बिहार की धरती पुराविदों एवं ऐतिहासिक अन्वेषकों के विशिष्ट आकर्षक का केन्द्र है।
मनोज कुमार
पटना- अपनी गौरवशाली ऐतिहासिक पृष्टभूमि,पुरातात्विक अवशेष,सांस्कृतिक विरासत,प्राकृतिक सौंदर्य और धार्मिक साहिष्गुता के बल पर बिहार देश-दुनिया के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करने में पूरी तरह सक्षम है। बिहार की धरती पुराविदों एवं ऐतिहासिक अन्वेषकों के विशिष्ट आकर्षक का केन्द्र है। पौराणिक काल में मगध,अंग,विदेह और वैशाली,साम्राज्य का विकास बिहार की धरती पर ही हुआ। बिहार की धरती पर हिन्दू,बौद्ध,जैन,सिख और इस्लाम धर्म के स्मारक समृद्धशाली अतीत की कहानी सुनाते प्रतीत होते है। बोधगया के महाबोधी मंदिर को विश्व धरोहर होने का गौरव प्राप्त है। छठी शताब्दी ई0पू0 मे बिहार की पावन धरती पर ही बुद्ध ने बौद्धधर्म की स्थापना की और भगवान महावीर ने जैन धर्म का प्रसार किया। बिहार के पूर्वी चम्पारण स्थित केसरिया बौद्ध स्तूप दुनियां का सबसे उंचा बौद्ध स्तूप है। प्राचीन केसपुत गणराज्य की इसी धरती पर आध्यात्मिक ज्ञान के जिज्ञासु गौतम बुद्ध ने संत अलार कलाम से दीक्षा ली थी।जहानाबाद स्थित बराबर की मानव निर्मित गुफाओं का संबंध लोमश,गौतम,दुर्वासा,श्रृंगी आदि ऋषियों से जोड़ा जाता है। पुराविदों के अनुसार यह आदि मानव द्वारा निर्मित विश्व की पहली गुफा है। विश्व की प्राचीनतम् वृहद् शिक्षा केन्द्र नालन्दा विश्वविद्यालय और विक्रमशिला विश्वविद्यालय,गणतंत्र की जननी वैशाली,चन्द्रगुप्त मौर्य और सम्राट अशोक की राजधानी पाटलीपुत्र,भगवान महावीर की जन्म स्थली कुंडग्राम,इसलामिक स्थापत्यकला का नमूना शेरशाह का मकबरा बिहार की धरती पर ही है। पावापुरी जैनियों का पवित्र तीर्थ स्थल है,जहां भगवान महावीर ने धार्मिक उपदेश दिया था तथा कार्तिक अमावस्या को निर्वाण प्राप्त किया था। निर्वाण स्थल पर निर्मित पवित्र जलमंदिर का मनोरम दृश्य पर्यटकों के मन को मोह लेता है। पावापुरी जहां भगवान महावीर ने अंतिम उपदेश दिया था। राजगीर हिन्दु,जैन,बौद्ध धर्मावलम्बियों के लिये समान रूप से पवित्र तीर्थस्थल है,जहां के ऐतिहासिक धरोहर,पुरावशेष,गर्म जल के झरने और मनोहर वादियां पर्यटकों के मन मोह लेते है। राजगीर उस प्रबल पराक्रमी मगधसम्राट जरासंध की राजधानी है,जिसने भगवान श्रीकृष्ण को हराकर मथुरा से द्वारिका पलायन करने पर विवश किया था। राजगीर जहां भगवान बुद्ध ने अनेक उपदेश दिये थे। राजगीर का विश्वशांती स्तूप, जो जापान के बौद्ध धर्म गुरू फुजिई गुरूजी ने भगवान बुद्ध की प्रेरणा से जापान बौद्ध संघ द्वारा 1969 में भगवान बुद्ध के प्रिय निवास स्थल रत्नगिरी पर्वत पर शांकि-स्तूप का निप्माण कराया था,जिसका शिलान्यास 6 मार्च 1965 को राष्ट्रपति डा0 सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने तथा उद्घाटन राष्ट्रपति वीवी गिरि ने 12 अक्टूबर 1969 को किया था।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसे सजाने संवारने का अद्वितीय प्रयास किया है। बिहार में और ऐसे जगह है जहां कि मनोरम दृश्य पर्यटकों के मन मोह लेता है। जैसे बिहार के जिला नवादा की ककोलत जलप्रपात, जहां गर्मी के मौसम का सर्वोत्तम पर्यटन स्थल है। 150 फीट ऊंची पहाड़ी से गिरता यह जल प्रपात गर्मी के मौसम में स्वर्गिय सुख की अनुभूमि कराता है। नालन्दा का कुंडलपुर जो नालंदा के खंडहर से प्रायह् 2 किलोमिटर उत्तर की और स्थित इस स्थल को जैन भगवान महावीर का जन्म स्थान मानते है। वैशाली,जिसे पैदा हुआ गणतंत्र कहा जाता है वहाँ भी पर्यटकों के लिए भी बहुत कुछ है जिसे अशोक स्तंभ,महावीर जन्मभूमि,राजा विशाल का गढ़,धातुस्तुप आदि है जिसे देखकर लोग खुशी से फुल नहीं समाते।
प्राकृतिक सौदर्य की दृष्टि से राजगीर,सिमुलतल्ला,भीम बांध,ककोलत और वाल्मिकी नगर लाजबाव है,जो पर्यटकों को मोह लेता है। पश्चिम चम्पारण स्थित वाल्मिकी नेशनल पार्क सूबे का एकमात्र टाईगर प्रोजेक्ट है। प्राकृतिक सौंदर्य से भरपुर मुंगेर स्थित भीमबांध के घने जंगलो में विचरण करते जंगल के पशु-पक्षी तथा यहां के गर्म व ठंडे जलकुंड पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। इससे यह पता चलता है कि बिहार के दर्शनीय स्थलों का परिभ्रमण करके ही पर्यटकों को अपने पर्यटन के सार्थकता की अनुभूति होती है।