डा. राधेश्याम द्विवेदी
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के युवा नेता मा.अखिलेश यादव के अथक प्रचार प्रसार तथा इसी पार्टी के तीन बार मुख्य मंत्री रहे धरतीपुत्र मा. मुलायम सिंह यादव के पुराने कार्यों पर यकीन करते हुए प्रदेश की जनता ने मार्च 2012 में स्पष्ट विशाल बहुमत देकर सत्तासीन किया था. सर्व प्रथम इस सरकार ने अपने करीबियो तथा खास लोगों को वोट बैंक के लिहाज से कन्या विद्या धन तथा बेरोजगार भत्ता देना शुरू किया था. इसके बाद अपने खास आदमियों को विभिन्न विभागों एवं निगमों में राज्यमंत्री का मानद पद बांटना शुरू कर दिया था. पुलिस लेखपाल, शिक्षमित्रों आदि अनेक तरह के विवदित तथा पक्षपात पूर्ण भर्तियां गई है.
कानून व्यवस्था साफ सुथरा नही:-कानून व्यवस्था के मामले में इस पार्टी पर हमेशा उंगली उठती रही है .इस पार्टी के शासन में अराजकता तथा अफरातफरी का माहौल उत्पन्न हो जाता है. जनता को किये गये कुछ वादे पूरे तो कुछ अधूरे ही रह गये हैं. नेता जन उल्टा सीधा बयान देकर भ्रमित किये हैं. दागियों को महिमा मंडित किया गया है. सुरक्षा एजेसियों द्वारा पकड़े गये आतंकवादियों तथा माफियाओं को जेलों से मुक्त किया गया है.हजारो एवं करोड़ों के भ्रष्टाचार में आरोपी यादव सिंह जैसे अन्यानेक के कृत्यों की जांच रोकने के लिए सरकारी मशीनरी का दुरूप्योग किया गया है. अनिल यादव जैसे अपने व्यक्तिगत प्रभाव वाले लोगों को राज्य लोक सेवा आयोग तथा माध्यमिक शिक्षा सेवा आयोग का अध्यक्ष बनाया गया है. इनके पक्षपात पूर्ण निर्णयों की न केवल आलेचना हुई है अपितु सरकार की पूरी किरकिरी भी हुई है. न्यायालयों को वेवकूफ बनाने तथा बरगलाने के प्रयास किया गया है. लखनऊ, इलाहाबाद के उच्च न्यायालयों तथा माननीय उच्चतम न्यायालय को बार बार हस्तक्षेप करना पड़ा है. देश के मंहगे एवं नामी गिरामी वकील जैसे श्री रामजेठ मलानी तथा कपिल सिब्बल आदि को लगाकर केसों की पैरवियां की गई है. बार बार सरकार को माननीय कोर्टो द्वारा लताड़ा भी गया है.
विधानसभा सत्र में असर दिखेगा:- सपा के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव विधानसभा को भंग करना चाहते हैं। इस बारे में उन्होंने पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव के साथ गंभीर मंत्रणा भी की है। सूत्रों का कहना है कि मुलायम सिंह यादव के समक्ष मुख्यमंत्री का तर्क है कि, सरकार ने विकास के बहुत काम किए हैं और प्रदेश की जनता पसंद भी कर रही है। काम के आधार पर अगर विधानसभा को भंग करके फिर से सरकार के लिए जनता के बीच जाने से अच्छा संदेश जाएगा। वोटरों को लगेगा कि हम केवल सत्ता से चिपके नहीं रहना चाहते। काम किया है और काम करने के लिए फिर से सरकार बनाना चाहते हैं। इसके अलावा विपक्षी दलों की चुनावी तैयारियों को भी झटका लगेगा। मा.अखिलेश यादव की बदली रणनीति से पार्टी के कुछ दिग्गज नेता सहमत नहीं थे, परन्तु अपने तर्कों के आधार पर मुख्यमंत्री पार्टी के अन्दर सहमति बनाने में कामयाब बताए जा रहे हैं।निर्वाचन आयोग का रुख देख समाजवादी पार्टी ने अपनी चुनावी रणनीति बदली है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सरकार का कार्यकाल पूरा होने से पहले विधानसभा को भंग करने की सिफारिश कर सकते हैं।