—विनय कुमार विनायक
अगर कमजोर पिछड़े जन को
कुछ देने की स्थिति में नहीं हो
तो मत दो, कुछ भी नहीं चाहिए
संरक्षण या गाली दोनों ही नहीं!
तुम अग्रज हो अगुवा हो
जब इच्छा होगी तो देना
पूर्ण आशीर्वचन के साथ ही
ऐसे भी चौवालीस साल तक
तुमने देने की बात दबाए रखा
अब तो थोड़े में ही गुजारा
करने काअभ्यस्त हो चुका हूं!
इतने साल में तो दोनों की
हालत काफी बनी बिगड़ी है
तुम स्मृति काले हजार साले
ब्राह्मण आरक्षण को गंवा चुके
फिजूलखर्ची व सुखमलकेपन ने
तुम्हारी जमा पूंजी तोड़ डाले!
तुममें से कुछ हमारी स्थिति में
आ चुके हैं जिन्हें हम ससम्मान
अपने वर्ग में आत्मसात को तैयार हैं
स्वातंत्र्योत्तर चौवालीस वर्ष बाद तक
हमें कुछ भी नहीं मिला,सिवा गाली के
फिर भी हम जिंदा हैं, मात्र जिंदा है!
जिंदा रहेंगे सदियों तक
हम घिसट-घिसट कर
तेरा मुखापेक्षी बनकर
जीजिविषा घटी नहीं है,
चाहत भी मिटी नहीं है!
तेरी स्थिति को पाने की,
तेरीदुर्भावनाओं को मिटाने की,
जन-जन में समता लाने की,
सुविधाभोगी से न्याय पाने की,
समग्र आस में हम जिंदा है!
जाने वाले अधमरे-भुखमरे
मुमुक्षु तो तत्क्षण में ही चले गए
उनके लिए चौवालीस साल की
प्रतीक्षा तो दूर चौवालीस घंटे की
जिंदगी भी बड़ी ही कठिन थी
हम कटौती व श्रम के सहारे
मौत को परेढकेलते रहे है!
आज हममें भी कुछेक
टाटा, बिरला, डालमिया,
डोकानिया पैदा हो चुके हैं,
उन्हें हम तुममें हीगिनते हैं,
उन्हें तुम ससम्मान गले लगाओ
शेष बचे तुम्हारे और हमारे
दीन मलीन लघु मानव जन!
उन्हें कुछआरक्षण ले देकर
तोच-मोचकर डालोतब
मामला कुछ ठंडा पड़ेगा
किंतु मूल समस्या तो
जहां की तहां खड़ी है,
उसके मूल को मारना होगा,
ब्राह्मणत्व को जीवितकरना होगा!
ब्रह्मणत्वकाएक साअधिकार
भृगु-वशिष्ठ-विश्वामित्र-जमदग्नि-
परशुराम-व्यास-चाणक्य के
साथ-साथ महावीर-गौतम-नानक
अर्जुन देव,तेगबहादुर, गोविंदसिंह
विवेकानन्द-गांधी-होमी जहांगीर,
भगतसिंह, उधमसिंह,आजाद,
खुदीराम, सुभाष चंद्र,असफाक,
राजेन्द्र प्रसाद, सरदारवल्लभपटेल,
मेघनाथ साहा, जगदीश चन्द्र बसु,
संत तेरेसा,टाटा,अंबेडकर तक
समस्त महामानव भारतीय जन को,
ब्रह्मणत्व का अधिकार देना होगा,
सहज भावसे,बंधुवत देना होगा,
ब्राह्मणी विरासत का अधिकार
सर्वश्री वैदिक भारत का ब्राह्मण!