ये है दिल्ली मेरी जान

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-लिमटी खरे

जलजला कम हो गया है पीएम इन वेटिंग का

राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के पीएम इन वेटिंग लाल कृष्ण आड़वाणी की पूछ परख अब बेहद कम हो गई है। माना जा रहा था कि अयोध्या मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के आने के बाद राथ यात्रा कर भाजपा का जनाधार बढ़ाने वाले एल.के.आड़वाणी को लोग हाथों हाथ लेंगे, वस्तुतः एसा कुछ हुआ नहीं। हाल ही में बिहार चुनाव के बिगुल बजने के बाद सूबे में पूर्व उप प्रधानमंत्री आड़वाणी को प्रचार में बुलाने के लिए कोई विशेष मांग दिखाई नहीं दे रही है। भाजपा की केंद्रीय इकाई के उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि आड़वाणी के लिए आधा दर्जन सभाओं की मांग भी नहीं आई है। प्रदेश भाजपा से प्राप्त सूची के अनुसार सुषमा स्वराज के लिए 77, पूर्व अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी और राजनाथ सिंह के लिए 42 – 42, के अलावा नितिन गड़करी, अरूण जेतली, हेमा मालिनी, स्मृति ईरानी, वेंकैया नायडू के लिए मांग दहाई में तो राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के पीएम इन वेटिंग रहे लाल कृष्ण आड़वाणी के लिए महज पांच आम सभाओं की ही मांग अब तक आ सकी है। वैसे भी भाजपा और संघ ने आड़वाणी को हाशिए पर लाकर खड़ा कर ही दिया है।

. . . तो इसलिए सड़ाया गया था अनाज!

देश में बड़ी मात्रा में अनाज सड़ गया है। देश की सबसे बड़ी अदालत ने भी इसकी गंभीरता को देखकर संज्ञान लिया है। केंद्र सरकार के पास कोई जवाब नहीं है कि आखिर अनाज क्यों और कैसे सड़ गया जबकि अनाज के रखरखाव के लिए केंद्र सरकार ने वेयर हाउस के लिए तगड़ी सब्सीडी भी दी थी, जिसका लाभ लाखों लोगों ने उठाया। अब अनाज सड़ने की बात पर भारतीय जनता पार्टी ने नया शिगूफा छोड़ दिया है। भाजपा के राष्ट्रीय सचिव किरीट सौमेया ने आरोप लगाया है कि शराब कारखानांे को सड़ा अनाज देकर लाभ पहुंचाने के लिए अनाज को जानबूझकर सड़ाया है। गौरतलब है कि महाराष्ट्र सरकार द्वारा सड़ा अनाज शराब कारखानों को देने का कानून भी बना दिया है। देश के कृषि मंत्री शरद पंवार खुद महाराष्ट्र सूबे के हैं, और वे शराब और शक्कर लाबी के खासे पोषक माने जाते हैं, तब सौमेया के आरोपों को बल मिलना स्वाभाविक ही है।

लालू पुत्र की गर्जना

संप्रग सरकार के पहले कार्यकाल में स्वयंभू प्रबंधन गुरू बनकर उभरे तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव के क्रिकेटर पुत्र तेजस्वी यादव ने राजनीति के मैदान में भी चौके छक्के मारने आरंभ कर दिए हैं। बिहार चुनावों के पहले तेजस्वी ने बहुत ही कांफीडेंस के साथ आम सभा को संबोधित कर सभी को चौंका दिया। अपने रटे रटाए भाषण में तेजस्वी ने मुख्यमंत्री नितिश कुमार को जमकर कोसा। लोगों को आश्चर्य तब हुआ जब राजनैतिक परिदृश्य से गायब हो चुके स्वच्छ छवि के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी को तेजस्वी ने आड़े हाथों लिया। तेजस्वी का आरोप था कि अटल बिहारी बाजपेयी ने अपने कार्यकाल में भी बिहार के साथ सौतेला व्यवहार किया है। पटना में चुनावी सभा को संबोधित करने के दौरान तेजस्वी ने भले ही हर लाईन पर भाड़े की तालियां बटोरी हों, पर अटल बिहारी बाजपेयी पर आरोप लगाकर उन्होंने अपनी अपरिपक्वता साबित कर ही दी।

दिल्ली में बिकी शिवराज की भांजी!

