्तर पर एक हजार 143 शिक्षकों की कमी है। एक तरफ कांग्रेसनीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार द्वारा शिक्षा के अधिकार कानून को लागू कर दिया गया है, वहीं दूसरी और इस सरकार की चाबी अघोषित तौर पर अपने हाथों में रखने वाली श्रीमति सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र का यह हाल है, जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि केंद्र सरकार की महात्वाकांक्षी योजनाएं और कानून सूदूर ग्रामीण अंचलों में किस तरह अमली जामा पहन रहे होंगे।

राजा, राडिया, कलमाड़ी बने भ्रष्टाचारियों के आईकान

लगता है संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की दूसरी पारी में एक प्रतिस्पर्धा चल रही है, वह है कि कौन कितना अधिक भ्रष्टाचार कर सकता है। जनता के गाढ़े पसीने की कमाई को घोलकर पी जाओ, कोई कुछ भी कहने वाला नहीं है। देश की पुलिस हो या दूसरी जांच एजेंसियां सब के सब आंख और मुंह पर पट्टी बांधकर ध्रतराष्ट्र के मानिंद बैठे हैं। हिन्दुस्तान की तो छोडिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सुरेश कलमाड़ी, नीरा राडिया, ए.राजा जैसे लोगों ने धूम मचा रखी है। सभी हत्प्रभ हैं कि आखिर भारत गणराज्य में यह क्या हो रहा है, सरेआम भ्रष्टाचार, घपले, घोटाले फिर भी इसमें लिप्त लोग मिस्टर क्लीन बने बैठे हैं। अब तो इंटरनेशनल लेबल पर कहा जाने लगा है कि एक हजार करोड़ का भ्रष्टाचार मतलब कलमाड़ी, दस हजार करोड़ रूपए का हुआ तो नीरा राडिया और अगर एक लाख करोड़ के उपर गया तो उसे ए.राजा के नाम से ही पुकारा जाए तो बेहतर होगा। देश पर आधी सदी से ज्यादा राज करने वाली कांग्रेस इससे ज्यादा दुर्दिन आम हिन्दुस्तानी को और क्या दिखाएगी!

थर्ड ग्रेड की है मध्य प्रदेश की झांकी

गणतंत्र दिवस परेड में मध्य प्रदेश द्वारा प्रस्तुत की जाने वाली बिना आकर्षण वाली है, जिसके बल बूते एमपी इस परेड में अव्वल की बजाए फिसड्डी ही बना रहेगा। दिल्ली के छावनी इलाके में बन रही इस झांकी को जिस तरीके से बनाया जा रहा है, उससे इस बात में संशय ही लग रहा है कि इसे कोई पुरूस्कार मिल सके। बाघ प्रिंट पर आधारित इस झांकी में विदिशा जिले की शाल भंजिका की प्रतिमा को अगर छोड़ दिया जाए तो शेष में कुछ भी एसा नहीं प्रतीत हो रहा है, जो दर्शकों को बांधे रखे। झांकी की तैयारियों को देखकर लगता है मानो अफसरान ने बला टालने के उद्देश्य से किसी अनाड़ी कलाकार को इसे तैयार करने के काम में लगा दिया है। इस तरह बेरौनक और आकर्षण विहीन झांकी के माध्यम से मध्य प्रदेश सरकार आखिर क्या संदेश देना चाहती है, यह बात तो एमपी के नौकरशाह और जनसेवक ही जाने पर यह तय है कि इस तरह की झांकियों से सूबे की नाक उंची होने के बजाए सूबा उपहास का ही पात्र बनकर रह जाएगा।

ज्योतिषी नहीं राजनेता हैं मनमोहन

मंत्रीमण्डल के बहुचर्चित किन्तु नीरस फेरबदल के उपरांत वजीरे आजम डॉ.मनमोहन सिंह ने मंहगाई के मामले में अप्रत्याशित जवाब देते हुए कहा कि वे ज्योतिषी नहीं हैं, कि बता सकें कि मंहगाई कब कम होगी, वैसे उन्होंने भरोसा दिलाया कि मार्च तक महंगाई काबू में आ जाएगी। वजीरे आजम की हैसियत से बोलते वक्त डॉ.मनमोहन सिंह यह भूल जाते हैं कि वे प्रसिद्ध अर्थशास्त्री हैं, अर्थशास्त्र के गणित को वे बेहतर समझते हैं। सारी स्थितियां परिस्थितियां उनके सामने हैं। सहयोगी दल यहां तक कि कांग्रेस के मंत्री भी आकंठ भ्रष्टाचार में डूबे हैं। मनमोहन क्या करें? वे भी तो पिछले सदन के भरोसे ही हैं। कठोर कदम उठाते हैं तो सरकार गिरने का डर, नहीं उठाते हैं तो मंत्री और सहयोगी दल कालर पकड़ने पर आमदा हैं। मनमोहन यह बात भी भूल गए कि उन्होंने पिछले साल आरंभ में कहा था कि मंहगाई अक्टूबर तक काबू में आ जाएगी। फिर क्या हुआ मनमोहन जी, आप भी वालीवुड के चर्चित चलचित्र ‘दामिनी‘ की तरह ‘‘तारीख पर तारीख‘ ही दिए जा रहे हैं। देश की जनता की कमर मंहगाई से टूट रही है, आपके मंत्री शरद पवार कहते हैं कि मंहगाई है कहां? अरे आप या पवार साहेब एकाध मर्तबा बाजार जाएं और वहां खीसे से पैसा निकालकर कुछ खरीदें तब तो ‘आटे दाल का भाव‘ पता चलेगा।

