उत्तराखण्ड की राजनीति में संकटमोचक : श्री प्रकाश पंत जी

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जन्मदिन विशेष.11-11-2017

उत्तराखंड की राजनीति में अपनी स्पष्ट नीतिए स्वच्छ दृष्टिकोणए साफ नियत एवं सौम्य व मृदुल स्वभाव के कारण जनता के बीच लोकप्रिय श्री प्रकाश पंत जी का आज 57 वा जन्मदिन है।श्री पंत जी उत्तराखंड के एक मात्र नेता है जिन्हें संसदीय मामलों के श्रेष्ठ जानकार होने के कारण उन्हें संसदीय मामलों का  पोर्टफोलियो का दर्जा दिया गया है।  बहुआयामी प्रतिभा के धनी श्री पंत जी  एक कुशल  राजनीतिज्ञ ही नही बल्कि एक श्रेष्ठ वक्ता कवि एवं लेखक होने के साथ.साथ निशानेबाजी में राष्ट्रीय स्तर पर पदक प्राप्त करने वाले खिलाड़ी भी है।लेखन के क्षेत्र में उनकी गहन रूची रही है।अपनी राजनीतिक व्यस्तता के बावजूद भी श्री पन्त जी अनेक पुस्तकें लिख चुके है। जिनमें एक आवाज और प्रारब्ध ;कविता सग्रहद्ध एक थी कुशुम;कहानी संग्रहद्ध और दो अप्रकाशित पुस्तके जिसमें से एक मै काली नदीःभारत नेपाल सम्बन्धों की कहानी व लक्ष्य;निबन्ध सग्रहद्ध है।                 पिछले दिनों ही प्रकाशित मेरी आदि कैलाश यात्रा;यात्रा वृंतातद्ध जिसमें श्री पन्त जी ने अपनी आदि कैलाश यात्रा का सम्पूर्ण विवरण किया है अपने राजनीतिक जीवन के प्रारम्भ से ही समाज के अन्तिम व्यक्ति के जीवन स्तर में सुधार लाना ही श्री पन्त जी का प्रमुख लक्ष्य रहा है  पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी का  विचार दर्शन एकात्म मानववाद पर आपका गहन अध्ययन समय समय पर कार्यकताओं के मनएमस्तिष्क में नई उर्जा का संचार करता है अपनी इसी विलंक्षण प्रतिभा के कारण ही आप समय समय पर पार्टी और सरकार के सकंटमोचक के रूप में उभरे है। श्री पन्त जी का प्रारम्भ से ही  सेवा के प्रति सर्मपण भाव रहा है जब श्री पन्त सरकारी सेवा में थें उस दौरान भी पिथौरागढ़ के दूरस्थ गावों जाकर लोगों के मध्य सेवा कार्य किए है।सामाजिक कार्यो में अपनी पूर्ण सहभागिता में सरकारी सेवा बाधा होने के कारण सरकारी सेवा से त्यागपत्र दे दिया। श्री पन्त जी का परिवार एक सच्चा देशभक्त परिवार है पिछले दिनों ही उनकी बड़ी पुत्री नमिता पंत ने सेना की जेएजी ब्रांच जज एडवोकेट जनरलमें आर्मी अफसर बनकर प्रदेश का नाम रोशन किया है। नमिता उत्तराखंड के दिग्गज नेता की बेटी होने के बावजूद भी देश रक्षा में उतरीं हैं। नमिता के हौसले को पूरे  देश काफी सराहा जा रहा है।प्रकाश पंत ने शुरुआत से ही नेतृत्व गुण बनाए थे। श्री पन्त जी राजनीतिक जीवन वर्ष 1977 से  शुरू हुवा जब उन्हें मिलिट्री साइंस बोर्ड के महासचिव के रुप मे चुना गया। सन 1988 में नगर पालिका परिषद पिथौरागढ़ सभासद के रूप में निर्वाचित हुए। राज्य निर्माण के बाद अंतरिम सरकार में उन्हें राज्य के प्रथम एवं कॉमनवेल्थ देशों में सबसे कम उम्र का विधानसभा अध्यक्ष बनने का गौरव हासिल हुवा। विधानसभा अध्यक्ष रहते हुए।  उन्होंने पूरे देश मे प्रथम विधानसभा की वेबसाइट लॉन्च की। 2002 नवोदित राज्य  में पहली विधानसभा के लिए चुनाव हुए जिसमे श्री पंत जी पिथौरागढ़  से उत्तराखंड विधानसभा में चुनकर आए।  2007 में फिर से पिथौरागढ़ से भारी मतों से  विजयी हुए। तत्कालीन भाजपा सरकार सत्ता में आने बाद  कैबिनेट मंत्री बने। 2007 में भी श्री पंत जी को पर्यटनएपेयजल आदि अहम विभागों का ज़िम्मा सौपा गया था जिसे उन्होंने बखूबी से निभाया। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने राज्य में पर्यटन  को नई पहचान देने और पर्यटन क्षेत्रों के समुचित विकास के लिए अनेक महत्वपूर्ण कदम उठाए।