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दुर्भाग्य के दावानल में भी दर्द को दरकिनार करता मीडिया - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
निरंजन परिहार ‘मातोश्री’ से इससे पहले ट्रक पर सवार होकर बाला साहेब कभी नहीं निकले। पर 18 नवंबर को रविवार की सुबह जब निकले तो दोबारा कभी नहीं लौटने के लिए निकले थे। फूलों से लदे थे। सदा के लिए सोए थे। तिरंगे में लिपटे थे। और यह तो निर्विकार…