संघ से जंग कांग्रेस की राजनैतिक चाल

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जो अखण्ड भारत की मॉग, स्वदेशी अपनाने पर बल, अपने पूर्वजों को नमन, भगवद्वज (भगवा घ्वज) को गुरू, भारतवर्ष को भूमि का टुकडा न मानते हुये मॉ का स्थान देता है तथा घुसपैठ, आतंकवाद, अलगाववाद एवं जबरन धर्मान्तरण का स्पष्ट विरोध करता है जो राष्ट्रीय चरित्र जागरण तथा राष्ट्रीय साहित्य का श्रृजन कर वितरण भी करता है। एक तरफ मैकाले की मानसिक दासता की मुक्ति की बात तथा दूसरी तरफ समाज को एक करने के लिये सेवा कार्य भी करता है जो गरीबी अशिक्षा, छुआछुत, बेईमानी समाप्त करने की भी बात करता है। वह राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ है, जिसके मूल में स्पष्ट राष्ट्रवाद है, जिसका मानना है शुद्ध सात्विक प्रेम द्वारा मर्यादित रूप से अपनी बात कहने से ही किसी समस्या का समधान हो सकता है। यह एक एैसा सांस्कृतिक राष्ट्रवादी संगठन है, जिसकी न तो कहीं सदस्यता होती है और न किसी प्रकार का पंजीकरण। इनके स्वंयसेवको की विधिवत कहीं भी सूची नहीं बनती। जो व्यक्ति एक बार ध्वज प्रणाम कर लेता है, उसी का हो जाता है। इसमें धर्म, जाति, उम्र तथा लिंग का कोई बंधन नहीं। यह एक स्पष्ट पारदर्शी संगठन है सब इसके तथा यह सबका है। यदि हम गौर करे यह तीन वाक्यों से मिलकर बना है जिसमें कहीं भी किसी विशेष धर्म की चर्चा या पहचान नहीं है, जिसका गुरू भी भगवद्वज है। कोई व्यक्ति, महापुरूष या देवी देवता नहीं है। सिद्घान्त भी सभी धर्मों को ध्यान में रखकर बनाये गये हैं। घ्वज पूजन में भी विशेष ध्यान रखा गया है कि किसी पंथ या मजहब को इसमें भाग लेने में असुविधा न हो। गुरू के स्थान पर भी राष्ट्रीयता, ज्ञान, त्याग, पवित्रता और तेज का प्रतीक भगवद्वज ही है। जिसे 1929 की करांचीकांगे्रस झण्डा कमेटी ने भी अपनी रिपोर्ट में राष्ट्रीय ध्वज स्वीकारा था। यह अपने अनेकानेक अनुशांगिक संगठनों के माध्यम से समाज से बुराईयों को दूर का प्रयास करता है तथा उत्कृष्ठ राष्ट्रप्रेम, सद्गुण निर्माण तथा समाज को एक सूत्र में पिरोने के प्रयास में लगा रहता है। संघ ने देश की आजादी में भी अपनी महत्वपूर्ण भागीदारी निभाई। 1930 की 26 जनवरी वाले दिन एक बड़े कार्यक्रम के तहत सम्पूर्ण शाखाओं पर पूर्ण स्वराज की मांग तथा 1942 में भारत छोड़ो आन्दोलन में संघ की खुलकर हिस्सेदारी तथा अंग्रेज सरकार की गुप्तचर विभाग की फाइलों में संघ के बारे में विशेष टिप्पणियॉ उसके राष्ट्रीय स्वरूप को और प्रमाणित करती हैं कुल मिलाकर यह तो तय है संघ एक ईमानदार राष्ट्रवादी संगठन है जो किसी एक धर्म का नहीं है। जिसका मुख्य उद्देश्य भारत को पुनः परम वैभव को प्राप्त कराना है।
वर्तमान में कांग्रेस सरकार के नेता संघ एवं उनके अनुशांगिक संगठनों की तुलना आंतकी संगठनों से करते है। अभी हाल में संघ के एक प्रचारक इन्द्रेश कुमार को सीधे अजमेर विस्फोट में जबरन शामिल करना उनकी दूषित मानसिकता दर्शाता है। जग जाहिर है इन्द्रेश ने हिन्दू मुस्लिम एकता तथा मुस्लिम समाज को संघ से जोड़ने के लिये एवं उनकी हिचक समाप्त करने के लिये सराहनीय योगदान दिया तथा वे सफल भी हुये। संघ के पूर्व सर संघ चालक के0एस0 सुदर्शन ने मध्य प्रदेश की सभा में कांग्रेज पार्टी की नेता सोनिया गांधी पर अरूचिकर टिप्पणी की। उक्त कथन से कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं में रोष होना स्वभाविक है। यह भी सत्य है भारतवर्ष ने सोनिया जी को वह स्थान दिया जो शायद दुनिया के किसी देश में एक विदेशी को नहीं प्राप्त हो सकता उनकी जन्म भूमि इटली में तो कदापि नहीं। सोनिया गॉधी के नेतृत्व वाली कांग्रेज पार्टी को यह नहीं भुलना चाहिए, वे देश के एक बड़े राजनैतिक दल भी है तथा देश में उनकी सरकार भी है। यदि उन्हे लग रहा है कि उक्त बयान के लिये उन्हे दण्डित किया जाना चाहिए तो न्यायलय का मार्ग खुला है उन पर कानूनी कार्यवाही की जा सकती है। लेकिन देश के संघ कार्यालयों पर हिंसात्मक गतिविधियों द्वारा उक्त पार्टी के कार्यकर्ताओें ने अराजकता का जो परिचय दिया निंदनीय तथा अशोभनीय है। उससे अधिक चिंताजनक एवं अनुचित तो यह है उक्त सत्ताधारी राजनैतिक दल के महासचिव यह बयान देते है, यदि कांग्रेसीजन कुछ प्रतिकूल कार्य करते हैं तो इसकी जिम्मेदारी किसी और पर नहीं बल्कि संघ पर होगी। यह क्या अमर्यादित बात हुई? गुण्डागर्दी, उपद्रव कोई करे जिम्मेदारी किसी और पर क्या यह बयान हिंसा भडकाने वाला प्रतीत नहीं होता। क्या ऐसा नहीं लगता कांग्र्रेसी नेता अपने कार्यकर्ताओं को अराजकता के लिये ब़ावा दे रहे हों।