राहुल की जमानत पर छूटे मोईली

केंद्रीय कानून मंत्री वीरप्पा मोईली की बिदाई तय थी। आश्चर्यजनक तरीके से उनकी कुर्सी बच गई। प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह उनसे आजिज आ चुके थे। अब लोग पतासाजी में लगे हैं कि आखिर क्या कारण था कि माईली बच गए। राहुल के करीबी सूत्रों का कहना है कि अमेरिका में उच्च शिक्षा प्राप्त मोईली के दमाद आनंद इनके अघोषित जमानतदार बने जो राहुल गांधी के बचपन के अंतरंग मित्र हैं। फेरबदल के दो घंटे पहले तक संशय बरकरार रहा। कांग्रेस आलाकमान भी मोईली के आंध्र के कारनामों से नाखुश हैं, वे भी उनकी रूखसती की हिमायती थीं। फेरबदल के दो घंटे पहले मोईली को दस जनपथ का बुलावा आया। वहां प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह तब तक मोईली की बिदाई का सारा ताना बाना बुन चुके थे। सूत्र बताते हैं कि इसके पहले कि प्रधानमंत्री और सोनिया गांधी कोई फैसला ले पाते, कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी ने फच्चर फसा दिया, और मोईली के तारणहार बनकर उभरे। सूत्रों ने बताया कि मोईली का कद और पद दोनों ही बचाए रखने में वीरप्पा माईली के दमाद आनंद अदकोली की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। मोईली ने भी आनंद के माध्यम से राहुल को साधा और हो गए अपनी कुर्सी बचाने में कामयाब।

इस नौटंकी का क्या मतलब हुआ जैन साहेब

केंद्रीय मंत्री प्रदीप जैन पिछले दिनों लखनउ में रिक्शे पर चले और उनके पीछे पीछे उनकी सुरक्षा में चल रहा स्कार्ट चलता रहा। दरअसल यूपी की निजाम मायावती ने एक फरमान जारी किया है कि अगर कोई केंद्रीय मंत्री अपने निजी या पार्टी के काम से उत्तर प्रदेश आता है तो उसे राजकीय अतिथि का दर्जा नहीं दिया जाएगा, न उसे सरकारी वाहन मिलेगा और न ही सरकारी खर्च पर रूकने खाने की व्यवस्था ही की जाएगी। इस व्यवस्था के लागू होने के साथ ही मंत्री जतिन प्रसाद और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति, जनजाति के अध्यक्ष पी.एल.पूनिया को भी अपनी जेबें हल्की करनी पड़ी थीं, पर उन्होंने तो बवाल नहीं काटा। प्रदीप जैन का यह आडंबर समझ से परे है, क्योंकि वे अपनी पार्टी के काम से लखनउ गए थे। बतौर सांसद रेल में उनका किराया नहीं लगा, जब वे वहां पहुंचे तो उन्हें कम से कम एक टेक्सी ही कर लेना था। मगर अगर जैन एसा करते तो मीडिया की सुर्खियां कैसे बटोर पाते। मायावती का कदम एकदम न्यायसंगत है, आप सरकारी खर्चे पर अपनी पार्टी कैसे मजबूत कर सकते हैं, आखिर वह पैसा जनता के गाढ़े पसीने की कमाई का जो ठहरा।

