बहती जा रही है ये जिन्दगी

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बहती जा रही है ये जिन्दगी, बस किनारा ढूंढते रह जाओगे |
जिन्दगी एक ऐसी गहरी दरिया है,जिसे पार नहीं कर पाओगे ||

जिन्दगी जिन्दा दिली का नाम है,मुर्दे उसे कैसे जी पायेंगे ?
वो तो पहले ही मर चुके है,जिन्दगी का कैसे लुत्फ़ उठायेगे ||

जिन्दगी जीने का एक हूनर है,इसको सभी जी नहीं पाते है |
जिन्दगी की जवानी निकल जाती है,वे बाद में पछताते है ||

जिन्दगी एक परछाई है,जो तुम्हारे साथ चलती रहती है |
परछाई है जब तक तुम्हारी,ये जिन्दगी  चलती रहती है ||

जिन्दगी पर गुबान न कर,ये तो पानी का बुलबुला है |
कब खत्म हो जाये पता नही,ये तो एक जलजला है ||

जिन्दगी पर लिख रहा रस्तोगी,उसका कोई पता नहीं |
कब उसकी लेखनी बंद हो जाये,ये उसको खबर नहीं ||

आर के रस्तोगी 
मो 9971006425 

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आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

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