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ये तुम्हारी ज़िंदगी है , तुम जियो भरपूर इसको। - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
युवा पीढ़ी के प्रति —परिवर्तन * फूल बन सुरभित करो , उपवन ये सारा, तुम सदा आगे बढ़ो, बनकर परस्पर तुम सहारा। चकित सा रह जाए जग ये,देख दृढ़-निश्चय तुम्हारा, सफलता तव चरण चूमे, बढ़े नित गौरव हमारा ।। * ज़िंदगी हम जी चुके हैं, उम्र भी अब ढल गयी…