—विनय कुमार विनायक
बड़े ही गुनाहगार होते धर्मांतरण करानेवाले,
आतंक के सूत्रधार ये धर्मांतरण करानेवाले!
राष्ट्र के गद्दार होते धर्मांतरण करानेवाले,
विदेशी हथियार होते धर्मांतरण करानेवाले!
धर्मांतरण करानेवाले संत नहीं,शैतान होते,
धर्मांतरित जन के ये मौत के पैगाम होते!
धर्मांतरण करानेवाले होते नहीं भोले भाले,
ये धर्मांतरित जनों के जान से खेलनेवाले!
ये उपासक होते नहीं किसी ईश्वर खुदा के,
ये गिरोह में शामिल होते हवाला-घोटाले के!
धर्मांतरण के सौदागर ये सौदा किए होते हैं,
धर्मांतरित हो गए जो खून के आंसू रोते हैं!
वह कोई धर्म होता नहीं जो संख्या बढ़ाता,
वो अधर्म है जो जनसंख्या से भय फैलाता!
सच्चा धर्म वही जो मानवता से प्यार करे,
सच्चे धर्मी वे जो यथास्थिति स्वीकार करे!
धर्म बदलनेवालों समझो जन्नत होता नहीं,
एक सच जहां,वहां कोई हूर परी होती नहीं!
कोई हूर परी भारतीय नारी के बराबर नहीं,
देशी नारी सफल मां बहन बेटी पत्नी होती!
स्वर्ग-नर्क,जन्नत-दोजख सबकुछ होते यहीं,
सुरा की दरिया सिवा यहां, कहीं होती नहीं!
जब हूर परी संग सोना, सुरा में नाक डुबोना,
फिर धर्म परिवर्तन क्यों?जाओ ना मयखाना!
सुनो ये सत्य कि तुम हो, यह दुनियादारी है,
ईश्वर नहीं, सिर्फ मनुज यहां ईश्वरावतारी है!
सदाचारी का साथ मिले तो ये धरा स्वर्ग है,
दुराचारी के हाथ पड़ गए तो ये धरा नर्क है!
बहुत ढकोसलेबाज मिलेंगे ईश्वर के दूत बने,
सबके अंदर ईश्वर है, सब ईश्वर के रूप बने!
दूत भूत के चक्कर से उबर अच्छा काम कर,
खुदा बाप है,बाप से खुद भेंट का प्रयत्न कर!
स्वदेशी धर्म मत बदलो रे,धर्म में सुधार करो,
विदेशी मजहब की गुलामी मत स्वीकार करो!
स्वदेशी धर्म के पालन में कोई प्रतिबंध नहीं,
कभी हिन्दू-बौद्ध-जैन-सिख व नास्तिक सही!
धर्म बदलने की बात क्यों सोचते हो बंधुवर?
धर्म में रक्खा क्या है?जितना हो धारण कर!
सुख शांति चाहिए तो विशेष ज्ञान अर्जन कर,
धर्म के नाम मत मर, तुम्हारे अंदर है ईश्वर!
मंदिर-मस्जिद-गिरजाघर, इंसान हैं सबसे ऊपर,
इंसान के द्वारा बनाया गया ईंट गारे का घर!
ईश्वर अल्लाह ईसा के नाम क्यों मचाते कहर?
खुदा को किसने देखा, डरना है तो खुद से डर!
—-विनय कुमार विनायक