ये है दिल्ली मेरी जान

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लिमटी खरे

घोटाला पुरूष बने शरद पवार!

कोई विकास पुरूष बनता है तो कोई युग पुरूष पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सुप्रीमो शरद पवार तो घोटाला पुरूष की अघोषित संज्ञा पा गए हैं। इंटरनेट पर इन दिनों शरद पंवार के घोटालों की चर्चाएं जोरों पर हैं। शरद पंवार कांड के नाम से एक फोटो फेसबुक सहित अनेक सोशल नेटवर्किंग वेब साईट पर चर्चा का विषय बनी हुई है। इसमें लवासा, रायगढ़, पुणें में लेण्ड स्केम, ललित मोदी के साथ आईपीएल क्रिकेट का घोटाला, अब्दुल तेल घी (तेलगी) के साथ स्टेम्प पेपर घोटाला, गेंहंू खरीदी और शक्कर घोटाला, शहीद बलवा, आदिमत्थू राजा संग टू जी स्पेक्ट्रम घोटाला, अजीत पंवार के साथ महाराष्ट्र बैंक घोटाला, इंडोसल्फान, पप्पू कालानी को संरक्षण देना, प्रफुल्ल पटेल के साथ एयर इंडिया घोटाले का जिकर मिल रहा है। पवार साहेब या कोई भी राजनेता अब इलेक्ट्रानिक और प्रिंट मीडिया को जैसा मर्जी चाहे मैनेज कर लें पर ब्लाग या सोशल नेटवर्किंग वेब साईट्स तो उन्हें नंगा कर ही देगी।

भूटान नरेश ने की सोनिया की तौहीन

हाल ही में हुई भूटान नरेश की शादी में हिन्दुस्तान के दिग्गज प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह, महामहिम राष्ट्रपति प्रतिभा देवी पाटिल और देश की सबसे ताकतवर महिला कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी को न्योता नहीं भेजा। भूटान नरेश ने युवाओं के प्रतीक पुरूष राहुल गांधी और भाजपा की वसुंधरा राजे सिंधिया के पुत्र दुष्यंत को अवश्य ही आमंत्रित किया। अमूमन भारतीय संस्कृति के हिसाब से घर में माता पिता के जीवित रहते किसी भी कार्यक्रम का निमंत्रण उनके नाम से ही आता है। उनके अवसान के उपरांत फिर बेटा या बेटी को निमंत्रण भेजा जाता है। भूटान नरेश ने सोनिया को नहीं न्योता उधर राहुल गांधी इस बात की परवाह किए बिना ही कूदकर उनके विवाह में शरीक हो गए। जब इस मामले में किरकिरी होना आरंभ हुआ तब कांग्रेस के मीडिया मैनेजर डैमेज कंट्रोल में जुटे।

ऐसे बन रहा शिवराज का स्वर्णिम एमपी

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान देश के हृदय प्रदेश को स्वर्णिम प्रदेश बनाने में जुटे हुए हैं। शिवराज सिंह चौहान द्वारा समय समय पर कांग्रेसनीत केंद्र सरकार को कोसने की औपचारिकता पूरी की जाती है। हाल ही में योजना आयोग के द्वारा मानव विकास प्रतिवेदन पेश किया गया। इसमें मध्य प्रदेश की स्थिति पिछड़े राज्यों में बदतर ही प्रतीत हो रही है। करोड़ों अरबों रूपए बर्बाद कर केंद्र पोषित समग्र स्वच्छता अभियान की कलई उस वक्त खुल गई जब इस प्रतिवेदन में यह कहा गया कि मध्य प्रदेश में पचहत्तर फीसदी घरों में पक्के शौचालय नहीं हैं। सीएजी अगर इस ओर गौर फरमाए तो मध्य प्रदेश में कामन वेल्थ घोटालें से कई गुना बड़ा घोटाला समग्र स्वच्छता अभियान में उजागर हो सकता है।

वामदलों की पेशानी पर चिंता की लकीरें

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं का चैन गायब हो चुका है। नेशनल पार्टी का दर्जा छिनने के बाद अब यह पार्टी सूबाई पार्टी की फेहरिस्त में शामिल हो चुकी है। सत्ता के मद में चूर रहे वाम दलों के नेताओं की नींद अब टूटी है जब उनके नीचे से धरातल ही खिसक चुका है। वाम दल अब आत्म मंथन कर रहे हैं कि किस तरह अपनी साख बचाई जाए। पार्टी के अंदर मंत्रणाओं के दौर आरंभ हैं। पार्टी की जनरल काउंसिल की बैठक मार्च में पटना में प्रस्तावित है। यह बैठक हंगामेदार होने की उम्मीद है। इसमें पार्टी की वर्तमान स्थिति के बारे में गहन विचार विमर्श होने की उम्मीद है। इसमें पार्टी को नया मुखिया मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। कहा तो यह भी जा रहा है कि वर्तमान उप सचिव सुदावरम सुधाकर ही पार्टी के नए मुखिया होंगे।

