यू0पी0ए0 और लेम्मिंग्स्

लालकृष्ण आडवाणी

गत् सप्ताह नई दिल्ली मे सम्पन्न भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के समापन सत्र में मैंने प्रधानमंत्री की इन टिप्पणियों का हवाला दिया कि विपक्ष यूपीए सरकार को गिराने के लिए उतावला हो रहा है ताकि शीघ्र चुनाव कराए जा सकें। मैंने कहा कि आज देश में न केवल मीडिया अपितु लोगों के बीच यह सर्वसम्मत मत बना हुआ है कि यूपीए सरकार अवांछनीय गड़बड़ी में फंसी हुई है। यह तथ्य भी सर्वविदित है कि यह गड़बड़ी कांग्रेस की अपनी बनाई हुई है। मैंने यूपीए सरकार को ‘आत्महत्या पर उतारू‘ रूप में वर्णित किया।

भाजपा के गठन से पहले के 6-7 महीनों की अवधि को मैं कभी नहीं भुला सकता। उससे पूर्व हम जनता पार्टी के घटक थे। उस समय मैंने अपनी स्वयं की पार्टी के बारे में सार्वजनिक रूप से कहा था कि हम आत्महत्या पर उतारू हैं।

उन दिनों के लिखे गए एक लेख में मैंने स्केंडिनवियन में चूहे जैसे पाए जाने वाले एक जीव लेम्मिंग का उल्लेख किया था। मैंने लिखा था कि केवल मनुष्यों में ही आत्महत्या की प्रवृत्ति पाई जाती है। लेकिन लेम्मिंग अपने आप में अनोखा प्राणी है।

बगैर किसी तर्क या कारण के, बड़ी मात्रा में लेम्मिंग समुद्र की ओर मार्च शुरू करते हैं। कुछ तैरकर बच जाते हैं। अधिकतर मर जाते हैं। लेम्मिंग की सामूहिक आत्महत्याओं से जीव विज्ञानियों में भी कौतुहूल है। तब मैंने लिखा था कि जनता पार्टी लगता है ”लेम्मिंग काम्पलेक्स से ग्रसित है”। कोई भी यही बात आज यूपीए सरकार के बारे में कह सकता है।

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दिसम्बर, 2001 में विधि आयोग ने अपनी 179वीं रिपोर्ट में भ्रष्टाचार का खुलासा करने वाले विसल-ब्लोअरों को संरक्षण देने हेतु कानून बनाने की जोरदार सिफारिश की थी।

113 पृष्ठीय रिपोर्ट की शुरूआत में आयोग के अध्यक्ष न्यायाधीश बी.पी. जीवन रेड्डी का तत्कालीन विधि मंत्री अरूण जेटली को लिखा गया पत्र है जिसमें प्रधानमंत्री वाजपेयी को उदृत करते हुए कहा गया कि भ्रष्टाचार के प्रति देश का रूख ‘जीरो टॉलरेन्स‘ होना चाहिए। रिपोर्ट के अन्य अध्यायों में ब्रिटेन, अमेरिका, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैण्ड में विसल-ब्लोअरों को दिए गए संवैधानिक संरक्षणों का वर्णन किया गया है।

विधि आयोग की रिपोर्ट के आधार पर मनमोहन सिंह कैबिनेट ने विसल-ब्लोअरों को दिए संरक्षण देने वाले विधेयक को स्वीकृति दी और 2010 में इसे लोकसभा में तत्कालीन मंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने प्रस्तुत किया। वर्तमान में यह विधेयक संसद की स्थायी समिति के पास विचाराधीन है।

यह विधेयक अभी कानून नहीं बना है। लेकिन चूंकि केबिनेट ने इसे अपनी स्वीकृति दी है, तो सरकार को इसके मुख्य तत्व के प्रति अपने को प्रतिबध्द महसूस करना चाहिए।

पिछले सप्ताह अरूण जेटली के साथ तिहाड़ जेल में वर्षों से मेरे निकट सहयोगी रहे सुधीन्द्र कुलकर्णी और दो पूर्व पार्टी सांसदों कुलस्ते और भगोरा से मिला जिन्होंने सन् 2008 में वाम पंथियों द्वारा कांग्रेस से समर्थन वापस लेने के बाद कांग्रेस के समर्थन में घूस देकर सांसदों को वोट देने के लिए तैयार किया गया जिससे यूपीए-2 विश्वास मत प्राप्त कर सका। वाम मोर्चे ने भारत-अमेरिका परमाणु सौदे के विरोध में कांग्रेस का साथ छोड़ दिया था। अशोक अर्गल सहित तीन भाजपा सांसदों को यूपीए द्वारा अपने पक्ष में वोट देने के लिए तीन करोड़ रूपये प्रति सांसद की पेशकश की गई और एक करोड़ रूपया एडवांस भी दिया गया।

दि हिन्दू ने विकीलीक्स की एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी जिसमें दर्शाया गया था कि मनमोहन सरकार न केवल सांसदों को घूस देने के मामले में शामिल थी अपितु इसे अमेरिकी दूतावास के अधिकारियों के सामने इस कुत्सिग योजना को बताने में भी कोई शर्म नहीं आई क्योंकि ये उन्हें आश्वस्त करना चाहते थे कि यूपीए सरकार गिरने वाली नहीं है और भारत-अमेरिकी परमाणु सौदा स्वीकृत होने में कोई अड़चन नहीं आएगी।