हाईटेक भ्रष्टाचार हुआ है कामन वेल्थ में

कामन वेल्थ गेम्स को भ्रष्टाचार का महाकुंभ कहा जाने लगा है। इसके शिकंजे में आते ही आयोजन समिति के अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी ने चिंघाड़ा कि वे अकेले नहीं हैं इस दलदल में। कलमाड़ी ने परोक्ष तौर पर कह दिया था कि हमाम में बड़े बड़े निर्वस्त्र खड़े हुए हैं। सीबीआई ने जांच चालू की, नेताओं की सांसें थमी हुईं हैं। इसमें ज्यादा कुछ निकलकर आने की उम्मीद इसलिए नहीं है क्योंकि यह सर्वदलीय भ्रष्टाचार का नायाब नमूना था। चंद दिनों में लोग इसके बारे में भूल जाएंगे और फिर फाईलें धूल खाती फिरंेगी। वैसे सूत्रों ने बताया कि सीबीआई ने अब तक इस महाघोटाले में 154 ईमेल को खंगाला है। बताते हैं कि ईमेल के माध्यम से ही ठेकेदारों से सौदेबाजी होती थी, फिर उस हिसाब से ही बजट बनाकर पास करवा लिया जाता था। सूत्र बताते हैं लगभग पांच दर्जन ईमेल आयोजन समिति और ठेकेदारांे के बीच हुई सांठगांठ की ओर इशारा कर रहे हैं। इनमें से कुछ मेल क्विंस बेटन से संबंधित भी हैं।

राहुल की गणेश परिक्रमा में जुटे जोगी

छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी का जलजला एक बार फिर बढ़ सकता है। जोगी आजकल राहुल गांधी को प्रसन्न करने में जुटे हुए हैं। कांग्रेसियों की नजर में भविष्य के प्रधानमंत्री राहुल गांधी के लिए वरिष्ठ कांग्रेसी अपने अपने हिसाब से रोड़ मेप तैयार करने में जुटा हुआ है, ताकि कांग्रेस के सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र दस जनपथ का आर्शीवाद उसे मिल सके। इसी तारतम्य में अजीत जोगी द्वारा राहुल बिग्रेड के प्रचार प्रसार का जिम्मा अपने कांधों पर ले रखा है। अजीत जोगी द्वारा राहुल बिग्रेड की शाख देश के हर सूबे में खुलवाई जा रही है। इसके जरिए कमजोर तबके के लोगों की मदद, अन्न, वस्त्र वितरण के साथ ही साथ कांग्रेस शासित राज्यों और केंद्र सरकार की विकासोन्मुखी योजनाओं की जानकारियां देने का काम प्रमुख तौर पर किया जाएगा। कांग्रेस के अंदरखाने में यह चर्चा भी जोर पकड़ रही है कि राहुल बिग्रेड के नाम पर कांग्रेस की राजनीति में हाशिए पर ला दिए गए अजीत जोगी हर राज्य में अपने समर्थकों की खासी फौज खड़ी करने की तैयारी में हैं, ताकि आने वाले समय में वे कांग्रेस के आला नेताओं के साथ बारगेनिंग करने की स्थिति में आ जाएं।

फिर उलझे बाबा रामदेव!

बाबा रामदेव और विवादों का चोली दामन का साथ है। न बाबा बयान बाजी छोड़ते हैं, और न ही विवाद उनका दामन। योग गुरू बाबा रामदेव ने जगन्नाथ पुरी में मंदिर में सबके प्रवेश की वकालत कर डाली। फिर क्या था पुरी में मच गया धमाल। लोगों ने बाबा के खिलाफ जमकर नारेबाजी की, बाबा रामदेव के पुतले फूंके यहां तक कि उनकी गिरफ्तारी की मांग तक कर डाली। लोगों का कहना है कि मंदिर में प्रवेश के मसले पर निर्णय लेने का अधिकार पुरी के शंकराचार्य को है, न कि योग गुरू बाबा रामदेव को। गौरतलब है कि इस मंदिर में गैर हिन्दुओं का प्रवेश वर्जित है। स्वाभिमान पार्टी के जरिए देश की सत्ता हथियाने के लिए लालायित बाबा रामदेव राजनीति में अभी कच्चे खिलाड़ी हैं। किस वक्तव्य का क्या असर होगा इस बात से वे अनजान हैं, साथ ही बाबा के पास राजनैतिक समझ बूझ वाले कुशल प्रबंधक और रणनीतिकारों की कमी है, जिससे वे आए दिन उल जलूल बयानबाजी कर मीडिया की सुर्खियां अवश्य ही बटोर लेते हैं, पर ये सारी बातें बाबा रामदेव के खाते में उनकी लोकप्रियता में इजाफा तो कतई नहीं कर रही हैं।

