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आज तक भटकती ये जाति - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
अनिल अनूप हिंदुस्तान की एक बड़ी आबादी के बीच एक तबक़ा ऐसा भी है, जिसे आज़ादी के अरसे बाद भी मुजरिमों की तरह पुलिस थानों में हाज़िरी लगानी पड़ती थी. आ़खिरकार 31 अगस्त, 1952 को उसे इससे निजात तो मिल गई, लेकिन उसे कोई खास तवज्जो नहीं दी गई. नतीजतन,…