संपत्ति का सदुपयोग

चन्‍द्रशेखर त्रिपाठी

आज का समाचार पत्र पढ़ा तो पता चला कि देश के मंदिरों में से एक, जहाँ रोज ही भीड़ बढ़ती जा रही है, शिरडी के साईं बाबा की संपत्ति अरबों में है. आधिकारिक दस्तावेजों के अनुसार मंदिर के पास 32 करोड़ रुपये मूल्य की ज्वेलरी है। मंदिर ट्रस्ट के पास 24.41 करोड़ से ज्यादा की गोल्ड और 3.26 करोड़ से ज्यादा की सिल्वर जूलरी है। 6.12 लाख से ज्यादा कीमत के चांदी के सिक्के और 1.28 करोड़ से ज्यादा के सोने के सिक्के हैं। सोने के ताबीज 1.12 करोड़ रुपये से ज्यादा कीमत के हैं। यह जानकारी ट्रस्ट के ऑडिटर शरद एस. गायकवाड़ ने अपनी सालाना ऑडिट रिपोर्ट 2009-10 में दी है।) और इसका निवेश 4 अरब से भी ज्यादा का है। श्री साईंबाबा संस्थान ट्रस्ट (शिरडी) का प्रशासन महाराष्ट्र सरकार की ओर बनाई गई एक मैनेजिंग कमिटी देखती है। इसका गठन 2004 में किया गया था। आज की तारीख में कमिटी के पास 51.71 करोड़ रुपये से ज्यादा के किसान विकास पत्र हैं। भारत सरकार के आठ पर्सेंट रिटर्न वाले सेविंग बॉन्ड हैं, जिनकी वैल्यू 48 करोड़ रुपये से ज्यादा ठहरती है।

कुछ ऐसी ही कहानिया हमारे तमाम बड़े हिन्दू मंदिरों की भी है. जो बात मुझे समझ में नहीं आती है वो ये है कि श्रद्धा और विश्वास के ये केंद्र के पास इतने पैसों की क्या जरूरत. आज जहाँ बहुत सारे सर्वेज में ये बात निकल के आती है कि हमारे यहाँ एक तिहाई आबादी गरीब है, जहाँ आज भी एक बड़े धड़े को दो जून की रोटी नसीब नहीं हो रही है वहीँ पर उनके भगवान् के पास इतनी संपत्ति का होना………

कुच्छ दिनों पहले एक खबर थी फ़ेसबुक के संस्थापक 26 वर्षीय मार्क ज़करबर्ग ने अपनी संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा दान करने का फैसला किया था. इसके ही साथ ही मार्क ज़ुकरबर्ग भी अब उन खरबपतियों की सूची में शामिल हो गए हैं जिन्होंने अपनी संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा दान करने का फैसला किया है. मार्क अब उन 17 लोगों में शामिल हैं जो वॉरेन बफेट और बिल गेट्स की ओर से शुरु किए गए उस क्लब के सदस्य बन गए हैं जो अमरीका के सबसे अमीर लोगों को अपनी संपत्ति का कुछ हिस्सा दान करने के लिए प्रेरित करता है. मार्क इस क्लब के सबसे कम उम्र सदस्य हैं.

और हमारे यहाँ दान तो छोडि़ये जिसका हिस्सा है वो उसे नहीं मिल पाता. अपनी धर्मं, संस्कृति का साड़ी दुनिया में दम्भ भरने वाले हम आखिर यहाँ पर इतने कमजोर क्यूँ हो जाते हैं??उस देश में जहाँ पर अरबपतियों की संख्या दिन दुगुनी बढ़ रही है और उसके साथ ही बढ़ रही है उसके भगवान की संपत्ति……….आखिर किस काम आएगी ये संपत्ति.

मुझे कुछ ऐसे मंदिर भी पता हैं जिनके truston ने कुछ सामाजिक काम में भी हाथ बताया है लेकिन उनकी संख्या सिर्फ गिनती की है.

आज हम जहाँ विदेशों से अपने नेताओं की संपत्ति वापस लाने की बात करते हैं, क्या इस पर एक पहल नहीं होनी चाहिए कि अपने भगवान की संपत्ति का सही उपयोग हो………सदुपयोग हो????????

3 COMMENTS

  1. सबसे पहले प्रवक्ता और उसके सम्पादक आदरणीय संजीव जी को धन्यावाद की उन्होंने इस पोस्ट को इस मंच पर जगह दी.
    तिवारी जी: धन्यावाद की आपने इसे पढ़ा और सराहा.
    सोनू कुमार जी: लेख के लिए एक विषय सुझाने का बहुत बहुत धन्यवाद. इस बात की पूरी कोशिश रहेगी की इन विषयों पर भी एक ईमानदार लेख लिखा जाए .
    धन्यवाद

  2. एक लेख देश भर के मुसलमानों द्वारा दिए जाने वाले जकात के पैसे और इसाई मिशनरियों को आने वाले विदेशी धन पर भी हो जाए. मंदिरों की और साईं महाराज की सम्पति देख कर जिनके पेट में समाज सेवा की मरोड़ उठने लगती है वो सब कहाँ चले जाते हैं जब हज पर ८२५ (आठ सौ पच्चीस) करोड़ की सब्सिडी दी जाती है.

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