विधानसभा भंग करके जनता के बीच जाने की मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की बदली रणनीति का असर आगामी 22 अगस्त से शुरू होने वाले विधानसभा के ग्रीष्मतकालीन सत्र में देखने को मिल सकता है। जानकारों की मानें तो विधानसभा चुनाव में जाने से पहले सरकार इस सत्र में सभी जरूरी कामकाज निपटाने की कोशिश करेगी। अगर बहुत जरूरी हुआ तो दिसम्बर में लेखानुदान पारित करने के लिए छोटा सत्र बुलाएगी और फिर विधानसभा भंग किए जाने की सिफारिश राज्यपाल से करके केयरटेकर के रूप में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सरकार चलाते रहना चाहेंगे।
पहले था विलंब से चुनाव कराने का इरादा:-विधानसभा चुनाव में जाने की आचानक रणनीति बदलने की सोच रही समाजवादी पार्टी पहले विधानसभा का कार्यकाल पूरा होने के बाद मई में चुनाव कराना चाहती थी। 15 मार्च को सरकार का गठन हुआ था और इस हिसाब से 16 मार्च 2017 को विधानसभा का कार्यकाल पूरा हो रहा है। इसके विपरीत सपा का तर्क है कि मई माह के पहले हफ्ते में विधानसभा का पहला सत्र हुआ था। इस हिसाब से मई में कार्यकाल पूरा होता है। सरकार और सपा के इन तर्कों के बीच निर्वाचन आयोग मार्च-अप्रैल में विधानसभा का चुनाव कराना चाहता है। जिसे देखते हुए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सरकार के सभी कामकाज निपटाने के बाद चुनाव में जाने का ऐलान करने की सोच रहे है। उत्तर प्रदेश में समय से पूर्व चुनाव की तैयारी शुरू हो चुका है।जल्दी जल्दी काम निपटाये जा रहे हैं। जितना देर में चुनाव होगा सपा उतना ही कमजोर होती जाएगी।
पहले ये काम:-मुख्यमंत्री अखिलेश यादव विधानसभा भंग करने से पहले संसदीय कामकाज को निपटाने के अलावा नए मुख्यमंत्री ऑफिस मेट्रो रेल तथा लखऩऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे जैसी परियोजनाओं का लोकापर्ण करेंगे। विधानसभा के ठीक सामने बन रहे नए आफिस में तो मुख्यमंत्री 15 अगस्त को झण्डा फहराकर लोकापर्ण कर देना चाहते हैं। इसके अलावा अन्य कई परियोजनाओं का लोकापर्ण मुख्यमंत्री की सूची में शामिल है।
चुनावी घोषणा पत्र पर काम हो चुका है:-समाजवादी पार्टी विधानसभा चुनाव 2017 के चुनाव घोषणा पत्र पर काफी कुछ हद तक काम कर चुकी है। वरिष्ठ आइएएस एवं राज्य योजना आयोग के अध्यक्ष नवीन चन्द्र वाजपेई और आलोकरंजन की देख-रेख में चल रहा चुनाव पत्र तैयार करने का काम अंतिम चरण में है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ चर्चा के बाद इसे अंतिम रूप दे दिया जाएगा। इस प्रकार हम देखते हैं कि समाजवादी पार्टी की सरकार चार वर्ष पूरा कर लिया है तथा लगभग एक साल से कम का कार्यकाल बचा हुआ है। यद्यपि समाजवादी पार्टी 2017 के चुनाव की तैयारी में लगा है लेकिन इसकी रिर्पोट कार्ड इतना साफ सुथरा नही दिख रहा है कि जनता पुनः इन्हें काम करने का अवसर प्रदान करेगा। अतएव यदि इस सरकार ने निष्पक्षता से जनता से जुड़े मुद्दे को ठीक से नही संभाला तो इस सरकार की सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
जल्दी चुनाव करा भी लें तो भी स पा को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलेगा ,सब से बड़ी पार्टी बन कर बेशक उभर जाए , यू पी की जनता अब पांच साल से ज्यादा किसी भी पार्टी को सत्ता देने के पक्ष में होती जा रही है , वह जान चुकी है कि सभी एक जैसे हैं , इसलिए स पा का यह दांव कोई ज्यादा कारगर होने की संभावना नहीं है