हाथी मामा

हाथी मामा पहिन पजामा,

पहुंच गये स्कूल|

जैसे ही पढ़ने वह बैठे,

टूट गया स्टूल|

चित्त गिरे धरती पर मामा,

कुछ भी समझ न पाये|

पसर गये फिर धीरे धीरे,

पैरों को फैलाये|

 

जैसे तैसे दो चूहों ने,

मिलकर उन्हें उठाया|

गरम गरम काफी का प्याला,

लाकर एक पिलाया|

 

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प्रभुदयाल श्रीवास्तव
लेखन विगत दो दशकों से अधिक समय से कहानी,कवितायें व्यंग्य ,लघु कथाएं लेख, बुंदेली लोकगीत,बुंदेली लघु कथाए,बुंदेली गज़लों का लेखन प्रकाशन लोकमत समाचार नागपुर में तीन वर्षों तक व्यंग्य स्तंभ तीर तुक्का, रंग बेरंग में प्रकाशन,दैनिक भास्कर ,नवभारत,अमृत संदेश, जबलपुर एक्सप्रेस,पंजाब केसरी,एवं देश के लगभग सभी हिंदी समाचार पत्रों में व्यंग्योँ का प्रकाशन, कविताएं बालगीतों क्षणिकांओं का भी प्रकाशन हुआ|पत्रिकाओं हम सब साथ साथ दिल्ली,शुभ तारिका अंबाला,न्यामती फरीदाबाद ,कादंबिनी दिल्ली बाईसा उज्जैन मसी कागद इत्यादि में कई रचनाएं प्रकाशित|

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