केन्द्र पर शासन करने वाली कांग्रेस पार्टी ऐसा पहली बार नहीं कर रहीं है। एक लम्बे कालखण्ड से हिन्दू तथा मुसलमानों के मध्य खाई ब़ाने का कार्य किया है उक्त राष्ट्रीय राजनैतिक दल ने। हमेशा अंग्रेजों की व्यवस्था आगे ब़़ाते हुये उन्होने बॉटों और राज करो की नीति अपनाई तथा मुस्लिम समाज को तुष्टिकरण के माध्यम से अपना मतदाता बनाये रखने का प्रयास किया, उन्हे सच्चाई का दर्पण दिखाने का प्रयत्न कभी नहीं किया। उन्हें डर था कहीं वे नाराज हो गये तो एक बड़़ा वोट बैंक उनके हाथो से निकल जायेगा। किसी समय मुस्लिम वर्ग को तुष्टिकरण कर उन्हे प्रसन्न रखने का प्रयास किया जाता था। आज उससे एक कदम आगे ब़ आतंकवदियों के प्रति नरम व्यवहार अपना तथा देश के विघटनकारी तत्वों को खुली छूट के साथ सम्पूर्ण हिन्दू समाज तथा अन्तर्राष्ट्रीय स्तर अपनी सकारात्मक पहचान बनाये संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को आतंकी संगठन घोषित करने को वे अमादा हैं तथा इस कृत्य के माध्यम से उन्हे प्रसन्न रखने का प्रयास कर रहें है वे। देश तथा सम्पूर्ण भारतीय समाज के असली दुश्मन उक्त राजनैतिक दल तथा उनके सरीखे राजनेता तथा संगठन है। जिनकी धर्मनिरपेक्षता की सुई अपने व्यक्तिगत स्वार्थ तथा राजनैतिक महात्वाकांक्षाओं के इर्द गिर्द घूमती रहती है। जिन सरीखो ने सम्पूर्ण राष्ट्र को ऐसी जगह लाकर खड़ा कर दिया जहॉ से उसका अस्तित्व ही संकट में नजर आने लगा।
आज संघ जिस तरह केन्द्र सरकार की हिन्दू विरोधी नीतियों के खिलाफ पहली बार सड़कों पर पूरे देश में उतरा, यह एक सामान्य धटना नहीं हैं। जिस तरह केन्द्र सरकार ने पहले हिन्दू आतंकवाद फिर उसका भगवाकरण कर संघ के प्रचारक इन्द्रेश कुमार को उसमें घेरने का प्रयास किया। जिससे स्पष्ट पता चलता है कि योजनाबद्ध ़ंग से संघ को घेरने की साजिश चल रहीं है। पूरे देश को जिज्ञासा है उनका नाम बिना किसी साक्ष्य के किस आधार पर अजमेर बम धमाके में शामिल किया गया। आज तक राजस्थान पुलिस यह कहने की स्थिति में क्यों नहीं है कि उनका नाम अरोप पत्र में किस आधार पर शामिल किया गया। अधकचरे आरोप पत्र के आधार पर एक ईमानदार राष्ट्रनिष्ठ व्यक्ति तथा संगठन को कटघरे में खड़़ा करना कहॉ तक न्यायोचित है। संघ की नीतिरीति-सिद्घांत स्पष्ट तथा पारदर्शी है। जो किसी भी रूप में आराजकता तथा राष्ट्र विरोधी गतिविधियों की तरफ आकर्षित नहीं करता। प्रथम तो संघ का कोई व्यक्ति राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में लिप्त नहीं हो सकता। दूसरा यदि कोई भविष्य में होता भी है तो वह उसका व्यक्तिगत विषय है न तो संगठन का उससे सरोकार है और न ही वह उसके बचाव में आने वाला है।
आज केन्द्र की सरकार जबरन हिन्दू संगठनो तथा समाज को भगवा आंतकवाद का जामा पहनाने के प्रयास में है। जबकि आजतक कोई हिन्दू संगठन तो दूर हिन्दू व्यक्ति के किसी आतंकी घटना में शामिल होने का आरोप साबित नहीं हो पाया है। कांग्रेस पार्टी द्वारा के0एस0 सुदर्शन के बयान पर जरूरत से अधिक प्रतिक्रिया, इन्द्रेश कुमार को बेवजह अजमेर विस्फोट में शामिल करना, भगवा आतंकवाद का भूत पैदा करना तथा संघ की तुलना सिमी से करना कांग्रेस पार्टी की कोई पूर्व योजना तो नहीं है? क्योंकि देश में 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला, आदर्श सोसाइटी तथा राष्ट्रमण्डल खेल घोटाला सरीखे घोटालों की झड़ी लगी है। केन्द्र की सरकार घोटालों की सरकार बनकर रह गई है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आ़ में देश के विघटन कारी तत्व उनकी नाक के नीचे दिल्ली में आकर सभायें करते है। भारत की सीमायें तथा अन्दर के हालात तनावपूर्ण हैं। घोटालों सहित विभिन्न आयामों में घिरी तथा पूरी तरह असफल केन्द्र की सरकार को कुछ सूझ नहीं रहा है, वे क्या करें। कहीं देश का ध्यान बाटने के लिये मनमोहन सरकार उक्त हिन्दू विरोधी गतिविधियॉ तो नहीं कर रही है। विचारणीय है?

