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निजत्व की ओर - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
मेरा नगर शाश्वत काल से अत्यन्त रमणीक और सुन्दर रहा है और उसका महाशून्य कार आकाश शाश्वत निर्मल असीम नीलिमा लिये रहा है। न जाने कहां से मॅडराते घने काले बादलों ने मेरे नगर के सौन्दर्य को निगल लिया है। मैं दूसरे नगर में गया हूँ तब मेरे नगर में…