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की बहन की बेटी का अपहरण कर उसे दिल्ली ले जाकर बेच दिया गया! जी हां, यह सच है कि मध्य प्रदेश के हर बच्चे के मामा कहलाते हैं शिवराज सिंह चौहान। उनके सूबे की हर महिला उनकी बहन है। टीकमगढ़ जिले के डुडीयन खेरा गांव की एक 15 साल की बच्ची का अपहरण गांव के ही रतिराम लोधी ने लगभग छः माह पहले कर उसे दिल्ली ले जाकर राकेश पाल नामक युवक को 15 हजार रूपए में बेच दिया। उस युवती के साथ दो लोगों ने मुंह काला भी किया, जिससे उक्त नाबालिक बाला का पांव भारी हो गया। बताते हैं कि किसी तरह उक्त बाला इन दुराचारियों के चंगुल से बचकर वापस अपने गांव पहुंची। आश्चर्य तो इस बात पर है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री की मानस पुत्री या भांजी छः माह से अपने घर से गायब रही और उनके सूबे की पुलिस हाथ पर हाथ रखे चुपचाप बैठी रही!

राजा ने बढ़ाई कांग्रेस की मुश्किलें

साठ हजार करोड़ रूपए के 2 जी स्पेक्ट्रम के कथित घोटाले में फंसे केंद्रीय दूर संचार मंत्री ए.राजा ने कांग्रेस को परेशानी में डाल दिया है। सर्वोच्च न्यायालय की भ्रष्टाचार पर टिप्पणी आने के बाद कांग्रेस के प्रबंधक पशोपेश में हैं कि वे राजा को लेकर क्या स्टेंड लें। अगर वे राजा के खिलाफ कोई कदम उठाते हैं तो डीएमके के मुख्यमंत्री करूणानिधि की नाराजगी कांग्रेस को झेलनी पड़ सकती है और अगले साल तमिलनाडू में चुनाव हैं। वर्तमान में सीबीआई जांच के आधार पर सरकार ने राजा के खिलाफ कार्यवाही को विराम दे रखा है। सीबीआई का कहना है कि वह कुछ मीडिया पर्सन्स और ए.राजा के बीच फोन पर हुई बातचीत के ब्योरे की तह में जाने का प्रयास कर रही है। उधर करूणानिधी ने सरकार को धमकाया है कि अगर राजा को सरकार से हटाया गया तो उनके विरोधियों को हथियार मिल जाएगा। वैसे भी 18 सांसदों के साथ डीएमके ने यूपीए सरकार को बैसाखियों पर टांग रखा है।

विवादों में एमपी भाजपा महिला मोर्चा

मध्य प्रदेश में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की दूसरी पारी में उसका शनि कुछ भारी ही दिख रहा है। एक के बाद एक परेशानियों का सामना करने के उपरांत अब भाजपा को अपनी सूबाई महिला मोर्चा की कार्यकारिणी की घोषणा के साथ ही विवादों से दो चार होना पड़ रहा है। मध्य प्रदेश भारतीय जनता पार्टी महिला मोर्चा के अध्यक्ष पद की कमान परिसीमन के उपरांत समाप्त हुई सिवनी लोकसभा की अंतिम सांसद और सिवनी की विधायक श्रीमति नीता पटेरिया को सौंपी गई है। उन्होंने अपनी कार्यकारिणी की घोषणा कर दी है। घोषणा के साथ ही यह कार्यकारिणी विवादों में आ गई है। अव्वल तो लाल बत्ती की जुगत में श्रीमति पटेरिया ने इसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अर्धांग्नी श्रीमति साधना सिंह को बतौर उपाध्यक्ष शामिल कर लिया है। लोग अब दबी जुबान से कहने लगे हैं कि एमपी में भी अब राबड़ी देवी को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके अलावा कहते हे। कि इसमें नीता पटेरिया ने अपने सचिव की पत्नि उमा विश्वकर्मा को भी कार्यसमिति में स्थान दिया है। सबसे अधिक अपत्तिजनक तो यह है कि उनकी लिस्ट में भाजपा से निष्काशित रानी बघेल को भी विशेष आमंत्रित में शामिल कर लिया गया है।

कहां गए 22 हजार करोड़?