हृदय प्रदेश में नए डीजीपी की तलाश आरंभ

मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए दो साल का वक्त बचा है। इसके लिए सूबे के निजाम शिवराज सिंह चौहान ने अफसरशाही जमावट आरंभ कर दी है। एमपी के पुलिस विभाग के मुखिया का चयन भी इसी क्रम में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। दिल्ली में चल रही चर्चाओं के अनुसार शिवराज सिंह चौहान ने अपने कांग्रेसी मित्रों से पूछकर अब पुलिस महानिदेशक पद के लिए सुरेंद्र सिंह को इस पद पर काबिज करवाने का मन बना लिया है। 1980 बैच के अधिकारी सुरेंद्र सिंह वैसे तो दिग्विजय सिंह के काफी पसंदीदा अफसर बताए जा रहे हैं। काफी विचार विमर्श के बाद अब इस पद पर उनके नाम पर अंतिम मुहर लगनी बाकी है। शिवराज सिंह की चौकड़ी सुरेंद्र सिंह के नाम के लिए संघ के आला नेताओं को भी सिद्ध करने का जतन करने में जुट रहे हैं। पुलिस विभाग के वर्तमान मुखिया एस.के.राउत अगले साल फरवरी माह में सेवानिवृत होने वाले हैं।

आखिर क्यों हैं स्वामी के नजदीक मन

नेहरू गांधी परिवार (महात्मा गांधी नहीं) के घोषित विरोधी सुब्रम्हणयम स्वामी इन दिनों भाजपा और प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह के आंखों के तारे बने हुए हैं। सोनिया के विरोध के बावजूद भी प्रधानमंत्री न जाने क्यों उन्हें बेहद भाव दे रहे हैं। जानकारो ंका कहना है कि आग और पानी का समन्वय बनाते हुए वजीरे आजम द्वारा एक तरफ सोनिया गांधी को तो दूसरी तरफ उनके विरोधी स्वामी को साधे हुए हैं। पिछले दिनों गांधी जयंती के कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने स्वामी को सोनिया के समकक्ष बिठाकर कांग्रेस की आला कमान की बुराई मोल ले ली। कांग्रेस के हल्कों में चल रही चर्चाओं के अनुसार सोनिया को पीएम का यह कदम बुरी तरह नागवार गुजर रहा है। हो सकता है पीएम की बिदाई का सबब भी यही बन मुद्दा बन जाए।

यूपी फतह है कांग्रेस की फर्स्ट प्रायारिटी

कांग्रेस किसी भी कीमत पर उत्तर प्रदेश में अपना परचम लहराना चाह रही है। इसके लिए वह साम, दाम, दण्ड और भेद की नीति अपनाना चाह रही है। एक मर्तबा उत्तर प्रदेश में अल्पसंख्यकों को लुभाकर मुलायम सिंह ने सत्ता हासिल की थी। यही बात कांग्रेस के रणनीतिकारों को यह बात जमी और कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने मुसलमानों को आरक्षण देने के संकेत दिए। सलमान खुर्शीद के मन में यूपी का निजाम बनने की हसरत कुलांचे भर रहीं हैं। यही कारण है कि वे उत्तर प्रदेश के मामलों में अब ज्यादा दिलचस्पी लेने लगे हें। कहा जा रहा है कि अगर इस बार उत्तर प्रदेश में कांग्रेस ने अपना प्रदर्शन नहीं सुधारा तो आने वाले आम चुनावों में विपक्ष के हाथों में अनजाने में ही सोनिया और राहुल को घर संभालने की नसीहत का मुद्दा मिल सकता है। कांग्रेस विपक्ष को अवसर देने के पक्ष में कतई नहीं दिख रही है।