राज्य में पेयजल की समस्या से निजात पाने के लिए सर्वाधिक प्रयास श्री पंत जी द्वारा किया गया अपने पिछले भाजपा सरकार में पेयजल मंत्री के तौर पर उन्होंने राज्य के अनेक क्षेत्रों में  पेयजलापूर्ति के लिए पेयजल योजनाओं की नींव रखी जिसमें पिथौरागढ़ में अावलाघाट पंम्पिग परियोजनाए व राज्य के सूखाग्रस्त क्षेत्रो में अनेक छोटी बडी परियोजनाओं की नीवं रखी जिसका फायदा क्षेत्रो को प्राप्त हो रहा हैं। श्री पन्त जी द्वारा पार्टी में भी अनेक दायित्वों का निर्वहन किया प्रदेश में सत्ताहीन होने के समय श्री पन्त जी 2013 से 2015 तक वह प्रार्टी के प्रदेश महामंत्री के तौर पर  पार्टी को मजबूत करने में प्रयासरत रहे। इस दौरान श्री पन्त जी द्वारा क्राग्रेस सरकार की भ्रष्ट नीतियों के विरूद्व जनता को जागरूक करने के लिए प्रदेश के कई स्थानों पर प्रवास करते रहे। पिथौरागढ़ विधानसभा के विधायक के तौर पर श्री पन्त जी ने पिथौरागढ़ के विकास के लिए अग्रणी भूमिका निभा रहे है। विधायक के तौर पर अपनी भूमिका को भलीभाति से पूरा करने के लिए श्री पन्त को 2009 में राज्य का पहला उत्कृष्ट विधायक के सम्मान से नवाजा जा चुका है। विधानसभा के प्रति अपने इसी सर्मपण भाव के कारण 2017 में तीसरी बार पिथौरागढ़ विधानसभा से निर्वाचित हुए।वर्तमान सरकार में भी उन्हें सबसे वरिष्ठतम व मुख्यमंत्री के बाद नंबर दो दर्जा प्राप्त है। पिछली भाजपा सरकार के मंत्री के बाद पुनः कैबिनैट मंत्री के तौर पर वे आत्मविश्वास और सबसे अधिक सक्रियता से उत्तराखड के विकास के लिए सर्घषरत है।   वित्त मऩ्त्री के तौर पर जब श्री पन्त जी दायित्व सभांला तो उनके पास पिछली सरकार द्वारा विरासत में मिली दयनीय आर्थिक स्थिति से उबरने व राज्य के विकास के लिए नई एवं क्रियान्वित योजनाओं को वित्त की व्यवस्था करना एक बडी चुनौती थी लेकिन श्री पन्त जी के अपने कुशल वित्तीय प्रबन्धन के कारण राज्य धीरे धीरे वित्तीय संकट से उबरने का प्रयास कर रहा है। अपने इसी वित्तीय कुशल प्रबन्धन एवं दूरदर्शी सोच का दूसरा उदाहरण राज्य में सुनुयोजित व जनसुविधाओं के अनरूप बजट को बनाना रहा हैं  राज्य में पहली बार जनता को अपेक्षाओं को पूरा करने वाला बजट बनाया गया जिसमें राज्य को सतत विकास की राह पर ले जाने के लिए अनेक महत्वपूर्ण योजनाओं को क्रियान्वित करने का प्रावधान किया है। आबकारी मंत्री के तौर पर श्री प्रकाश पन्त जी ने राज्य में नई आबकारी नीति के तहत राज्य में बढती शराब की तस्करी पर रोक लगाई है वही दूसरी तरफ राज्य आर्थिक स्थिति से उबरने के लिए बडी मात्रा में राजस्व  प्राप्त करने का लक्ष्य रखा है। पिछले वर्षो से शराब की दुकानो पर हो रही ओवर रेटिगं को लेकर कडे दड का प्रावधान किया है। अपने 5 माह के कार्यकाल में ही राज्य के विकास के लिए अनेक महत्वपूर्ण फैसले लेकर राज्य को विकास के पथ पर ले जाने के लिए संघर्षरत है। श्री पन्त का कुशल नेतृत्व राज्य को हमेशा मिलता रहें।
विशेष  उपलब्धियां निम्नवंत है।

  • उत्तराखण्ड भारत का शौच मुक्त चौथा राज्य बन चुका है।
  •  जीएसटी लागू करने वाले राज्यों में उत्तराखण्ड देश का छठा राज्य बना है।
    जल संस्थान ने 100 चालण्खाल निर्माण निर्धारित लक्ष्य के सापेक्ष 133 चालण्खालों के निर्माण में सफलता हासिल की है।
    लम्बित 65 योजनाओं को पेयजल निगम से जल संस्थान को हस्तान्तरित कर जल आपूर्ति प्रारम्भ की है।
    गैरसैंण में विधानसभा भवन एवं अन्य सुविधाओं के विकास हेतु बजट में प्रावधान किया।
  •  670 न्याय पंचायतों को उत्कृष्टता केंद्रों के रूप में विकसित करने के लिए ब्लू प्रिंट तैयार किया।
    प्रधानमंत्री कौशल योजना द्वारा 13200 युवाओं को प्रशिक्षित कर रोजगार व स्वरोजगार से जोड़ने पर काम तेजी से शुरू हो चुका है।
    श्रमिको के लिए विशेष योजना पंडित दीनदयाल उपाध्याय सुरक्षा बीमा योजना प्रारम्भ

 

प्रदीप सिंह रावत

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