वस्तुत: यह देखकर आश्चर्य होता है कि इन दिनों सत्तारूढ़ दल अपनी पूरी शक्ति भ्रष्ट मंत्रियों के बचाव करने में लगा रहा है लेकिन विसल-ब्लोअरों को सीखचों के पीछे भेजने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा।

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दुनियाभर के देशों में भ्रष्टाचार के स्तर को मापने का काम करने वाला एक संगठन ट्रांसपरेंसी इन्टरनेशनल प्रत्येक देश के लिए करप्शन प्रिसेप्शन इंडैक्स (CPI) तैयार करता है और प्रत्येक वर्ष एक विशद सूची प्रकाशित करता है। ‘करप्शन प्रिसेप्शन इंडेक्स‘ शून्य से दस के स्केल पर देशों को स्कोर देते हैं, शून्य का अर्थ होता है सर्वाधिक भ्रष्टाचार और दस भ्रष्टाचार का न्यूनतम स्तर दर्शाता है।

सन् 2010 को प्रकाशित सूची भारत का स्कोर 3.3 दर्शाती है और 178 देशों में 87वें निचले दर्जे पर।

डेनमार्क, सिंगापुर और न्यूजीलैण्ड – इन तीनों देशों का स्कोर 9.3 है और 2010 की 178 देशों की सूची में पहले स्थान पर हैं।

2.3 स्कोर के साथ पाकिस्तान सूची में 143वें स्थान पर है। अफगानिस्तान, बर्मा और सोमालिया अंतिम तीन – 176, 177 व 178 क्रम पर हैं।

(पश्च्यलेख)टेलपीस

30 सितम्बर को कांग्रेस अध्यक्ष ने 2जी विवाद पर गुत्मगुत्था दो वरिष्ठ मंत्रियों के बीच सुलह कराई। उस राज जब मैंने टीवी खोला तो देखा कि सलमान खुर्शीद खुशी से उछल रहे थे और चिल्ला रहे थे ‘सब ठीक है (All is well)’ -जोकि एक लोकप्रिय फिल्म की ‘पंचलाइन‘ थी। वहां मौजूद मीडियाकर्मियों में से एक ने मुझे बाद में बताया: मीडियावालों में से एक आवाज यह पूछते हुए सुनी गई : सलमान साहब, क्या आप ‘थ्री इडियट्स (Three Idiots)’ के नाम बताएंगे?

1 COMMENT

  1. आडवाणी जी लिखते हैं की
    “”तब मैंने लिखा था कि जनता पार्टी लगता है ”लेम्मिंग काम्पलेक्स से ग्रसित है”। “और आगे कहते है की लगता है की यू पी ए दो भी उसीसे ग्रसित है.मैं अडवाणी जी से सीधा प्रश्न कर रहा हूँ ,क्या वे या उनकी पार्टी भी कुछ वैसा ही नहीं कर रही है?दूसरा प्रश्न जो उठता है वह यह हैकि जब विधि आयोग ने २००१ मेंभ्रष्टाचार का खुलासा करने वाले विसल-ब्लोअरों को संरक्षण देने हेतु कानून बनाने की जोरदार सिफारिश की थी, तो आगे तीन वर्षों में उनकी सरकार ने उस पर क्या कारर्वाई की?.आज जब उनके सहयोगी जेल में हैं तो उनको यह सब याद आ रहा है ,पर जब उनकेपार्टी के शासन काल में एक होनहार अभियंता दूबे की हत्या हुई थी तब उन्होंने क्या किया था?
    अब मैं फिर अपने पहले प्रश्न पर आताहूँ जिसमे मैंने पूछा है की क्या उनकी पार्टी भी वैसा हीं कुछ नहीं कर रही हैं.अडवाणी जी जैसे परिपक्व नेता के समझ में यह क्यों नहीं आ रहा है की अन्ना हजारे के आन्दोलन के रूपमें संयोगसे उनलोगों को एक ऐसा अवसर प्रदान हुआ है जिसको वे लोग चाहते तो अच्छी तरह भुना सकते थे.पर वे लोग अभी यह सुलझाने में लगे हुए हैं की अगला प्रधान मंत्री कौन होगा?अडवानी जी,आपके और आपकी पार्टी के हित में यही है की आपलोग यह वाद विवाद छोड़ कर अन्नाहजारे द्वारा प्रेषित या उसी तरह सशक्त कोई अन्य बिल लाने की दिशा में प्रयत्न करेऔर सरकार पर इस तरह का दबाव डालें जो दिखे.पर आपलोग भी चूंकि उसी नाली के कीड़े हैं इसलिए शायद ऐसा न कर सकें.रही आपकी यहरथ यात्रा तो इसका कितना प्रभाव जनता पर पडेगा यह शायद अभी आपको मालूम नहीं है नहीं तो आप यह कदम उठाते हीं नहीं.
    अडवाणी जी आप चूंकि एकप्रतिष्ठित राजनेता नेता के साथ साथ ऊम्र में भी मुझसे बड़े हैं अतः मैं अपनी स्पष्ट वादिता के लिए,यदि इससे आपको कोई चोट पहुंची होतो क्षमा याचना करता हूँ.,

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