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आज मेरे देश की ज़मीं जी भर के रोई है, - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
हिमांशु तिवारी आत्मीय अपने लाल की फिक्र में वो न रात सोई है, हौले से उठाती है वो अपना आंचल, सूखे हुए आंसुओं से भी तलाश लेती है हर दर्द उसका, वो उंगलियां थामकर चलता था, हर तकलीफ में उसे मां याद आती थी, नींद न आती तो मां…