एक चप्पल की चाहत

0
190

autoदोपहर के लगभग 1.30 बजे हुए थे। दफ्तर में लेट पहुंचने डर माथे पर साफ देखा जा सकता था। ऑटो में बमुश्किल से 8 लोग इस कदर बैठे हुए थे मानो ये दुनिया का आखिरी ऑटो हो। मैं, ऑटो की आगे वाली सीट पर बैठने की क्षीण होती संभावना के बीच विकल्प की तलाश कर रहा था..
हमारे ऑटो से कुछ ही दूरी पर एक ऑटो और चल रहा था जिसके पीछे बड़े गर्व से लिखा था ये जिम्मेदार ऑटो रिक्शा महिलाओं की सुरक्षा करता है लेकिन हकीकत शायद कुछ और थी। इसके वाकये के एक दिन पहले काफी बारिश हुई थी। ऐसे में सड़कों पर कुकुरमुत्तों की तरह गढ्ढों का निकल आना कोई नई बात नहीं थी
फिर भी जैसे तैसे ऑटो रिक्शा चल ही रहा था। हमारे आगे वाला ऑटो अभी भी हमारे सामने ही चल रहा था। मैं, उस ऑटो को देख रहा था कि मेरी निगाह ऑटो के बीच वाले हिस्से में सबसे नीचे लगी चप्पल पर गई। जिसे देखकर मैं, उसकी तुलना मार्केट में सजी-धजी उन चप्पलों से करने लगा जिसे बेचने से पहले दुकानदार उसे अपने हाथों से साफ करता है। लेकिन इसकी किस्मत शायद तनी धनी नहीं थी। उसमे ना रंग –बिरंगी लाइट लगी हुई थी ना ही उसे कोई बड़े जतन से संभाल कर रख रहा था। फिर भी उसमे इतनी सहन शक्ति थी कि वो अपने मालिक के आदेश का पालन कर रही थी। उसे देख कर महसूस हुआ कि क्या इस चप्पल का कोई वजूद नहीं है। आखिर क्यों ये अपने अस्तित्व के लिए जंग लड़ रही है।
उस चप्पल को देखकर लगा कि इसकी भी कुछ ख्वाहिशें रही होंगी कोई चाहतें होगी या इसके भी कुछ अरमान होंगे. लेकिन वो बेचारी बिना बोले सब कुछ सहन कर रही थी आखिर क्या मजबूरियां रही होगी। क्यों इतनी गंदगी में रहने के बाद भी उसमे कुछ सुंदरता बाकी थी।
ये तमाम सवाल शायद उस चप्पल की भांति खामोश रह कर अपनी किस्मत को घिस रहे थे। ऑटो अभी भी बेफ्रिकी से चल रहा था। लेकिन उसे किसी की फ्रिक नहीं थी. इतने में देखते देखते शाहदरा मेट्रो स्टेशन आ गया । लेकिन ऑटो के पीछे लिखा ये जिम्मेदार ऑटो रिक्शा करता है महिलाओं की सुरक्षा और ठीक उसके नीचे लिखा हुआ बुरी नजर वाले तेरा मुंह काला दोनों ही उस ऑटो की शख्सियत से मेल नहीं खा रहे थे.
इस तरह से एक चप्पल की चाहत का सरे आम गला घोंट दिया गया। मैं, कायरों की तरह मुंह छिपाकर अपने रास्ते पर चल दिया लेकिन इस बीच मेरे माथे पर आई शिकन थोड़ी नरम पड़ गई मगर चपप्ल की चाहत का अंत हो चुका था.

–रवि कुमार छवि

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here