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वैदिक जीवन और यौगिक जीवन परस्पर पर्याय हैं - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
सत्य का मण्डन और असत्य का खण्डन भी योगी के लिए आवश्यक होता है। जो मनुष्य असत्य का खण्डन करने के स्थान पर अपनी लोकैषणा व अन्य अवगुणों के लिए दुष्टों व दुर्दान्तों के प्रति भी अहिंसा का पोषण करता है वह योगी व सच्चा मनुष्य नहीं कहा जा सकता।…