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कबीर के बहाने नामवरसिंह का पुंसवादी खेल - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
-जगदीश्‍वर चतुर्वेदी अभी एक पुराने सहपाठी ने सवाल किया था कि आखिरकार तुम नामवरजी के बारे में इतना तीखा क्यों लिख रहे हो ? मैंने कहा मैं किसी व्यक्तिगत शिकायत के कारण नहीं लिख रहा। वे अहर्निश आलोचना नहीं विज्ञापन कर रहे हैं और आलोचना को नष्ट कर रहे हैं।…