आधार कार्ड बनाम वोटर कार्ड का द्वंद

aadhar cardडा. मनोज चतुर्वेदी

भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण के चेयरमैन नंदन निलेकणि का कहना है कि आधार कार्ड के कई फायदे हैं। यदि आपको पेंशन, स्कॉलरशिप, महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना, एलपीजी सिलेंडरों, खाद्य एवं उर्वरक जैसी अनेकानेक उपयोगी कार्यों के लिए आधार कार्ड पर अंकित क्रमांकों द्वारा आसानी से बैंक खातों में धन का अंतरण किया जा सकता है। मैं भारत सरकार तथा भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण के चेयरमैन नंदन निलेकणि जी से यह पूछना चाहता हूं कि जब देशभर के युवाओं, सरकारी, गैर-सरकारी कर्मचारियों के पास मतदाता कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पहचान पत्र, पैन कार्ड, राशन कार्ड (बीपीएल एवं आरपीएल), आर्म्स लाइसेंस कार्ड, एटीएम कार्ड, क्रेडिट कार्ड जैसे न जाने कितने कार्डों की भरमार है तो इस सुझाव पर अमल क्यों हुआ।

करीब संपूर्ण भारत वर्ष में बनने वालों कार्डों पर 14841 करोड़ से 20, 000 करोड़ रुपये व्यय होंगे। एक अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के अनुसार दक्षिण भारत में कुत्तों के नाम पर भी आधार कार्ड बना दिए गए हैं। जब इस देश में कुतों के नाम पर कार्ड बनाए जा सकते हैं तो क्या देशद्रोही, भारतद्रोही अवैधरूप से भारत में रहकर भारतमाता को तोड़ने वाले अवैध घुसपैठी नहीं बनवा सकते है। निलेकणि जैसे चतुर सुजानों को यह सोचना चाहिए कि 10 करोड़ से अधिक अवैध घुसपैठियों तथा 5-10 हजार से अधिक पाकिस्तानियों को यह नहीं बनाया जा सकता। पश्चिम बंगाल के सीमावर्ती भागों असम, अरुणाचल, बिहार, बंगाल तथा दिल्ली में घुसपैठिए वोटर बना चुके है। जब असम में यूडीएफ जैसे घुसपैठियों के दल संत्ता स्वाद चख रहे हैं तथा वे देश के विभिन्न भागों में देशद्रोही गतिविधियों में लिप्त है तो क्या वे आधार कार्ड द्वारा ऐसे कृत्य नहीं करेंगे। आखिर जब कुतों के नाम से आधार कार्ड को बनाया जा सकता है तो मनुष्यों के नाम पर नहीं बनाया जा सकता है क्या ? मैं महान चिंतक नंदन जी से यह पूछना चाहता हूं कि वे एलपीजी सब्सिडी की बाते कर रहे हैं कि वर्ष मैं 9 सिलेंडर 900 रुपये में सरकार द्वारा दिए जाएंगे तथा उसमें उपभोक्ताओं को 400 रुपये की सब्सिडी बैंक के माध्यम से उपभोक्ता के खाते में पहुंच जाएगी। इसका शीघ्रता से अंतरण हो जाएगा। अब तक शीघ्रता से अंतरण उपभोक्ता के खाते में क्यों नहीं हो रहा था और इसकी क्या गारंटी है कि यह अंतरण उसके खाते में ही हो जाएगा। यह सरकार तथा जनता के धन के दुरूपयोग के सिवा और कुछ नहीं है। हम सभी यह ठीक तरह से जानते है कि उपरोक्त समस्त योजनाओं में भ्रष्टाचार का बोलबाला है तथा सरकारी कार्यालयों में कार्यों को लटकाया जाता है ताकि जनता उसे घूस देकर कार्य कराए। लेकिन यह सरकार कालाधन तथा जनलोकपाल बिल की पूर्ण भागीदारी पर चुप्पी साधे रहती है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह मौन मोहन सिंह बन चुके हैं। वे अब तक के सबसे ईमानदार तथा भ्रष्टतम प्रधानमंत्री साबित हुए हैं। जिनके सामने से जनता को लूटा जा रहा है तथा वे उल्लू की तरह आंख बंद किए हुए हैं। इस देश में अब तक जितने भी कार्ड बने हुए है। उनसे समस्त समस्याओं का समाधान खोजा जा सकता है। इस प्रकार के आधार कार्डों का कोई औचित्य ही नहीं हैं। लेकिन सरकार तो कार्ड दर कार्ड बढ़ाती ही जा रही है तथा समस्याएं दिनों-दिन बढ़ती ही जा रही है। तुम व्यवस्था को सुधारो, सब ठीक हो जाएगा लेकिन व्यवस्था सुधारेगे तब तो, सरकार व्यवस्था सुधारेगी क्यों? उसे तो सरकार नाम के द्वारा अव्यवस्था फैलाना है।

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