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संस्कृत के पक्ष में दो शब्द - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
भाषा न तो किसी की जागीर है और न ही इसे सीमाओं की परिधि में समेटा जा सकता। यह तो रुचि के अनुरूप है। भाषा को जबरन किसी पर नहीं थोपा जा सकता। हमारे देश में वर्ग, जाति और धर्म के आधर पर जिस प्रकर से भाषाओं का बंटबारा…