– राघवेन्द्र सिंह

3 COMMENTS

  1. इतना बड़ा आन्दोलन खड़ा होना चाहिए की जो भ्रष्ट चूहे, और बिल्ली जैसे शरीर को फुला रहे हैं उनको छुपने की जगह भी न मिले. देशद्रोहियों चुनचुन के नग्न किया जाये. पांचजन्य का उद्घोष होना जरूरी है ताकि सच्चाई बची रहे और कौरवों जैसे कर्मों वाले दलों को समय रहते यमलोक पहुचाया जा सके.

  2. संघ से जंग कांग्रेस की राजनैतिक चाल – by – राघवेन्द्र सिंह

    राघवेन्द्र सिंह जी, आज के समय में, क्या कांग्रेस दल बिना चाल बनाये ऐसा कोई बड़ा कदम उठायेगी?

    RSS ने माननीय सुदर्शन जी के ब्यान से अलग होने का निर्णय लिया है, यह भी तो सोच्चा-समझा होगा ही.

    सोनिया जी के कहे जो मनमोहन सरकार हिन्दू विरोधी गतिविधियॉ कर रही है, उसके उत्तर पर अभी विचार ही चल रहा है क्या ?

    RSS अपने स्वयं सेवकों को बताये कि उसने क्या सकारात्मिक कार्यक्रम बनाया है, जो दिल्ली के झंडेवालान कार्यालय पर हल्ला बोल का करारा उत्तर होगा.

    कुम्भकरण की निद्रा से उठें.

    विरोधी बहुत सतर्क है जी.

    – अनिल सहगल –

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    कांग्रेस पार्टी द्वारा के0एस0 सुदर्शन के बयान पर जरूरत से अधिक प्रतिक्रिया, इन्द्रेश कुमार को बेवजह अजमेर विस्फोट में शामिल करना, भगवा आतंकवाद का भूत पैदा करना तथा संघ की तुलना सिमी से करना कांग्रेस पार्टी की कोई पूर्व योजना तो नहीं है?

  3. आप भी कानपुर से है जान कर अच्छा लगा.
    संघ की विचारधारा राष्ट्रवादी है और वो किसी भी मजहब के हो इस से कोइ फर्क नहीं पड़ता .
    इन्द्रेश जी की सफलता से कांग्रेस ने घबरा कर ये कदम उठाया पर अब जब उन की पोल खुल रही रही है तो भी उन को शर्म नहीं आ रही है . अमित शाह , साध्वी प्रज्ञा सिंह , इन्द्रेश जी आदि इन के सेकुलर आतंकवाद के शिकार है जो निर्दोष है पर नफरत की राजनीति को हवा देने की कोसिस के तहत षड़यंत्र का शिकार है .
    r

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