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तुम्हारा साथ - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
मिला है जब से साथ तुम्हारा,मन के तार झंकृत होने लगे है।जो शब्द थे अंदर दिल में मेरे,वो अब सब बाहर आने लगे हैं।। सातों स्वर अब गूंजने लगे हैं,वीणा के तार बजने लगे हैं।छोड़ दो अब कोई सुरीली तान,जो मन के झरने बहने लगे।। मायूस थी बहुत दिनों से…