-सुरेश हिन्दुस्थानी-
अभी समाचार पत्रों में भारत रत्न देने के बारे में तमाम तरह के समाचार आ रहे हैं। इस सम्मान के लिए जिस प्रकार से मांग की जा रही है, उससे तो ऐसा ही लगता है कि इस सम्मान के महत्व के बारे में लोगों को पता ही नहीं है। अगर पता होता तो इस प्रकार से मांग तो नहीं की जाती। भारत रत्न सम्मान प्राप्त करने वाले व्यक्ति कैसा होना चाहिए इस बारे में एक बात तो साफ है कि उस व्यक्ति के बारे में पूरे भारत में समान रूप से भाव स्पंदित होना चाहिए, यानि उत्तर से दक्षिण तक और पूर्व से पश्चिम तक वह प्रेरणा का ऐसा दीप हो जिसके विचार बिना किसी पक्षपात के सभी लोगों के लिए अनुकरणीय हों। इसके लिए मेजर ध्यानचन्द, मदनमोहन मालवीय, नेताजी सुभाषचन्द्र बोस और अटल बिहारी वाजपेयी जैसे ऐसे नाम शामिल किए जा सकते हैं। वास्तव में इनकी वाणी और कर्म में पूरा भारत दिखाई देता था। इनके सारे कर्म हिन्दुस्थान के समुत्कर्ष के लिए थे, अपने निजी जीवन के लिए इन्होंने सोचा ही नहीं। बात केवल इनकी ही नहीं, यह तो केवल एक उदाहरण है, कहना यह चाह रहे हैं कि भारत रत्न ऐसे किसी व्यक्ति को मिलना चाहिए जिसने भारत माता की सेवा की हो और उसका सम्पूर्ण सोच भारत के उत्थान के लिए ही हो।
एक समाचार पढ़ने को मिला जिसमें लिखा था कि मदनमोहन मालवीय, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस और अटल बिहारी वाजपेयी समेत पांच व्यक्तियों को मिल सकता है भारत रत्न। ये नाम वास्तव में इस सम्मान के बहुत पहले ही हकदार थे, लेकिन हमारी सरकारों ने 67 वर्ष बाद इनको सूची में शामिल किया है। पूर्व की सरकारों द्वारा दिया गया भारत रत्न कभी कभी तो ऐसे सवाल भी छोड़ता हुआ दिखाई दिया, जैसे यह पुरस्कार केवल उन्हीं के लिए बने हों, या फिर ऐसे व्यक्तियों को दिया जो राजनीतिक रूप से उनके हित के लिए कार्य कर सकें। क्रिकेट के महान खिलाड़ी सचिन रमेश तेंदुलकर का नाम भी इसमें शामिल किया जा सकता है। हमें याद होगा कि विधानसभा और लोकसभा के चुनावों के दौरान यह भरसक प्रयास किया गया कि सचिन किसी भी तरह से कांग्रेस के पक्ष में प्रचार करने को तैयार हो जाए और इसी प्रकार की खबरें भी आने लगी थीं कि सचिन कांग्रेस का प्रचार करेंगे, लेकिन जब सचिन ने प्रचार करने से मना कर दिया तब कांग्रेस की स्वार्थी योजना फुस्स हो गई। इस बात से यह साबित हो ही जाता है कि कांग्रेस और उसके द्वारा संचालित सरकारों द्वारा इस सम्मान का अपने हित के लिए उपयोग किया। अगर ऐसा नहीं होता तो मदनमोहन मालवीय और नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को बहुत पहले ही यह सम्मान मिल चुका होता। नेताजी का नाम आते ही उनके परिजनों ने तो साफ कह दिया कि नेताजी इस सम्मान से कहीं अधिक ऊपर हैं। अब सवाल यह भी है कि नेताजी के परिजनों को भारत रत्न का यह सम्मान छोटा क्यों नजर आ रहा है, और इसे इस प्रकार का स्वरूप प्रदान करने के लिए दोषी कौन है। निश्चित ही इस सबके लिए देश पर अधिकतर शासन करने वाली कांगे्रस पार्टी ही दोषी है। उसने इस सम्मान को ऐसे लोगों को दिया, जिनसे ऊपर भी कई लोग थे। सचिन को भारत रत्न मिलने के बारे में भारतीय प्रेस परिषद और सेवानिवृत न्यायाधीश मार्कंडेय काटजू का कहना है कि यह भारत का अपमान है। वास्तव में देखा जाए तो सचिन को जिस उपलब्धि के लिए यह सम्मान दिया गया, यह उनकी निजी उपलब्धि ही कही जाएगी, क्योंकि उन्होंने ऐसा कोई कार्य नहीं किया जो राष्ट्र की जनता के उत्थान के लिए हो। सचिन का कार्य तो एक ऐसे उद्योगपति की तरह कहा जाएगा जो अपने उद्यम से करोड़पति होता चला जाता है हालांकि उद्योगपति के यहां तो लाखों कर्मचारी कार्य करके अपनी आजीविका चलाते हैं, लेकिन सचिन के कार्य में ऐसा कुछ भी दिखाई नहीं देता जो देश उत्थान के लिए हो। वर्तमान में नरेन्द्र मोदी की सरकार के समय जो नाम सामने आ रहे हैं, उनका समस्त जीवन देश के लिए ही समर्पित रहा है। इतना ही नहीं, इन नामों में एक निष्पक्षता का भाव भी दिखाई देता है। वास्तव में ऐसे ही महापुरुष इस सम्मान के असली हकदार हैं।