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उत्ताल ताल आकाश में आच्छादित है ! - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
(मधुगीति १९०८१९ बग्रसा) उत्ताल ताल आकाश में आच्छादित है, मधुर वायु अधर का स्पर्श लिये आई है; अग्नि त्रिकोणीय आभा ले दीप्तिमान हुई है, जल हर जलज की प्राण-प्रतिष्ठा में लगा है ! धरा पर सब उनके साये में धाये हैं, अपने तन मन को आत्मयोग में डुबाये हैं; बुद्धि…