-फ़िरदौस ख़ान
भारत में हमेशा से ही सेवा की परंपरा रही है। जल सेवा भी इसी संस्कृति से प्रेरित है। उपनिषद में कहा गया है कि ‘अमृत वै आप:’ यानि पानी ही अमृत है। इसके अलावा पानी को ‘शिवतम: रस:’ यानि पेय पदार्थों में सबसे ज्यादा कल्याणकारी बताया गया है। गरमी के मौसम में प्यासे राहगीरों को शीतल जल पिलाने की कई मिसालें आसपास ही मिल जाती हैं। पहले जहां राहगीरों के लिए सडक़ों के समीप कुएं खुदवाए जाते थे और जगह-जगह घने दरख्तों के नीचे पानी के मटके रखे जाते थे, वहीं अब पक्के प्याऊ बनाए जाते हैं और कई जगह ठंडे पानी की टंकियां भी रखी जाती हैं। देहात और कस्बों में आज भी पानी के मटके देखे जा सकते हैं। इसके अलावा कुछ लोग अपनी दिनचर्या में से कुछ समय निकालकर राहगीरों को स्वयं पानी पिलाते हैं।
हरियाणा के भिवानी ज़िले के गांव लोहानी में पिछले पांच दशकों से शीतल जल सेवा बदस्तूर जारी है। गांववाले बताते हैं कि बाबा योगी नेतानाथ ने लोगों को जल सेवा के लिए प्रेरित किया था। उन्हीं के आदेश पर वे समय निकालकर गरमी के मौसम में राहगीरों को पानी पिलाने लगे। गांव के युवक बस अड्डे पर ठंडे पानी से भरी बाल्टियां लेकर खडे रहते हैं और जब कोई बस आती है तो उसके मुसाफिरों को पानी पिलाते हैं। गांववालों का मानना है कि जब से यहां जल सेवा शुरू हुई है तब से गांव पर कोई प्राकृतिक आपदा नहीं आई है। गांव में न तो कभी सूखा पड़ा है और न ही ओलावृष्टि हुई है। उनका यह भी कहना है कि यहां न तो किसी महामारी ने पांव पसारे हैं और न ही बीमारी से किसी पशु की मौत हुई है। इस सुख-शांति को गांववाले जल सेवा के पुण्य का ही फल मानते हैं। बाबा योगी नेतानाथ के समाधि लेने पर गांववालों ने उनका मंदिर भी बनवाया है। फ़िलहाल जल सेवा की अगुवाई बाबा मस्तनाथ कर रहे हैं।
राज्य के बस अड्डों और रेलवे स्टेशनों के समीप मौसमी प्याऊ देखे जा सकते हैं। भिवानी निवासी राजेंद्र चौहान कहते हैं कि बस अड्डों और रेलवे स्टेशनों पर स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था न होने की वजह से मुसाफ़िरों को ख़ासी परेशानी का सामना करना पड़ता है। बस अड्डों और रेलवे स्टेशनों पर प्याऊ के आसपास फैली गंदगी की वजह से भी लोग यहां पानी पीने से कतराते हैं। बार-बार संबंधित अधिकारियों को इस समस्या से अवगत कराया गया, लेकिन नतीजा वही ‘ढाक के तीन पात’ रहा। आख़िर प्रशासनिक रवैये से परेशान होकर शहर के गणमान्य लोग चंदा इकट्ठा कर बस अड्डों और रेलवे स्टेशनों पर राहगीरों के लिए नि:शुल्क शीतल जल की व्यवस्था करवाने लगे। इसी तरह बाजारों में भी दुकानदार आपस में चंदा इकट्ठा कर ठंडे पानी की टंकी रख लेते हैं।
Yes i m also a jal sewa group admin ….hm station pe or dharmik jagha ya shiv bhakt jo dak kawad late hai unki sewa krte hai sath hi dak kawad khud bhi late hai….जल सेवा उत्तम सेवा??
उत्तम पोस्ट. जल सेवा समाज सेवा है. जल अमृत है. प्याऊ आज गिनी चुनी जगह ही देखने को मिलते है. बोतले और पाउच (व्यवसाय) ने इस समाज सेवा की भावना को ख़त्म कर दिया है.