देश की राजनैतिक राजधानी दिल्ली में कांक्रीट जंगल ही चहुं और दिखाई पड़ते हैं। राज्य में खुले मैदान या खेत नाम मात्र को रह गए हैं। दिल्ली के पर्यावरण का हाजमा भी खेती किसानी और वनों के न होने से बिगड़ता रहा है। विडम्बना देखिए कि कृषि प्रधान भारत वर्ष की राजनैतिक और व्यवसायिक राजधानी दोनों ही में खेती किसानी के लिए कोई जगह नहीं है, उसके बाद भी केंद्र सरकार की नींद नही टूूट रही है। दिल्ली वैसे तो भांति भांति के कारनामों के लिए मशहूर है किन्तु दिल्ली ने एक मामले में जो कारनामा कर दिखाया है उसे देखकर हर कोई दांतों तले उंगली दबा सकता है। दिल्ली में खेत नहीं के बराबर ही हैं, फिर भी दिल्ली का कृषि ऋण 22 हजार करोड़ रूपए का है। किसानी के कर्ज के मामले में दिल्ली देश में आंध्र, तमिलनाडू, महाराष्ट्र, पंजाब के उपरांत पांचवी पायदान पर है। सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि खेतों के बिना भी दिल्ली ने यूपी, एमपी, गुजरात, राजस्थान, हरियाणा को पीछे छोड़ दिया है।

स्थाई समिति बनेगी कांग्रेस के लिए सरदर्द

केंद्र में कांग्रेस और भाजपा की नूरा कुश्ती धीरे धीरे लोगों के समझ में आने लगी है। देश की जनता का दोनों ही प्रमुख सियासी दलों के उपर से विश्वास उठने लगा है। कांग्रेस तो अभी सत्ता की मलाई जमकर चख रही है। आम चुनाव 2014 में हैं इस लिहाज से कांग्रेस के पास अभी चार साल का समय माना जा सकता है, पर भाजपा अपने गिरते जनाधार से खासी चिंता में आ चुकी है। भाजपा के प्रबंधकों ने कांग्रेस के साथ नूरा कुश्ती बंद कर अब आम जनता के लिए लड़ाई लड़ने का नया प्रहसन लिखा है। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष श्रीमति सुषमा स्वराज के निर्देशन में इस प्रहसन को खेला जाने वाला है। अब संसद की स्थाई समिति के माध्यम से भाजपा द्वारा कांग्रेस को घेरने का प्रयास किया जाएगा। अब तक नियम कायदों की जानकारी के अभाव में सांसदों द्वारा स्थाई समिति के सदस्य होने के बाद भी चुपचाप हां में हां मिला दी जाती है। सुषमा स्वराज इन सांसदों को प्रशिक्षण देंगी, कि किस तरह से संसद में अपन पक्ष रखना है। भाजपा भूल जाती है कि अब वह खुद ही नैतिकता का पाठ भूल चुकी है तो फिर सांसदों से इसकी उम्मीद बेमानी ही है।

दागियों का बोलबाला है बिहार चुनावों में

सियासी दलों द्वारा भले ही बार बार अपना दामन पाक साफ करने की गरज से दागियों से पीछा छुडाने की बात सार्वजनिक तौर पर चीख चीख कर कही जाती हो, किन्तु जब उसे अमली जामा पहनाने की बारी आती है तब इन्हीं राजनैतिक दलों द्वारा चुप्पी साध ली जाती है। बिहार के चुनाव मंे यह बात साफ तौर पर दिखाई दे रही है कि कौन सा राजनैतिक दल कितने दागियों को प्रश्रय देने पर मजबूर है। चुनाव के पहले चरण में दागियों के मामले में भाजपा ने बजाजी मर ही है। नेशनल इलेक्शन वॉच नामक गैर सरकारी संगठन के अध्ययन के अनुसार भाजपा ने 21 में से 14 (67 फीसदी), जनता दल यूनाईटेड ने 26 में से 12 (46 फीसदी), कांग्रेस ने 47 में से 20 (42 फीसदी), राष्ट्रीय जनता दल ने 31 में से 12 (39 फीसदी), लोकशक्ति जनशक्ति पार्टी ने 26 में से 10 (63 फीसदी), बसपा ने 45 में से 17 (38 फीसदी) लोगों को मैदान में उतारा है। महज 47 सीटों के लिए 154 दागी मैदान में हैं, जिनमें से 98 पर हत्या का मुकदमा, हत्या का प्रयास जैसे आरोप हैं।