घपलों घोटालों से आहत हैं राजमाता

संप्रग की दूसरी पारी में इतने घपले और घोटाले उजागर हुए हैं कि कांग्रेस की छवि पर पूरी तरह बट्टा लग गया है। इससे कांग्रेस की राजमाता बुरी तरह आहत नजर आ रही हैं। आज सोनिया गांधी के सामने सबसे बड़ी समस्या यह है कि वे आखिर भरोसा करें तो किस पर। उन्हें सलाह देने वाले सारे नेता कांग्रेस के बजाए खुद को स्थापित करने की जुगत में ही लगे हुए हैं। मनमोहन सिंह पर भ्रष्टाचार के ईमानदार संरक्षक होने की छाप लग चुकी है। मनमोहन खुद को बेबस और लाचार साबित कर अपना दामन बचा चुके हैं। इस परिस्थिति में इस सबका ठीकरा कांग्रेस पर ही फूट रहा है। सोनिया को इस बात का डर सता रहा है कि अगर कांग्रेस की छवि नहीं सुधरी तो आने वाले समय में युवराज राहुल गांधी की ताजपोशी कैसे हो सकेगी?

आईपीएस नहीं आईएएस बैठेगा टीसी की कुर्सी पर

मध्य प्रदेश में सत्रह साल के उपरांत परिवहन आयुक्त की कुर्सी पर भारतीय पुलिस सेवा के बजाए भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी की पदस्थापना होने वाली है। भारतीय प्रशासनिक सेवा के मध्य प्रदेश काडर के दिल्ली में पदस्थ अधिकारियों के बीच चल रही चर्चाओं के अनुसार परिवहन आयुक्त एस.एस.लाल की बिदाई अब सुनिश्चित ही है। 2013 के विधानसभा चुनावों को देखते हुए शिवराज सिंह चौहान की पोस्टस पर अपने चुनिंदा अधिकारियों को बिठाने की कवायद में जुट गए हैं। विधानसभा चुनावों के वक्त इंदौर कलेक्टर रहे राकेश श्रीवास्तव को जनसंपर्क आयुक्त बनाकर शिवराज ने उनके प्रति अनुराग जता दिया था। चर्चा है कि जल्द ही उन्हें परिवहन आयुक्त के मलाईदार पद पर बिठाया जाएगा, ताकि फंड मेनेजमेंट भी संभाला जा सके।

एमपी कांग्रेस में मीनाक्षी गुट का उदय!

मध्य प्रदेश में कांग्रेस कई गुटों में बटी है। कमल नाथ, सिंधिया, दिग्गी राजा, पचौरी, श्रीनिवास तिवारी, भूरिया आदि न जाने कितने गुट अस्तित्व में हैं। हाल ही में एमपी कांग्रेस कमेटी में नए गुट का अभ्युदय हुआ है। यह गुट है मीनाक्षी नटराजन का। कांग्रेस की नजरों में भविष्य के प्रधानमंत्री राहुल गांधी की करीबी मीनाक्षी नटराजन ने दबे पांव सियासत करना आरंभ किया है। मीनाक्षी अपने चहेतों को अब प्रदेश कांग्रेस कमेटी में न केवल स्थान दिलवा रही हैं वरन् गुमनाम चेहरों को भी धो पोंछकर सामने लाना चाह रही हैं। इसी तारतम्य में इंदौर के एक शैक्षणिक संस्था चलाने वाले व्यवसाई को लगे हाथ वीटो का प्रयोग कर मीनाक्षी ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी का सचिव बनवा दिया है। एमपी के कांग्रेसी क्षत्रप बेबस हैं क्योंकि मीनाक्षी की दखल राहुल गांधी के किचिन तक जो ठहरी।

क्या आड़वाणी संन्यास लेंगे?

देश की राजनैतिक राजधानी दिल्ली में इन दिनों एक ही बात पर चर्चा चल रही है कि क्या राजग का पीएम इन वेटिंग पद छोड़ चुके भाजपा के कथित लौह पुरूष लाल कृष्ण आड़वाणी संन्यास की घोषणा करेंगे। तिरासी बसंत देख चुके भाजपा के वयोवृद्ध नेता आड़वाणी के मन में अभी भी प्रधानमंत्री बनने की उत्कंठ इच्छा है। यही कारण है कि वे यात्रा पर यात्रा किए जा रहे हैं। एक तरफ तो सियासी पार्टियां युवाओं को आगे लाने की हिमायत करती हैं वहीं दूसरी ओर जब अमली जामा पहनाने की बारी आती है तो वे इससे कन्नी काट लेती हैं। राजनैतिक तौर पर सक्रियता अगर देखी जाए तो हर दल में साठ से ज्यादा उम्र वाले ही मलाईदार पदों पर बैठे हुए हैं। आड़वाणी भी नब्ज टटोल रहे हैं अगर उन्हें कुछ नहीं मिला तो वे निसंदेह वे संन्यासी हो जाएंगे।

