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हम और हमारा गणतंत्र - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
मरते मिटते रहते कई दंगों में, मरना हो तो वतन पे मरो वतन की मौत बड़ी रंगीन होती है... पैरों से ना रौंदों माथे से लगा लो देश की मिट्टी तो सिंदूर होती है... हम गणतंत्र दिवस की 61 वी वर्षगांठ मना रहे हैं...यूं तो हमें आजादी 15 अगस्त को…