यह समय ईवीएम पर सवाल का नहीं बल्कि जनादेश के सम्मान का है

जगदीश वर्मा ‘समन्दर’


19 मई को आये मीडिया चैनल्स के एक्जिट पोल्स में एनडीए को पिछले लोकसभा चुनावों से भी ज्यादा बहुमत के आंकड़े दिये गये हैं । मतगणना परिणामों से पहले ही देश में बधाई और शिकायतों का दौर है । पिछले 3 दिनों में जीत का जश्न मनाते भाजपाई एवं घटकदल की खुशी और ईवीएम को कोसते विपक्ष की खीज देखकर लगता है कि जैसे अब मतगणना की जरूरत ही नहीं रह गयी है । चुनाव आयोग का बाकी काम चैनल्स ने पहले ही कर दिया है । अधिकांश लोगों ने एक्जिट पोल को सच मान भी लिया है ।
ऐसा लगता है कि जैसे मीडिया के इन एक्जिट पोल्स पर एनडीए से ज्यादा विपक्षी दलों ने भरोषा कर लिया है । ईवीएम मशीनों में हेरफेर और वोटों का मिलान वीवीपेट पर्चियों से कराने की माँग को लेकर चुनाव आयोग के सामने 22 विपक्षीदलों के नेताओं ने प्रर्दशन किया है । विपक्षी दलों के नेताओं की ओर से संभावित परिणामों को लेकर चिंता जताते हुये इसे ईवीएम मशीनों से जोड़ा जा रहा है ।
जानकारों का कहना है कि मतगणना परिणामों से पहले ही ईवीएम पर हार का ठीकरा फोड़कर विपक्ष स्वंय के पैरों पर कुल्हाड़ी मार रहा है । शोशल मीडिया प्लेटफार्म पर लोगों के सवाल हैं कि क्या विपक्ष को पूरा विश्वास है कि एक्जिट पोल्स के आकंड़े ही अन्तिम चुनाव परिणाम है और यह परिवर्तित नहीं होगें । कल को यदि मतगणना में काॅग्रेस या महागठबंधन की सीटे बंढ़ी तो क्या तब भी वे ईवीएम को दोष देंगे ?
क्या मतगणना से कुछ समय पूर्व ईवीएम मशीनों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाये जाने चाहियें ? हाँ उनकी सुरक्षा को लेकर सजगता बरती जा सकती है । दूसरी बात, यह सही है कि 2014 में मीडिया के एक्जिट पोल्स की भविष्यवाणी सच साबित हुई थी लेकिन यह भी नहीं भूलना चाहिये कि इससे पहले के कई एक्जिट पोल झूठे भी साबित हुये हैं। ऐसे में चैनलों के अनुमानों के आधार पर ही हार-जीत मानकर ईवीएम मशीनों पर सवाल उठाना जनादेश पर संदेह करने जैसा है । यह काम मतगणना के बाद भी हो सकता है ।
काॅग्रेस, सपा, बसपा, टीमएसी जैसे विपक्षी दल जहाँ एक्जिट पोल्स के बाद ईवीएम को लेकर चिंतित हैं तो वहीं भाजपा की तैयारियों को देखकर लगता है कि प्रचंड जीत की भविष्यवाणी के बाद भी पार्टी सभी संभावित स्थितियों पर नजर बनाये हुये है । यही कारण है कि भाजपा आलाकमान घटक दलों की मीटिंग के साथ ही अन्य क्षेत्रीय दलों पर भी नजर रखे हुये हैं । चुनावों के दौरान बसपा सुप्रीमों मायावती पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सोफ्ट बयान, नवीन पटनायक की तारीफ और हाल ही में मुलायम-अखिलेश को आय से ज्यादा सम्पत्ति पर सीबीआई की क्लीन चिट को इसी एतिहात से जोड़कर देखा जा सकता है ।
23 मई को देश की चैदहवीं लोकसभा के लिये किये गये मतदान की गणना का दिन है । देश की जनता और राजनैतिक पार्टियों के साथ ही पूरे विश्व की निगाहें संसार के सबसे बड़े लोकतन्त्र के परिणामों पर टिकी रहेगीं । जनादेश का सम्मान करना लोकतन्त्र की सबसे बड़ी शर्त है । फिलहाल यह समय ईवीएम पर सवाल का नहीं बल्कि जनादेश के सम्मान का है ।

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