बच्चे और दलित हैं आताताईयों के निशाने पर

देश में बच्चों और दलित आदिवासियों पर बलशालियों की नजरें तिरछी हैं। यह कहना हमारा नहीं है, इस बात को कह रहे हैं भारत गणराज्य के जिम्मेदार गृह मंत्री पलनिअप्पम चिदम्बरम। भारत में अपराध 2010 का विमोचन करते हुए चिदम्बरम ने ये तथ्य उजागर किए। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा जारी आंकड़ों पर अगर गौर फरमाया जाए तो भयावह सच्चाई सामने आती है। बच्चों के खिलाफ अपराध में दस दशमलव तीन तो अनुसूचित जाति के लोगों के खिलाफ अपराध में आठ दशमलव पांच की बढोत्तरी दर्ज की गई है। यक्ष प्रश्न यही खड़ा हुआ है कि इन भयावह आंकड़ों के बाद भी देश के जिम्मेदार गृह मंत्री पलनिअप्पम चिदम्बरम की रीढ़ में सिहरन भी पैदा नहीं हो रही है, तो फिर देश किस अंधी सुरंग और अंतहीन में चल पड़ा है।

कांग्रेस का किसान, भाजपा का किसान

देश का अन्नदाता है किसान, किसान न तो किसी सियासी दल का कारिंदा होता है और न ही उसे किसी से कोई लेना देना ही होता है। वह तो बस धरती का सीना चीरता है और फसल उगाता है। जब उसकी फसल किसी प्राकृतिक आपदा का शिकार हो जाती है तब वह विचलित होता है। सियासी दलों के नेताओं ने किसान को ही भाजपा और कांग्रेस में बांट दिया है। पिछले दिनों मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में सिंचाई विभाग के प्रमुख सचिव जुुलानिया के सामने किसानों की हुई दुर्दशा को विधानसभा उपाध्यक्ष हरवंश सिंह ठाकुर देखते रहे। शायद वे सोच रहे होंगे कि ये किसान तो भाजपा के हैं इनसे हमें क्या लेना देना? यही कारण है कि वे सर्किट हाउस में किसानों की बेईज्जती चुपचाप अपने कमरे में बैठकर देखते रहे। सवाल यह है कि किसान किस दल का सदस्य है कांग्रेस या भाजपा का? वह तो अन्नदाता है साहेब।

पुच्छल तारा

देश में घपले घोटाले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। राजनेता फावड़े क्या जेसीवी कंपनी की संूड वाली मशीन से पैसा खीचने में लगे हैं। देश में अराजकता का आलम है। चंद लोग पकड़े गए और तिहाड़ जेल में बंद हैं। राजा दिग्विजय ंिसह उन्हें छोड़ने की वकालत कर रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया और युवराज राहुल खामोश हैं। क्या हो रहा है इस देश में कोई बताने को तैयार नजर नहीं आ रहा है। इन परिस्थितियों में महाराष्ट्र के अमरावति से लक्ष्मी पाटिल ने एक ईमल भेजा है। लक्ष्मी लिखती हैं -‘‘ब्रेकिंग न्यूज!!!!!! स्विस बैंक ने जल्द ही दिल्ली के तिहाड़ जेल में जहां सारे घपले, घोटालेबाज बंद हैं में अपने बैंक के एटीएम को खोलने का फैसला लिया है।‘‘

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लिमटी खरे
हमने मध्य प्रदेश के सिवनी जैसे छोटे जिले से निकलकर न जाने कितने शहरो की खाक छानने के बाद दिल्ली जैसे समंदर में गोते लगाने आरंभ किए हैं। हमने पत्रकारिता 1983 से आरंभ की, न जाने कितने पड़ाव देखने के उपरांत आज दिल्ली को अपना बसेरा बनाए हुए हैं। देश भर के न जाने कितने अखबारों, पत्रिकाओं, राजनेताओं की नौकरी करने के बाद अब फ्री लांसर पत्रकार के तौर पर जीवन यापन कर रहे हैं। हमारा अब तक का जीवन यायावर की भांति ही बीता है। पत्रकारिता को हमने पेशा बनाया है, किन्तु वर्तमान समय में पत्रकारिता के हालात पर रोना ही आता है। आज पत्रकारिता सेठ साहूकारों की लौंडी बनकर रह गई है। हमें इसे मुक्त कराना ही होगा, वरना आजाद हिन्दुस्तान में प्रजातंत्र का यह चौथा स्तंभ धराशायी होने में वक्त नहीं लगेगा. . . .

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