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उर में आता कोई चला जाता ! - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
उर में आता कोई चला जाता, सुर में गाता कभी है विचलाता; सुनहरी आभा कभी दिखलाता, कभी बे-रंग कर चला जाता ! वश भी उनका स्वयं पे कब रहता, भाव भव की तरंगें मन बहता; नियंत्रण साधना किये होता, साध्य पर पा के वो कहाँ रहता ! जीव जग योजना…