काश्मीर मसले में देवबंद की सराहनीय पहल

काश्मीर किस देश की मिल्कियत है, इस सवाल पर भारत और पाकिस्तान के बीच सदा से रार ठनी हुई है। काश्मीर मसले पर हर एक राजनैतिक दल ने तबियत से सियासत की है। पहली मर्तबा देवबंद के उलेमाओं ने काश्मीर समस्या पर कोई बात कही है। देवबंद की जमियत – उलेमा – ए – हिन्द द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि काश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और दुश्मन की ताकतें उसके टुकड़े करना चाहती हैं। उलेमाओं की बैठक के बाद यह राय उभरकर सामने आई है। बैठक में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा कि काश्मीर समस्या का हल भारतीय संविधान के दायरे में रहकर ही संभव है, और काश्मीर के लोग भी इस राय से इत्तेफाक रखते हैं। बोर्ड ने दो टूक शब्दों में कहा है कि मौजूदा हालातों में कोई भी पाकिस्तान के साथ जाने को अपनी रजामंदी नहीं देने वाला है। गौरतलब है कि देवबंद के उलेमाओं का कथन अपने आप में बहुत ज्यादा मायने रखता है।

खुशखबरी: रोमिंग हो सकती है समाप्त

मोबाईल धारकों के लिए यह खुशखबरी है कि आने वाले दिनों में अगर सब कुछ ठीक ठाक रहा तो उन्हें अपने सेवा प्रदाता के एक सर्किल से दूसरे सर्किल मंे जाने पर लगने वाली रोमिंग से निजात मिल सकती है। दूरसंचार विभाग द्वारा गठित एक आयोग ने अपनी सिफारिशों में उक्ताशय की व्यवस्था देने की बात कही है। आयोग की सिफारिशंे जताती हैं कि देश को मोबाईल के वर्तमान 22 सर्किल के बजाए महज चार सर्किल में ही बांट दिया जाए। वर्ममान में मोबाईल धारकों को लोकल काल 1 रूपए चालीस पैसे, एसटीडी 2 रूपए चालीस पैसे और इनकमिंग काल के तौर पर एक रूपए पचहत्तर पैसे अधिकतम की सीमा निर्धारित है। अगर सरकार ने रोमिंग के मामले में अपने नियम कायदों में संशोधन किया तो निश्चित तौर पर मोबाईल सेवा प्रदाता इससे खासे खफा हो जाएंगे और फिर वे सरकार पर दबाव बनाएंगे कि रोमिंग समाप्त न की जाए। इसका कारण यह है कि मोबाईल कंपनियों को रोमिंग से 12 हजार करोड़ रूपए का सालाना राजस्व मिलता है। सियासी गलियारे में यह चर्चा भी आम हो गई है कि दूरसंचार के टू जी स्पेक्ट्रम घोटाले में फंसे ए.राजा पर तलवार लटकने के चलते वे अपनी चला चली की बेला में कंपनियों पर दबाव बनाकर माल खीचने की तैयारी में भी लग रहे हैं।

आर्थिक राजधानी से होगा ओबामा के दौरे का आरंभ

दुनिया के चौधरी अमेरिका के पहले नागरिक बराक ओबामा अगले माह भारत आने वाले हैं। ओबामा के स्वागत के लिए भारत पलख पांवड़े बिछाए बैठा है। प्रधानमंत्री कार्यालय के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि ओबामा चाह रहे हैं कि वे अपने दौरे की शुरूआत भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई से करें। इसके पीछे कुछ ठोस कारण सामने आ रहे हैं। अव्व्ल तो ओबामा द्वारा देश पर अब तक हुए सबसे बड़े आतंकवादी हमले में मारे गए लोगों को श्रृद्धांजली अर्पित की जाएगी, फिर वालीवुड के हालीवुड में बढ़ते प्रभाव से भी वे प्रभावित हैं। वैसे भी आतंकियों की नजरें मुंबई पर जमकर लगी हैं, इसलिए ओबामा की दिलचस्पी मंुबई में अधिक है। एफबीआई और सीआईए के अधिकारियों का बार बार भारत और विशेषकर मुंबई आना इसी बात की ओर इशारा करता है कि ओबामा की भारत मंे पहली पसंद मंुबई बनकर ही उभरा है।

