यूपी राज्यसभा चुनावःभाजपा की 08 सीटों पर जीत तय

0
129

संजय सक्सेना
लखनऊ। चुनाव आयोग ने उत्तर प्रदेश में 25 नवंबर को खाली हो रही राज्यसभा की 10 सीटों के लिए 9 नवंबर को चुनाव कराने का निर्णय लिया है। चुनाव आयोग ने इसका कार्यक्रम जारी कर दिया है। कार्यक्रम के अनुसार 20 अक्टूबर को अधिसूचना जारी होगी। 27 तक नामांकन व 28 अक्टूबर को पर्चाे की जांच होेगी। 2 नवंबर तक नाम वापसी होगी। 9 नवंबर को मतदान व मतगणना होगी, जिन सीटों पर चुनाव हो रहा है, उनमें 4 सीटोें पर सपा के 3 भाजपा के 2, बसपा के और 1 सीट कांग्रेस के पास है। सपा के रामगोपाल यादव, जावेद अली, चंद्रपाल सिंह यादव, रवि प्रकाश, भाजपा के अरूण सिंह, कंेद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी व नीरज शेखर का कार्यकाल खत्म हो रहा है। वहीं, बसपा के वीर सिंह व राजाराम और कांग्रेस के पीएल पुनिया की सीट पर चुनाव होगा। भाजपा को बड़ा फायदा मिलना तय है।
उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की दस सीटों के लिए होने वाले चुनाव में मतदान की संभावना काफी कम नजर आ रही है। बिखरा विपक्ष और इनमें एकजुटता की कमी से किसी एक दल के पास पर्याप्त विधायक न होने के कारण शायद ही कोई पार्टी शक्ति प्रदर्शन जैसी स्थिति शायद ही उत्पन्न हो पाए। यह भी माना जा रहा है कि सभी विपक्षी दल अपने बागियों से आहत हैं। बगावत बढ़ने की आशंका से भी वोटिंग से बचने की कोशिश होगी। उधर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने प्रो0 राममगोपाल यादव को उम्मीदवार घोषित करके मतदान की संभावना को और कमजोर कर दिया है।
09 नवंबर को होने वाले राज्यसभा चुनाव ही संसद के ऊपरी सदन का समीकरण काफी बदल जाएगा। जिन 10 सीटों पर चुनाव होने हैं उसमें बीजेपी का पलड़ा भारी है। 10 सीटों में 8 पर तो बीजेपी आसानी से जीत दर्ज कर लेगी, लेकिन बीजेपी का लक्ष्य 9 सीटों पर जीत दर्ज कराने का होगा। अगर मौजूदा समय की बात करें तो यूपी विधानसभा में अभी 395 विधायक हैं और 8 सीटें खाली हैं। यूपी विधानसभा की मौजूदा स्थिति के आधार पर नवंबर में होने वाले चुनाव में जीत के लिए हर सदस्य को करीब 37 वोट चाहिए। यूपी विधानसभा में सत्ताधारी बीजेपी की मौजूदा ताकत को देखें तो उसके पास अपने 305 विधायक हैं. ऐसे में इस संख्या बल के दम पर भाजपा नवंबर में 10 में से 8 सदस्यों को चुनकर उच्च सदन में आसानी से भेज सकती है। यदि बीजेपी प्रत्याशी को अतिरिक्त समर्थन मिल गया तो यह संख्या 9 तक पहुंच सकती है। भारतीय जनता पार्टी के लिए अतिरिक्त एक सीट जीतने की संभावना इसीलिए बन सकती है, क्योंकि मौजूदा गणित के मुताबिक 8 सदस्यों के लिए वोटिंग के बावजूद उसके पास अपने अतिरिक्त 13 वोट बचेंगे। इसमें अपना दल का 9 वोट शामिल करने से यह संख्या 22 तक पहुंच जाएगी।
बीजेपी के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक उसे कुछ विपक्षी विधायकों का भी समर्थन मिल सकता है। रायबरेली के हरचंदपुर और सदर सीट से कांग्रेस विधायक राकेश सिंह और अदिति सिंह जिस तरीके से कांग्रेस के खिलाफ बागवत कर रहे हैं। बीजेपी को उम्मीद है कि ये दोनों राज्यसभा के लिये बीजेपी का साथ दे सकते हैं। वहीं बीजेपी में शामिल हो चुके पूर्व राज्यसभा सांसद नरेश अग्रवाल के बेटे नितिन अग्रवाल भी कहने के लिए तो समाजवादी पार्टी के विधायक हैं, लेकिन वह भी राज्यसभा में बीजेपी के लिए वोट कर सकते है।
विधायकों की संख्या के मुताबिक एक सीट समाजवादी पार्टी के पाले में जा सकती है। इस हिसाब से प्रो0 रामगोपाल यादव की जीत सुनिश्चत है। समाजवादी पार्टी के पास 48, बहुजन समाज पार्टी के पास 18, बीजेपी की सहयोगी अपना दल के 9, कांग्रेस के 7, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के 4, राष्ट्रीय लोकदल के 1 और 3 निर्दलीय विधायक है।
नवंबर में दस सीटों के लिए होने वाले चुनाव के बाद राज्यसभा के बाद एनडीए बहुमत का आंकड़ा पार कर लेगी। 245 सदस्यों वाली राज्यसभा में इस वक्त भारतीय जनता पार्टी के पास अपने कुल 87 सांसद हैं. जबकि, एनडीए का कुल आंकड़ा 114 का है. ऐसे में नवंबर में यूपी में हो रहे चुनाव में बीजेपी को उम्मीद के मुताबिक 10 में से 09 सीटें सीटें मिल गईं तो एनडीए अपने दम पर बहुमत के आंकड़े को छू लेगा। यानी उम्मीद के मुताबिक बीजेपी को जीत मिल गई तो राज्यसभा में बीजेपी की संख्या 97 पहंुच जाएगी, जबकि एनडीए की संख्या 124 को छू लेगी, जो बहुमत के आंकड़े की संख्या पार करती है।