दुर्लभ जीवों की तस्करी कर रही हैं कार्गो विमान कंपनियां

एक तरफ केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश द्वारा वन्य जीवों को बचाए रखने के लिए अनेक मंत्रियों से दो दो हाथ किए जा रहे हैं वहीं दूसरी और पूर्व उड्डयन मंत्री प्रफुल्ल पटेल और वर्तमान वायलर रवि के नेतृत्व वाला नागरिक उड्डयन मंत्रालय इस बात से अनजान है कि देश के कार्गाे विमान संचालकों द्वारा इनके माध्यम से दुर्लभ वन्य जीवों की तस्करी की जा रही है। मध्य प्रदेश काडर की भारतीय पुलिस सेवा की अधिकारी एवं वन्य जीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो की निदेशक रीना मित्रा कहती हैं कि वन्य जीवों की तस्करी करने वाली दो कार्गाे एयरलाईंस के बारें में जांच जारी है, जब तक शक यकीन में नहीं बदल जाता तब तक इनके नाम उजागर नहीं किए जा सकते। वन एवं पर्यावरण मंत्री को जैसे ही इस बात की भनक लगी, उन्होंने तत्काल ही इस मामले को नागरिक उड्डयन मंत्री के समक्ष रखने का मन बना लिया है, अब देखना यह है कि फेरबदल के बाद जयराम रमेश की पहली भिडंत वायलर रवि से किस तरह और किस स्तर पर होती है।

भाजपा के गांधी ने पीछे छोड़ा युवराज को

भले ही कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी भाजपा के वरूण गांधी से उमर में दस साल बड़े हों पर एक मामले में राहुल गांधी को वरूण गांधी ने मात दे दी है, और वह है शादी का मसला। 19 जून 1970 को जन्मे राहुल गांधी की शादी की आधिकारिक घोषणा अभी नहीं हो सकी है, पर दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी के वरूण गांधी शादी की तैयारियां सप्तपुरियों में से एक पवित्र नगरी वाराणसी के हनुमान घाट पर कांची मठ में आरंभ हो गई हैं। सूत्रों का कहना है कि मेनका गांधी की तमन्ना है कि यह विवाह शास्त्रोक्त विधि से संपन्न हो एवं इसके साक्षी बनें स्वयं कांची कामकोटी पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी जयेंद्र सरस्वती। काशी में विवाह के उपरांत दिल्ली में एक प्रीतिभोज का आयोजन भी किया जाने वाला है। राहुल गांधी को महिमा मण्डित करने के कारण भले ही उनका ग्लेमर सर चढ़कर बोल रहा हो, किन्तु देश की निगाहें इस बात पर लगी हैं कि वरूण की शादी में उनकी ताई सोनिया, बहन प्रियंका वढ़ेरा और बड़े भाई ‘‘कुंवारे जेठ‘ राहुल गांधी शामिल होते हैं या नहीं!

पुच्छल तारा

देश के वजीरे आजम ने आखिरकार अपने उन्नीस माह पुराने मंत्रीमण्डल को मथ दिया है। इस मंथन के बाद जो निकलकर आया है वह विष है या अमृत यह तो भविष्य के गर्भ में ही छिपा हुआ है। आज के समय में मनमोहन सिंह मजाक का विषय बने हुए हैं। मध्य प्रदेश के दमोह से शुभी ने एक ईमेल भेजा है, शुभी लिखती हैं कि एक बूढ़े पहलवान ने दावा किया कि आज भी उनके अंदर उतनी ही ताकत है, जितनी कि जवानी में थी। लोगों ने पूछा कैसे भई? पहलवान बोला -‘‘वो बड़ा पत्थर देख रहे हो न, में उसे जवानी में भी नहीं उठा पाता था, और आज भी नहीं उठा पाता हूं। इसी तर्ज पर मनमोहन सिंह ने मंत्रीमण्डल फेरबदल के बाद सोचा होगा कि वे आज भी उतने ही ताकतवर हैं जितने कि चंद साल पहले थे। वे आज भी कड़े फैसले नहीं ले सके और चंद साल पहले भी कड़े फैसले नहीं ले पाए थे।

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लिमटी खरे
हमने मध्य प्रदेश के सिवनी जैसे छोटे जिले से निकलकर न जाने कितने शहरो की खाक छानने के बाद दिल्ली जैसे समंदर में गोते लगाने आरंभ किए हैं। हमने पत्रकारिता 1983 से आरंभ की, न जाने कितने पड़ाव देखने के उपरांत आज दिल्ली को अपना बसेरा बनाए हुए हैं। देश भर के न जाने कितने अखबारों, पत्रिकाओं, राजनेताओं की नौकरी करने के बाद अब फ्री लांसर पत्रकार के तौर पर जीवन यापन कर रहे हैं। हमारा अब तक का जीवन यायावर की भांति ही बीता है। पत्रकारिता को हमने पेशा बनाया है, किन्तु वर्तमान समय में पत्रकारिता के हालात पर रोना ही आता है। आज पत्रकारिता सेठ साहूकारों की लौंडी बनकर रह गई है। हमें इसे मुक्त कराना ही होगा, वरना आजाद हिन्दुस्तान में प्रजातंत्र का यह चौथा स्तंभ धराशायी होने में वक्त नहीं लगेगा. . . .

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