सलमान पर आयकर विभाग की नजरें तिरछी

वालीवुड में तहलका मचाने वाले सलमान की एक थाप पर भले ही देश के अनेक युवा, युवतियां, बुजुर्ग झूमते हों, किन्तु वर्तमान में आयकर विभाग की ताल पर सलमान खान कत्थक करते नजर आ रहे हैं। सलमान खान से चार करोड़ रूपए वसूलने आयकर विभाग ने मंुबई उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। दरअसल सलमान खान पर वर्ष 2000 और 2001 के वित्तीय वर्ष में आय कम बताने के मामले में आयकर विभाग ने यह कदम उठाया है। इस वित्तीय वर्ष में सलमान ने अपनी आय नौ करोड़ 32 लाख रूपए बताई थी, जबकि आयकर विभाग का मानन है कि इस वित्तीय वर्ष मंे सलमान की आय 13 करोड़ 61 लाख रूपए थी। आय छिपाने के मामले में आयकर अपीलीय ट्रिब्यूनल के फैसले के उपरांत अब आयकर विभाग ने उच्च न्यायालय की शरण ली है। पहले आयकर विभाग और भी नामी गिरामी अभिनेता अभिनेत्रियों को अपनी चपेट में ले चुका है। कहा जा रहा है कि आयकर विभाग की यह कार्यवाही किसी राजनैतिक दुर्भावना से प्रेरित होकर ही की गई है।

पुच्छल तारा

देश की सबसे बड़ी अदालत द्वारा भ्रष्टाचार पर चिंता जाहिर कर राष्ट्रव्यापी बहस का आगाज कर दिया है। कोर्ट का कहना सच है कि अगर भ्रष्टाचार समाप्त नहीं कर सकते तो कम से कम इसे वेध ही कर दिया जाना चाहिए। अब गली, मोहल्ला, चौराहे, पान के खोकों पर भ्रष्टाचार के शिष्टाचार बनने की कथाएं गढ़ी जा रही हैं। इस समय सबसे हाट टापिक भ्रष्टाचार ही बन गया है। भ्रष्टाचार की टीआरपी जबर्दस्त हो गई है। केरल के त्रिप्यार से रश्मि पिल्लई ने इस मामले में एक शानदार ईमेल भेजा है। रश्मि लिखती हैं कि सुप्रीम कोर्ट की चिंता बेमानी है। देश में वैसे भी भ्रष्टाचार अघोषित तौर पर वैध ही समझा जाना चाहिए, क्योंकि इसमें लिप्त कोई भी सरकारी नुमाईंदा दंडित होता तो नहीं दिखता। अलबत्ता वह पदोन्नति की पायदान तेजी से चढ़ते दिखते हैं।‘‘

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लिमटी खरे
हमने मध्य प्रदेश के सिवनी जैसे छोटे जिले से निकलकर न जाने कितने शहरो की खाक छानने के बाद दिल्ली जैसे समंदर में गोते लगाने आरंभ किए हैं। हमने पत्रकारिता 1983 से आरंभ की, न जाने कितने पड़ाव देखने के उपरांत आज दिल्ली को अपना बसेरा बनाए हुए हैं। देश भर के न जाने कितने अखबारों, पत्रिकाओं, राजनेताओं की नौकरी करने के बाद अब फ्री लांसर पत्रकार के तौर पर जीवन यापन कर रहे हैं। हमारा अब तक का जीवन यायावर की भांति ही बीता है। पत्रकारिता को हमने पेशा बनाया है, किन्तु वर्तमान समय में पत्रकारिता के हालात पर रोना ही आता है। आज पत्रकारिता सेठ साहूकारों की लौंडी बनकर रह गई है। हमें इसे मुक्त कराना ही होगा, वरना आजाद हिन्दुस्तान में प्रजातंत्र का यह चौथा स्तंभ धराशायी होने में वक्त नहीं लगेगा. . . .

2 COMMENTS

  1. loktantr ke pahredar aise hon…jaise ki limtee..khare…..halanki khabren pahle hi vibhinn madhymo pr uplobdh hain kintu ek saath unki prsangikta ke krm men poori taajgi se pesh karna shri khare ji ko bakhubi aataa hai.badhai.

  2. its is baad to spoil foograins for wine.
    it couldhad help the country to fight against a very special prblem hunger
    who made sharad pawar a minister
    he dont even have a single quality, he dont know how to talk , he should be removed

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