Previous articleअर्थव्यवस्था में प्राण फूंकने का तीसरा पैकेज
Next articleआख़िर अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी ने भी मानी दुनिया के कार्बन मुक्त होने की अहमियत
संजय सक्‍सेना
मूल रूप से उत्तर प्रदेश के लखनऊ निवासी संजय कुमार सक्सेना ने पत्रकारिता में परास्नातक की डिग्री हासिल करने के बाद मिशन के रूप में पत्रकारिता की शुरूआत 1990 में लखनऊ से ही प्रकाशित हिन्दी समाचार पत्र 'नवजीवन' से की।यह सफर आगे बढ़ा तो 'दैनिक जागरण' बरेली और मुरादाबाद में बतौर उप-संपादक/रिपोर्टर अगले पड़ाव पर पहुंचा। इसके पश्चात एक बार फिर लेखक को अपनी जन्मस्थली लखनऊ से प्रकाशित समाचार पत्र 'स्वतंत्र चेतना' और 'राष्ट्रीय स्वरूप' में काम करने का मौका मिला। इस दौरान विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं जैसे दैनिक 'आज' 'पंजाब केसरी' 'मिलाप' 'सहारा समय' ' इंडिया न्यूज''नई सदी' 'प्रवक्ता' आदि में समय-समय पर राजनीतिक लेखों के अलावा क्राइम रिपोर्ट पर आधारित पत्रिकाओं 'सत्यकथा ' 'मनोहर कहानियां' 'महानगर कहानियां' में भी स्वतंत्र लेखन का कार्य करता रहा तो ई न्यूज पोर्टल 'प्रभासाक्षी' से जुड़ने का अवसर भी मिला।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here